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सुत्तागमे
[भगवई
यत्ताए उववन्ने, उदाई णं भंते । हस्थिराया कालमासे कालं किया कहिं गच्छिहिइ कहिं उववजिहिइ ? गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए उकोससागरोवमट्टिइयंसि निरयावासंसि नेरइयत्ताए उववजिहिड, से णं भंते ! तओहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववजिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्मिहिइ जाव अंतं काहिइ ॥ भूयाणंदे णं भंते ! हत्थिराया कओहिंतो अणंतरं उच्चट्टित्ता भूयाणंदे हत्थिरायत्ताए एवं जहेव उदाई जाव अंतं काहिइ ॥ ५८९ ॥ पुरिसे गं भंते ! तालमारुहइ ता० २ त्ता तालाओ तालफलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कइकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तालमारुहइ तालमारहित्ता तालाओ तालफलं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे, जेसिपिय णं जीवाणं सरीरेहितो तले निव्वत्तिए तालफले निव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ।। अहे णं भंते ! से तालफले अप्पणो गत्यत्ताए जाव पच्चोवयमाणे जाई तत्थ पाणाई जाव जीवियाओ ववरोवेइ तए णं भंते ! से पुरिसे कइकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तालप्फले अप्पणो ग(गु)रुयत्ताए जाव जीवियाओ ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुढे, जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहिंतो तले निव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुट्ठा, जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहिंतो तालप्फले निव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुठ्ठा, जेविय से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उचग्गहे वहति तेविय णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ॥ पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्त मूलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कइकिरिए ? गोयमा! जावं च णं से पुरिसे रुक्खस्स मूलं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे, जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए तेविय णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहि पुट्ठा, अहे णं भंते । से मूले अप्पणो गुरुयत्ताए जाव जीवियाओ ववरोवेइ तओ णं भंते ! से पुरिसे कइकिरिए ? गोयमा! जावं च णं से मूले अप्पणो जाव ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहि पुढे, जेसिपिय णं जीवाणं सरीरेहिंतो कंदे निव्वत्तिए'जाव बीए निव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुट्ठा, जेसिपिय णं जीवाणे सरीरेहितो मूले 'निव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा, जेविय णं से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वटंति तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ॥ पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्स
पहिं किरियाहिं
से पुरिसे कइका
काइयाए