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सुत्तागमे
[भगवई पुरच्छिमं दिसीभायं अवक्कमइ २ तिदंडं च कुंडियं च जाव धाउरत्ताओ य एगते एडेइ २ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ करेइत्ता जाव नमंसित्ता एवं वदासी-आलित्ते णं भंते ! लोए पलित्ते णं भंते ! लोए आ० प० भ० लो० जरामरणेण य, से जहानामए-केइ गाहावती आगारंसि झियायमाणंसि जे से तत्थ भंडे भवइ अप्पमारे मोल्लगरुए तं गहाय आयाए एगंतमंतं अवकमइत्ति, एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुरा हियाए सुहाए खमाए निस्सेसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ, एवामेव देवाणुप्पिया ! मज्झवि आया एगे भंडे इढे कंते पिए मणुन्ने मणामे थेजे वेसासिए संमए बहुमए अणुमए भंडकरंडगसमाणे मा णं सीयं मा णं उण्हं मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं चोरा मा णं वाला मा णं दंसा मा णं मसगा मा णं वाइयपित्तियसंभियसंनिवाइयविविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतुत्ति कडु एस मे नित्यारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए अणुगामियत्ताए भविस्सइ, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया! सयमेव पव्वावियं, सयमेव मुंडावियं सयमेव सेहावियं सयमेव सिक्खावियं सयमेव आयारगोयरं विणयवेणइयचरणकरणजायामायावत्तियं धम्ममाइक्खिों । तए णं समणे भगवं महावीरे खंदयं कच्चायणस्सगोत्तं सयमेव पव्वा
वेइ जाव धम्ममातिक्खइ, एवं देवाणुप्पिया! गंतव्वं एवं चिट्ठियव्वं एवं निसीति- यव्वं एवं तुयट्टियव्वं एवं भुंजियव्वं एवं भासियव्वं एवं उठाए पाणेहिं भूएहि जीवेहि सत्तेहि संजमेणं संजमियव्वं; अस्सि च णं अढे णो किचिवि पाइयब्वं । तए णं से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते समणस्स भगवओ महावीरस्स इमं एयारूवं धम्मियं उवएसं सम्मं संपडिवजति तमाणाए तह गच्छइ तंह चिट्ठइ तह निसीयति तह तुयट्टइ तह भुंजइ तह भासइ तह उठाए २ पाणेहिं भूएहिं जीवेहि सत्तेहिं संजमेणं संजमियन्वमिति, अस्सि च णं अटेणोपमायइ। तए णं से खंदए कच्चायकअणगारे जाते इरियासमिए -भासासमिए ऐसणासमिए आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिठ्ठावणियासमिए मणसमिए वयसमिए कायसमिए मणगुत्ते वइगुत्ते कायगुत्ते गुत्ते गुत्तिदिए गुत्तबंभयारी चाई लजू धण्णे खंति: खमे जिइंदिए सोहिए अणियाणे अप्पुस्सुए अवहिल्लेस्से सुसामण्णरए दंते इणमेव. णिग्गथं पावयणं पुरओ काउं विहरइ ॥ ९१ ॥ तए णं समणे, भगवं- महावीरेकयंगलाओ नयरीओ छत्तपलासयाओं उजाणाओ पडिनिक्खमइ २ बहिया जणवयविहारं विहरति । तए णं से खंदए अणेगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एकारस अंगाई अहिज्जइ, जेणेव समणे