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सुत्तागमे
[ भगवई
तिरिक्खजोणिया जहा नेरइया तहा भाणियव्वा, नवरं जेहिं सत्तावीसं भंगा तेहिं अभंगयं कायव्यं जत्थ असीति तत्थ असीतिं चैव ॥ मणुस्साणवि जेहि ठाणेहिं नेरइयाणं असीतिभंगा तेहिं ठाणेहिं मणुस्साणवि असीतिभंगा भाणियव्वा, जेन ठाणे सत्तावीसा ते अभंगयं, नवरं मणुस्साणं अव्भहियं जहन्निया ठिई आहारए य असीति भंगा ॥ वाणमंतर जोइसवेमाणिया जहा भवणवासी, नवरं णाणत्तं जाणियव्वं जं जस्स, जाव अणुत्तरा, सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति ॥ ४९ ॥ पढमसयस्स पंचमो उद्देसो समत्तो ॥
जावइयाओ य णं भंते । उवासंतराओ उदयंते सृरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति अत्थमंतेविय णं सूरिए तावइयाओ चेव उवासंतराओ चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति ?, हंता ! गोयमा ! जावइयाओ णं उवासंतराओ उदयंते सृरिए चक्खुष्फासं हव्वमागच्छति अत्थमंतेवि सूरिए जाव हव्यमागच्छति । जावइयण्णं भंते ! खित्तं उदयं सूरिए आतावेणं सव्वओ समंता ओभासेइ उज्जोएइ तवेइ पभासेइ, अत्थमंतेविय णं सूरिए तावइयं चेव खित्तं आयावेणं सव्वओ समंता ओभासेइ उज्जोएइ तवेइ पभासेइ ?, हंता गोयमा ! जावतियण्णं खेत्तं जाव पनासेइ ॥ तं भंते ! किं पुहुं ओभासेइ अपुढं ओभासेइ ?, जाव छद्दिसि ओभासेति, एवं रज्जोवेड् तवेइ पभासेइ जाव नियमा छद्दिसि ॥ से नूणं भंते ! सव्वंति सव्वावंति फुरमाणकालसमयंसि जावतियं खेत्तं फुसइ तावतियं फुसमाणे पुट्ठेत्ति वत्तव्वं सिया ?, हंता ! गोयमा ! सव्वंति जाव वत्तव्वं सिया ॥ तं भंते! किं पुढं फुसइ अपुढं फुसइ ? जाव नियमा छद्दिसि ॥ ५० ॥ लोयंते भंते ! अलोयंतं फुसइ अलोयंतेवि लोयंतं फुसइ ?, हंता गोयमा ! लोयंते अलोयंतं फुसइ अलोयंतेवि लोयंतं फुस ३ । तं भंते! किं पुढं फुसइ अपुढं फुसइ ? जाव नियमा छद्दिसि फुसइ । दीवंते भंते । सागरंतं फुसइ सागरंतेवि दीवंतं फुसइ ?, हंता जाव नियमा छद्दिसि फुसइ, एवं एएणं अभिलावेणं उदयंते पोयंतं फुसइ छिद्दते दूसंतं छायंते आयवंतं जाव नियमा छद्दिसिं फुसइ ॥ ५१ ॥ अत्थि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ ?, हंता अत्थि । सा भंते । किं पुट्ठा कज्जइ अपुट्ठा कज्जइ ?, जाव निव्वाघाएणं छद्दिसिं वाघायं पहुच सिय तिदिसिं सिय चउदिसि सिय पंचदिसि । सा भंते । किं कडा कज्जइ अकडा कज्जइ ?, गोयमा ! कडा कज्जइ नो अकडा कज्जइ । सा भंते । किं अत्तकडा कज्जइ परकडा कज्जइ तदुभयकड ( कज्जइ ?, गोयमा ! अत्तकडा कज्जइ णो परकडा कज्जइ णो तदुभयकडा कज्जइ । सा भंते । किं आणुपुव्वि कडा कज्जइ अणाणुपुव्विं कडा कज्जइ ?, गोयमा ! आणुपुव्वि कडा कज्जइ नो अणाणुपुव्वि कडा
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