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वि० ५० स० ५ उ०८] सुत्तागमे
४८७ ते एगसमयठिईएवि पोग्गले ३ तं चेव, जइ णं अज्जो! भावादेसेणं सव्वपोग्गला सअड्डा समज्झा सपएसा, एवं ते एगगुणकालएवि पोग्गले सअ० ३ तं चेव, अह ते एवं न भवइ तो जं वयसि दव्यादेसेणवि सव्वपोग्गला,सअ० ३ नो अणड्डा अमज्झा अपदेसा एवं खेत्तादेसेणवि काला० भावादेसेणवि तन्नं मिच्छा, तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अ० एवं वयासी-नो खलु वयं देवा. एयमहं जाणामो पासामो, जइ णं देवा० नो गिलायंति परिकहित्तए तं इच्छामि गं देवा० अंतिए एयमढे सोचा निसम्म जाणित्तए, तए णं से नियंठिपुत्ते अणगारे नारयपुत्तं अणगारं एवं वयासी-दव्वादेसेणवि मे अज्जो सव्वे पोग्गला सपदेसावि अपदेसावि अणंता खेत्तादेसेणवि एवं चेव कालादेसेणवि भावादेसेणवि एवं चेच ॥ जे दव्वओ अपदेसे से खेत्तओ नियमा अपदेसे कालओ सिय सपदेसे सिय अपदेसे भावओ सिय सपदेसे सिय अपदेसे । जे खेत्तओ अपदेसे से दव्वओ सिय सपढेसे सिय अपदेसे कालओ भयणाए भावओ भयणाए । जहा खेत्तओ एवं कालओ भावओ ॥ जे व्वओ सपदेसे से खेत्तओ सिय सपदेसे सिय अपदेसे; एवं कालओ भावओवि, जे खेत्तओ सपदेसे से दव्वओ नियमा सपदेसे कालओ भयणाए भावओ भयणाए जहा व्वओ तहा कालओ भावओवि ॥ एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं दव्वादेसेणं खेत्तादेसेणं कालादेसेणं भावादेसेगं सपदेसाण य अपदेसाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा?, नारयपुत्ता ! सव्वत्योवा पोग्गला भावादेसेणं अपदेसा कालादेसेणं अपदेसा असंखेजगुणा दव्वादेसेणं अपदेसा असंखेनगुणा खेत्तादेसेणं अपडेसा असंखेजगुणा खेत्तादेसेणं चेव सपदेसा असंखेज्जगुणा दन्वादेसेणं सपदेसा विसेसाहिया कालादेसेणं सपदेसा विसेसाहिया भाचादेसेणं सपदेसा विसेसाहिया । तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं वंदइ नमसइ नियंठिपुत्तं अणगारं वंदित्ता णमंसित्ता एयमद्वं सम्मं 'विणएणं भुज्जो २ खामेइ २ त्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ २२० ॥ भन्तेत्ति भगवं गोयमे जाव एवं वयासी-जीवा णं भंते ! कि वदति हायंति अवट्ठिया ?, गोयमा ! जीवा णो वट्ठति नो हायंति अवट्ठिया । नेरइया णं भंते ! किं वर्ल्डति हायंति अवट्टिया ?, गोयमा ! नरड्या वढंतिवि हायंतिवि अवट्ठियावि, जहा नेरइया एवं जाव वेमाणिया । सिद्धा णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सिद्धा वढति नो हायति अवट्ठियावि ॥ जीवा णं भंते ! केवइयं कालं अवट्ठिया [वि] ?, सव्वद्धं । नेरइया णं भंते ! केवइयं कालं वर्ल्डति ?, गोयमा ! ज० एगं -समयं उक्नो० आवलियाए असंखेजइमागं, एवं हायंति, नेरझ्या गं भंते ! केवइयं कालं अवट्ठिया ?,