________________
तइयज्झयणं उ० १]
सुत्तागमे
धुणे कम्मसरीरगं; पंतं लूहं च सेवंति, वीरा संमत्तदंसिणो ॥ १४८ ॥ एस ओघंतरे मुणी, तिन्ने मुत्ते, विरते वियाहितत्ति बेमि ॥ १४९ ॥ दुव्वसुमुणी अणाणाए० तुच्छए गिलाइ वत्तए ॥ १५० ॥ एस वीरे पसंसिए, अच्चेइ लोयसंजोयं, ॥ १५१ ॥ एस णाए पवुच्चइ, जं दुक्खं पवेदितं इह माणवाणं, तस्स दुक्खस्स कुसला परिणमुदाहरंति ॥ १५२ ॥ इति कम्मं परिण्णाय सव्वसो ॥ १५३ ॥ जे अणन्नदंसी से अणण्णारामे, जे अणण्णारामे से अणण्णदंसी ॥ १५४ ॥ जहा पुण्णस्स कत्थति तहा तुच्छस्स कत्थति, जहा तुच्छस्स कत्थति तहा पुण्णस्स कत्थति ॥ १५५ ॥ अविय हणो अणातियमाणे । एत्यपि जाण, सेयंति णत्थि ॥ १५६ ॥ केयं पुरिसे कंच णए ? एस वीरे पसंसिए, जे बद्धे पडिमोयए, उद्धं अहं तिरियं दिसासु ॥१५७॥ से सव्वतो सव्वपरिण्णाचारि ण लिप्पति छणपएण, वीरे ॥ १५८ ॥ से, मेहावी अणुग्घायणखेयन्ने जे य वंधपमुक्खमन्नेसी ॥ १५९ ॥ कुसले पुण णो बद्धे, णो मुक्के ।। १६० ॥ से जं च आरमे जं च णारमे । अणारद्धं च ण आरमे ॥१६१॥ छगं छणं परिण्णाय लोगसन्नं च सव्वसो ॥ १६२ ॥ उद्देसो पासगस्स णत्थि ॥ १६३ ॥ वाले पुणे णिहे कामसमणुन्ने असमियदुक्खे दुक्खी दुक्खाणमेव आवर्ट अणुपरियइत्ति बेमि ॥ १६४ ॥ छठ्ठोद्देसो सभत्तो॥
लोगविजय णाम वीअमज्झयणं समत्तं ॥
सुत्ता अमुणी मुणिणो सया जागरंति ॥ १६५ ॥ लोयंसि जाण अहियाय दुक्खं ॥ १६६ ॥ समयं लोगस्स जाणित्ता, इत्थ सत्योवरए ॥ १६७ ॥ जस्सिमे सद्दा य-रूवाय-गंधा य-रसा य-फासा य-अहिसमन्नागया भवंति, से आयवं-णाणवंवेयवं-धम्मवं-वंभवं- पन्नाणेहिं परियाणइ लोयं, मुणीति चुच्चे धम्मविऊ, उज्जू आवदृसोए संगमभिजाणति, सीउसिणच्चाई, से निग्गंथे, अरइरइसहे' फरुसयं णो वेदेति, जागरे-वेरोवरए-धीरे एवं दुक्खा पमुच्चति ॥ १६८ ॥ जरामन्चुवसोवणीए णरे सययं मृढे धम्मं णाभिजाणाति ॥१६९॥ पासिय आउरपाणे, अप्पमत्तो परिव्वए ॥१७॥ मंता य, मइमं-पास ॥ १७१ ॥ आरंभजं दुक्खमिगंति णच्चा, माइ पमाइ पुण-एइ गर्भ, उवेहमाणो सहरूवेसु उज्जू , माराभिसंकी मरणा पमुच्चति ॥ १७२ ॥ अप्पमत्तो कामेहिं, उवरतो पावकम्मेहिं, वीरे आयगुत्ते खेयन्ने ॥ १७३ ॥ जे पज्जवजायसत्यस्स खेयन्ने, से असत्थस्स खेयन्नेः जे असत्थस्स खेयन्ने, से पज्जवजाय सत्थस्स खेयन्ने ॥ १७४ ॥ अकम्मस्स ववहारो न विजइ, कम्मुणा उवाही जायइ ॥१७५॥ कम्मं च पडिलेहाए, कम्ममूलं च ज छणं ॥ १७६ ॥ पडिलेहिय, सव्वं समायाय
1"
"