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________________ [०५३०१ ] सुत्तागमे २५९ पंच संगामिया अणियाहिवई प० तं० पायत्ताणिए जाव रहाणिए भद्दसेणे पायत्ताणियाहिवई जसोधरे आसराया पीढाणियाहिवई मुदंसणे हत्थिराया कुंजराणियाहिवई नीलकंठे महिसाणियाहिवई आणंदे रहाणिया हिवई । भूयाणंदस्स नागकुमारिंदरस नागकुमाररनो पंच संगामिया अणिया पंच संगामिया अणियाहिवई प० तं० पायत्ताणिए जाव रहाणिए, दक्खे पायत्ताणियाहिवई सुग्गीवे आसराया पीढाणियाहिवई सुविक्कमे हत्थराया कुंजराणियाहिवई सेयकंठे महिसाणियाहिवई दुत्तरे रहाणियाहिवई वेणुदेवस्स णं सुवणिदस्स सुवन्नकुमाररन्नो पंच संगामिया अणिया पंच संगामिया अणियाहिवई प० तं० पायत्ताणिए एवं जहा धरणस्स तहा वेणुदेवस्स वि । वेणुदालियस्य जहा भूयाणंदस्स, जहा धरणस्स तहा सव्वेसिं दाहिणिल्लाणं जाव घोसस्स जहा भूयानंदस्स तहा सव्वेसिं उत्तरिलाणं जाव महाघोसस्स, सक्कस्स णं देविंदरस देवरन्नो पंच संगामिया अणिया पंच संगामिया अणियाहिवई प०त० पायताणिए जाव उसभाणिए हरिणेगमेसी पायत्ताणियाहिवई वाऊ आसराया पीढाणियाहिवई एरावणे हत्थराया कुंजराणियाहिवई दामड्डी उसभाणियाहिवई माढरे रहाणियाहिवई ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो पंच संगामिया अणिया जाव पायत्ताणिए पीढाणिए कुंजराणिए उसभाणिए रहाणिए, लहुपरक्कमे पायत्ताणियाहिवई महावाऊ आसराया पीढाणियाहिवई पुप्फदंते हत्थिराया कुंजराणियाहिवई महादामड्डी उसभाणियाहिवई महामाढरे रहाणियाहिवई जहा सक्कस्स तहा सव्वेसिं दाहिणिल्लाणं जाव आरणस्स जहा ईसाणस्स तहा सव्वेसिं उत्तरिल्लाणं जाव अच्चुयस्स । सक्कस्स णं देविदस्स देवरन्नो अभितरपरिसाए देवाणं पंच पलिओवमाई ठिई प० ईसाणस्स णं देविंदस्स, देवरन्नो अभितरपरिसाए देवीणं पंच पओिवमाई ठिई प० ॥ ५०४ ॥ पंच विहा पडिहा प० तं० गइपडिहा ठिइपडिहा वंधणपडिहा भोगपडिहा बलवीरियपुरिसक्कारपरक्कमपडिहा ॥ ५०५ ॥ पंचविहे आजीवे प० तं० जाइआजीवे कुलाजीवे कम्माजीवे सिप्पाजीवे लिंगाजीवे ॥ ५०६ ॥ पंच रायककुहा प० तं० खग्गं छत्तं उप्फेसं उवाहणाओ वालवीयणी ॥ ५०७ ॥ पंचहिं ठाणेहिं छउमत्थे णं उदिष्णे परिसहोवसग्गे सम्मं सहेजा खमेजा तितिक्खेजा अहियासेज्जा तं ० उदिन्नकम्मे खलु अयं पुरिसे उम्मत्तगभूए तेण मे एस पुरिसे अक्कोसए वा अवहसइ वा णिच्छोढेइ वा णिन्भच्छेइ वा वंधइ वा रुंबइ वा छविच्छेयं करेइ वा पमारं वा णेइ उद्दवेइ वा वत्थं वा पडिग्गहं वा कंवलं वा पायपुच्छणमच्छिंदइ वा विच्छिंदइ वा भिंदइ वा अवहरड़ वा जक्खाइठे खलु अयं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे अक्कोसइ वा तव जाव अवहरइ वा ममं च णं तब्भववेयणिज्जे कम्मे उदिने भवइ तेण मे एस
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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