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वि०प० स० ११ उं० १०] सुत्तागमे
६३१ भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म जहा खंदओ जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसीभार्ग अवकमइ २ त्तानुवहुं लोहीलोहकडाह जाव किढिणसंकाइगं च एगंते एडेइ एडित्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ सयमे०.२ त्ता समणं भगवं महावीरं एवं जहेव उसभदत्तो तहेव पव्वइओ तहेव एकारस अंगाई अहिजइ तहेव सव्वं जाव सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ ४१७ ॥ भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-जीवाणं भंते । सिज्झमाणा कयरम्मि संघयणे सिझंति 2 गोयमा! वइरोसभणारायसंघयणे सिझंति, एवं जहेव उववाइए तहेव संघयणं संठाण उच्चत्तं आउयं च परिवसणा, एवं सिद्धिगंडिया निरवसेसा भाणियव्वा जाव अव्वाबाहं सोक्खं अणुहवं (हुंती) ति सास (य)या सिद्धा । सेवं भंते ! २ ति ॥ ॥ ४१८सिवो समत्तो ।। एक्कारसमे सए नवमो उद्देसो समत्तो ॥ -
रायगिहे जाव एवं वयासी-ऋइविहे गं भंते ! लोए पन्नत्ते ? गोयमा ! चउबिहे लोए पन्नने, तंजहा-दव्वलोए, खेत्तलोए, काललोए, भावलोए । खेनलोए णं भंते ! कविहे पण्गत्ते ? गोयमा ! तिविहे पन्नत्ते, तंजहा-अहोलोयखेत्तलोए १ तिरियलोयखेत्तलोए २ उड्डलोयखेत्तलोए ३ । अहोलोयखेत्तलोए णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहा-रयणप्पभापुढविअहेलोयखेत्तलोए जाव अहेसत्तमापुढविअहोलोयखेत्तलोए । तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा! असंखेजविहें पन्नत्ते, तंजहा-जंबुद्दीवे २ तिरियलोयखेत्तलोए जाव सयंभूरमणसमुद्दे तिरियलोयखेत्तलोए । उङ्कलोयखेत्तलोए णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा ! पन्नर-- सविहे पनत्त, तंजहा-सोहम्मकप्पउद्धृलोयखेत्तलोए जाव अञ्चुय कप्पउडलोयखेत्तलोए गेवेजविमाणउड्डलोयखेत्तलोए अणुत्तरविमाणउडलोयखेत्तलोए ईसिंपन्भारपुढविउनुलोयखेत्तलोए। अहोलोयखेत्तलोए णं मंते ! किंसंठिए पन्नत्ते ? गोयमा । तप्पागारसंठिए पन्नत्ते । तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते । किंसंठिए पन्नत्ते? गोयमा ! झलरिसंठिए पन्नत्ते । उडलोयखेत्तलोय० पुच्छा, गोयमा ! उडमुइंगागारसंठिए पन्नत्ते। लोए णं भंते । किसाठए पन्नत्ते? गोयमा! सुपइटगसंठिए लोए पन्नत्ते, तंजहा-हेट्ठा विच्छिन्ने मज्झे संखित्ते जहा -सत्तमसए पढमोद्देसए जाव अंतं करेति । अलोए णं भंते ! किसंठिए पन्नत्ते ? गोयमा ! झुसिरगोलसंठिए पन्नत्ते॥ अहेलोयखेत्तलोए णं भंते ! कि जीवा जीवदेसाजीव-- पएसा०.? एवं जहा इंदा दिसा तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव अद्धासमए । तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! किं जीवा०? एवं चेव, एवं उद्दलोयखेत्तलोएवि, नवरं अरूवी छव्विहा अद्धासमओ नत्थि ॥ लोए णं भंते ! किं जीवा०? जहा विइयसए अत्थिउद्देसए लोगागासे, नवरं असवी सत्तविहा जाव अहम्मत्यिकायस्स पएसा नो आगासत्यिकाए