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सुत्तागमे
[आयारेदोहि अंतेहि अदिस्समाणे ॥ १७७ ॥ तं परिणाय मेहावी विदित्ता लोगं, वंता लोगसनं से मइमं परक्कमिजासित्ति बेमि ॥ १७८ ॥ पढमोइसो समत्तो॥
जाति च बुड्ढि च इहज पासे, भूतेहि जाणे पडिलेह सातं । तम्हाऽतिविज्जो परमंति णच्चा, संमत्तदंसी ण करेति पावं ॥ १७९ ॥ उम्मुंच पासं इह मच्चिएहि, आरंभजीवी उभयाणुपस्सी । कामेसु गिद्धा णिचयं करेंति । संसिच्चमाणा पुणरिंति गमं ॥ १८० ॥ अवि से हासमासज्ज, हंता गंदीति मन्नति । अलं बालस्स संगणं वेरं वड्वेति अप्पणो॥१८१॥ तम्हा-तिविजो परमंति णचा, आयंकदंसी ण करेति पावं ॥१८२॥ अग्गं च मूलं च विगिच धीरे, पलिच्छिदिया णं णिकम्मदंसी ॥ १८३ ॥ एस मरणा पमुच्चति, से हु दिठ्ठभए मुणी, लोयंसी परमदंसी विवित्तजीवी उवसंते समिते सहिते सयाजए कालकंखी परिव्वए ॥ १८४ ॥ वहुं च खलु पावकम्म पगडं, सच्चमि धिइं कुव्वहा, एत्थोवरए मेहावी सव्वं पावकम्मं झोसति ॥ १८५ ॥ अणेगचित्ते खलु अयं पुरिसे, से केयणं अरिहए पूरिण्णए से अन्नवहाए, अण्णपरियावा ए अण्णप्परिग्गहाए, जणवयवहाए, जणवयपरियावाए, जणवयपरिग्गहाए ॥१८६॥ आसेवित्ता एतमळू इच्चेवेगे समुठ्ठिया, तम्हा तं विइयं नो सेवे णिस्सारं पासिय णाणी ॥ १८७ ॥ उववायं चवणं णचा, अणण्णं चर माहणे ॥ १८८ ॥ से ण छणेण छणावए, छगंतं णाणुजाणइ ॥ १८९ ॥ णिव्विद णंदि अरते पयासु, अगोमदंसी णिसन्ने पावेहि कम्महि ॥ १९० ॥ कोहाइमाणं हणिया य वीरे, लोभस्स पासे णिरयं महंतं । तम्हाय वीरे विरते वहाओ, छिदिज सोयं लहुभूयगामी ॥ १९१॥ गंथं परिन्नाय इहज वीरे, सोयं परिणाय चरिज दंते । उम्मज लद्धं इह माणवेहि, णो पाणिणं पाणे समारभिजासि-त्ति बेमि ॥ १९२ ॥ बीओद्देसो समत्तो॥ __ संधि लोगस्स जाणित्ता ॥ १९३ ॥ आययो बहिया पास, तम्हा ण हंताणविघायये ॥ १९४ ॥ जमिणं अन्नमन्नवितिगिच्छाए पडिलेहाए ण करेइ पावं कम्म, कि तत्य मुणी कारणं सिया ? समयं तत्थुवेहाए अप्पाणं विप्पसायए ॥ १९५॥ अणण्णपरमं नाणी, णो पमाए कयाइवि । आयगुत्ते सया धीरे, जायामायाइ जावए ॥ १९६ ॥ विरागं स्वेहि गच्छिज्जा महता खुड्डएहिं य ॥ १९७ ॥ आगति गति परिणाय दोहिवि अंतेहि अदिस्समाणेहिं से ण छिज्जइ, ण भिज्जइ, ण डज्झइ, ण हम्मइ कंचणं सव्वलोए ॥ १९८ ॥ अवरेण पुव्वि ण सरंति एगे, किमस्सतीतं किवाऽऽगमिस्तं । भासंति एगे इह माणवाओ, जमस्सतीतं तं आगमिस्सं ॥१९९॥ णातीतमलु णय आगमिस्सं, अठ्ठ निअच्छंति तहागया उ; विधूतकप्पे एताणुपस्सी, निज्जोमइत्ता खवगे महेसी ॥ २०० ॥ का अरई ! के आणंदे ? एत्थंपि अग्गहे