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सुत्तागमे
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[ भगवई
एगिंदियवज्जा' जाव वैमाणियां, एगिंदिया तं ( एवं ) चेव नवरं चउसमइओ विग्गहो, सेयं तं चेव, सेवं भंते । २ त्ति जाव विहरइ || ८०४ ।। २५ । ८ ॥ भवसिद्धियनेरइया णं भंते ! कहं उववज्जंति ? गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे अवसेसं तं चैव जाव वैमाणिए, सेवं भंते । २त्ति ॥ ८०५ ।। २५ । ९ ॥ अभवसिद्धियनेरइया णं भंते ! कहं उववज्जंति ? गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे अवसेसं तं चैव एवं जाव वैमाणि (ए) या, सेवं भंते । २ त्ति ॥ ८०६ ।। २५ । १० ॥ सम्मद्दिट्ठिनेरइया णं भंते ! कहं उववजंति ? गोयमा । से जहानामए पवए पवमाणे अवसेसं तं चैव एवं एगिंदियवजं जाव वेमाणि (ए) या, सेवं भंते । २ ति ॥ ८०७ ॥ २५।११ ॥ मिच्छादिट्टिनेरइया णं भंते ! कहं उववजंति ? गोयमा ! से जहानामए - पव ए पवमाणे अवसेसं तं चेव एवं जाव वेमाणिए, सेवं भंते ! २ त्ति जाव विहरइ ॥ ८०८ ॥ -२५।१२ ॥ पणवीसइमस्स सयस्स वारहमो उद्देसो समत्तो ॥ पणवीसइमं सयं समत्तं ॥
नमो सुयदेवयाए भगवईए । जीवा १ य लेस्स२ पक्खिय ३ दिट्ठी ४ अन्नाण ५ नाण ६ सन्नाओ ७। वेय ८ कसा (य) ए९ उवओ (गे) ग १० जोग ११ एक्कार ( स ) वि ठाणा ॥ १ ॥ तेणं काळेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव एवं वयासी - जीवे णं भंते ! पावं कम्मं किं वंधी बंधड़ वैधिस्सइ १, बंधी वंधइ ण वंधिस्सइ २, वंधी न बंधइ बंधिस्स ३, वंधी न वंधइ न बंधिस्सइ ४ ? गोयमा ! अत्थेगइए (जीवे) वंधी बंधइ बंधिस्सइ १, अत्थेगइए वंधी वंधइ ण वैधिस्सइ २, अत्थेगइए वंधी ण बंधइ वंधिस्तइ ३, अत्थेगइए बंधी णं बंधइ ण बंधिस्सइ ४-१ ॥ सलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी बंधइ वंधिस्सइ, वंधी वंधइ ण वंधिस्सइ० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए बंधी बंधइ बंधिस्तइ, अत्थेगइए एवं चउभंगो । कण्हलेस्से णं भंते! जीवे पावं कम्मं किं बंधी ० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए वंधी वंधइ वंधिसइ अत्येगइए बंधी बंधइ न वंधिस्सइ एवं जाव पम्हलेस्से सव्वत्थ पढमविइया भंगा, सुक्कलेस्से जहा सलेस्से तहेव चउभंगो । अलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं वंधी० पुच्छा, गोयमा ! वंधी न वंधइ न वंधिस्सइ २ ॥ कण्हपक्खिए गं भंते ! जीवे "पावं कम्मं० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए वंधी पढमबिइया भंगा । सुक्कपक्खिए णं भंते ! जीवे पुच्छा, गोयमा ! चउभंगो भाणियव्वो ॥ ८०९ ॥ सम्मद्दिट्ठीगं चत्तारि भंगा, मिच्छादिट्ठीणं पढमविइया भंगा, सम्मामिच्छादिट्ठीणं एवं चेव । नाणीणं चत्तारि भंगा, आभिणिवोहियणाणीणं जाव मगपज्जवणाणीणं चत्तारि भंगा, केवलनाणीणं चरिमो भंगां जहा अलेस्साणं ५ अन्नाणीणं पढमविइया,
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