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सुत्तागभे
[आयारेसे भिक्खु कालण्णे-वालण्णे-मायण्णे-खेयण्णे-खणयण्णे-विणयण्णे-ससमयण्णे-परसमयण्णे-भावण्णे-परिग्गहं अममायमाणे, कालाणठाई, अपडिन्ने दुहओ छेत्ता, नियाइ ॥ १२६ ॥ वत्थं-पडिग्गह-कंवलं-पायपुंछग-उग्गाहं च कडासणं, एतेमु चेव जाणिज्जा ॥१२७॥ लद्धे आहारे, अणगारो मायं जाणिजा, से जहेयं भगवया पवेइयं ॥ १२८ ॥ लाभुत्ति ण मजिज्जा, अलाभुत्ति ण सोइज्जा, वहुंपि लटुं ण णिहे, परिग्गहाओ अप्पाणं अवसकिजा, अण्णहा णं पासए परिहरिजा ॥ १२९ ।। एस मग्गे आयरिएहि पवेदिते, जहित्य कुसले णोवलिप्पिजासित्ति बेमि ॥ १३० ॥ कामा दुरतिकमा, जीवियं दुप्पडिवूहगं, कामकामी खलु अयं पुरिसे, से सोयति, जूति, तिप्पति, पिड्डति, परितप्पति ॥ १३१ ॥ आययचक्खू लोगविपासी लोगस्स अहो भागं जाणति, उड्ढे भागं जाणति, तिरियंभागं जाणति ॥ १३२ ॥ गद्धिए लोए अणुपरियट्टमाणे, संधि विदित्ता इह मच्चिएहिं, एस वीरे पसंसिए जे वद्ध पडिमोयए ॥ १३३ ॥ जहा अंतो तहा वाहिं जहा वाहिं तहा अंतो ॥ १३४ ।। अंतो पूतिदेहंतराणि पासति पुढोवि सवंताई पंडिए पडिलेहाए ॥ १३५ ॥ से मइमं परिण्णाय माय हु लालं पञ्चासी, मा तेसु तिरिच्छमप्पाणमावायए ॥१३६॥ कासंकासे खलु अयं पुरिसे, वहुमाई, कडेण मूढे, पुणो तं करेइ लोभ, वेरं वड्डेति अप्पणो ॥ १३७ ॥ जमिणं परिकहिज्जइ इमस्स चेव पडिवूहणयाए अमराय महासड्डी अट्टमेतं तु पेहाए ॥ १३८ ॥ अपरिन्नाय कंदति, से तं जाणह जमहं बेमि ॥ १३९ ॥ ते इच्छं पंडिते पवयमाणे, से हंता, छित्ता भित्ता, लुंपइत्ता, विलुपइत्ता उद्दवइत्ता, अकडं करिस्सामित्ति मण्णमाणे, जस्सवि य णं करेइ, अलं वालस्स संगणं, जे वा से कारइ बाले, ण एवं अणगारस्स जायतित्ति बेमि ॥ १४० ॥ पंचमोद्देसो लसन्तो॥
से तं संबुज्झमाणे आयाणीयं समुठ्ठाय तम्हा पावकम्मं णेव कुज्जा, ण कारवेजा ॥ १४१॥ सिया तत्थएगयरं विप्परामुसति, छसु अण्णयरंमि, कप्पति ॥१४२॥ सुहठ्ठी लालप्पमाणो सएण दुक्खेण मूढे विप्परियासमुवेति । सएण विप्पमाएण पुढो वयं पकुव्वति, जं सि मे पाणा पव्वाहिया, पडिलेहाए णो णिकरणयाए एस परिण्णा पञ्चति, कम्मोवसंती ॥ १४३ ॥ जे ममाइयमति जहाति, से चयइ ममाइयं से हु दिठ्ठपहे मुणी जरस, णत्थि ममाइतं ॥ १४४ ॥ तं परिणाय मेहावी विदित्ता लोगं वंता लोगसणं से मतिमं परिकमिजासित्ति बेमि ॥ १४५ ॥णारति सहते वीरे, वीरे णो सहते रतिं । जम्हा अविमणे वीरे, तम्हा वीरे ण रजति ॥ १४६ ॥ सद्दे फासे अहियासमाणे, णिविद णंदि इह जीवियस्स ॥१४७ ।। मुणी मोगं समायाय,