________________
सुत्तागमे
[नगवई
नो अभिसमन्नागयाइं नो उदिन्नाई उवसंताई भवंति से णं पराठणड, जस्स पं वीरियवज्झाई कम्माई वद्धाइं जाव उदिन्नाई नो उपसंताई भवंति से गं पुरिसे पराठजइ, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सवीरिए पराइणइ अवीरिए पराइजइ ॥ ७० ॥ जीवा णं भंते ! कि सवीरिया अवीरिया ?, गोयमा! सवीरियावि अवीरियावि, से केणट्टेणं ?, गोयमा! जीवा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-संसारसमावनगा य असंसारसमावन्नगा य, तत्थ णं जे ते असंसारसमावन्नगा ते णं सिद्धा, सिद्धा णं अवीरिया, तत्थ णं जे ते संसारसमावन्नगा ते दुविहा पन्नना, तंजहा-सेलेसिपटिवनगा य असेलेसिपडिवनगा य, तत्थ णं जे ते सेलेमिपडिवनगा ते णं लडिवीरिएणं सबीरिया करणवीरिएणं अवीरिया, तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवनगा ते णं लद्धिवीरिएणं सवीरिया करणवीरिएणं सवीरियावि अवीरियावि, से तेणटेणं गोयमा ! एवं चुच्चइ-जीवा दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-सवीरियावि अवीरियावि । नेरइया णं भंते ! कि सवीरिया अवीरिया ?, गोयमा ! नेरइया लद्धिवीरिएणं सवीरिया करणवीरिएणं सवीरियावि अवीरियावि, से केणटेणं ?, गोयमा ! जेसि णं नेरइयाणं अस्थि उहाणे कम्मे वले वीरिए पुरिसकारपरकमे ते णं नेरड्या लद्धिवीरिएणवि सीरिया करणवीरिएणवि सवीरिया, जेसि णं नेरइयाणं नत्थि उठाणे जाव परकमे ते णं नेरच्या लद्धिवीरिएणं सवीरिया करणवीरिएणं अवीरिया, से तेगडेणं०, जहा नरइया एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया, मणुस्सा जहा ओहिया जीवा, नवरं सिद्धवज्जा भाणियव्वा, वाणमंतरजोइसवेमाणिया जहा नेरड्या, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ७१ ॥ पढमसए अमो उद्देसो समत्तो॥ __ कहन्नं भते ! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छन्ति ?, गोयमा ! पाणाइवाएणं मुसाचाएणं अदिन्ना० मेहुण० परि० कोह० माण० माया० लोभ० पे० दोस० कलह० अभक्खाण० पेसुन्न० रतिअरति० परपरिवाय० मायामोसमिच्छादसणसल्लेणं, एवं खलु गोयमा ! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छंति । कहन्नं भंते ! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छंति ?, गोयमा ! पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छादसणसल्वेरमणेणं एवं खलु गोयमा । जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छन्ति, एवं संसारं आउलीकरेंति एवं परित्तीकरेंति दीहीकरेंति हस्सीकरेंति एवं अणुपरियति एवं वीइवयंति-पसत्या चत्तारि अप्पसत्या चत्तारि ॥ ७२ ॥ सत्तमे णं भंते ओवासंतरे किं गुरुए लहुए गुरुयलहुए अगुरुयलहुए?, गोयमा ! नो गुरुए नो लहुए नो गुरुयलहुए अगुरुयलहुए । सत्तमे णं भंते ! तणुवाए किं गुरुए लहुए गुरुयलहुए अगुरुयलहुए ?, गोयमा ! नो गुरुए नो लहुए गुरुयलहुए नो अगुरुयलहुए । एवं सत्तमे घणवाए सत्तमे घणोदही सत्तमा