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सुत्तागमे
[ सूयगड
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ति आहिज्जइ । नवमे किरियद्वाणे माणवत्तिए ति आहिए ॥ १० ॥ ६६० ॥ अहावरे दस मे किरियट्ठाणे मित्तदोसवत्तिए त्ति आहिज्जइ । से जहानामए- केइ पुरिसे माईहिं वा पिईहिं वा भाईहिं वा भइणीहिं वा भज्जाहिं वा धूयाहिं वा पुत्तेहिं चा सुण्हाहिं वा सद्धिं संवसमाणे तेसि अन्नयरंसि अहालहुगंसि अवराहंसि सयमेव गस्यं दण्डं निवत्ते । तं जहा - सीओदगवियडंसि वा कार्य उच्छोलित्ता भवइ, उसिणोदगवियडेण वा कार्य ओसिश्चित्ता भवइ, अगणिकायेणं कार्यं उवडहित्ता भवई, जोत्तेण वा वेत्तेण वा नेत्तेण वा तयाइ वा [ कण्णेण वा छियाए वा ] लयाए वा ( अन्नयरेण वा दवरएण ) पासाईं उद्दालित्ता भवइ, दण्डेण वा अट्ठीण वा मुट्ठीण वा लूण वा कवाले वा कार्य आउट्टित्ता भवइ । तहप्पगारे पुरिसजांए संवसमाणे दुम्मणा भवइ, पवसमाणे सुमणा भवइ, तहप्पगारे पुरिसंजाए दण्डपासी दण्डगुरुए दण्डपुरकडे अहिए इमंसि लोगंसि अहिए परंसि लोगंसि संजलणे कोहणे पिट्ठिमंती यावि भवइ । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । दसमे किरियद्वाणे मित्तदोसवत्तिए त्ति आहिए ॥ ११ ॥ ६६१ ॥ अहावरे एकारसमे किरियट्ठाणे मायावत्तिए त्ति आहिज्जइ । जे इमे भवन्ति - गूढायारा तमोकसिया उलुगपत्तलहुया पव्वयगुरुया ते आरिया वि सन्ना अणारियाओ भासाओ वि पउज्जन्ति, अन्नहासन्तं अप्पाणं अन्नहा मन्नन्ति, 'अन्नं पुट्ठा अन्नं वागरंति, अन्नं आइक्खियव्वं अन्नं आइक्खति । से जहानामए केइ पुरिसे अंतोसल्ले तं सलं नो सयं-निहरइ तो अन्नेण निहरावेइ नो पडिविद्धंसेइ, एवमेव निण्हवेइ, अविउट्टमाणे अंतोअंतो रियइ, एवमेव माई मायं कंडु नो आलोएइ नो पडिक्कमेइ नो निन्दइ नो गरहइ नो विउट्टइ नो विसोहेइ नो अकरणाए अब्भुट्ठेइ नो अहारिहं तवोकम्मं पायच्छित्तं पडिवज्जर, माई अस्सि लोए पच्चायाइ माई परंसि लोएं पुगो पुणो पच्चायाइ निन्दइ गरहइ पसंसइ निच्चरइ न नियट्टइ निसिरियं दण्डं छाएइ, माइ असमाहडसुहलेस्से यावि भवइ । एवं खलु तस्स तम्पत्तियं सावज्जं ति आहिजइ । एक्कारसमे किरियद्वाणे मायावत्तिए ति आहिए ।। १२ ।। ६६२ ॥ अहावरे बारसमे किरियट्ठाणे लोभवत्तिए त्ति आहिज्जइ । जे इमे भवंति, तं जहा- आरण्णिया आवसहिया गामन्तिया कण्हुईरहस्सिया नो बहुसंजया नो बहुपडिविरया सव्वपाणभूयजीवसत्तेहिं ते अप्पगो सच्चामोसाई एवं विउज्जति । अहं न हन्तव्वो अन्ने हन्तव्वा, अहं न अजावेयव्वो अन्ने अज्जावेयव्वा, अहं न परि
यत्रो अन्ने परिघेयव्वा, अहं न परितावेयब्वो, अन्ने परितावेयव्वा, अहं न उद्दवेयन्त्रो अन्ने उद्दवेयव्वा, एवमेव ते इत्थिकामेहिं सुच्छिया गिद्धा गढिया गरहिया