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________________ सुत्तागमे [ भगवई विइया भंगा, सुकलेस्से तइयविहूणा भंगा, अलेस्से चरिमो भंगो, कण्हपक्खिए पढमविइया भंगा, सुक्कपक्खिया तइयविहूणा, एवं सम्मद्दिस्सिवि, मिच्छादिट्ठिस्स सम्मामिच्छादिट्ठिस्स य पढमविया, णा (ण) णिस्स तइयविहूणा, आभिणिवोहियनाणी जाव मणपज्जवणाणी पढमविइया, केवलनाणी तइयविहूणा, एवं नोसन्नोवउत्ते अवे. दए अकसाई सागारोवउत्ते अणागारोवउत्ते एएसु तइयविहूणा, अजोगिम्मि य चरिमो, सेसेसु पढमविइया | नेरइए णं भंते । वेयणिज्जं कम्मं किं बंधी बंधइ वंधिस्सइ० एवं नेरइया (दीया) जाव वेमाणियत्ति जस्स जं अत्थि सव्वत्यवि पढमविड्या, नवरं मणुस्से (सु) जहा जीवे, जीवे णं भंते! मोहणिजं कम्मं किं बंधी बंधड़ जहेव पावं कम्म तहेव मोहणिजंपि निरवसेसं जाव वेमाणिए ॥ ८१२ ॥ जीवे णं भंते ! आउयं क्रम्मं किं बंधी बंधइ० पुच्छा, गोयमा ! अत्येगइए बंधी चड़भंगो, सबेस्से जाव लुकलेस्से चत्तारि भंगा, अलेस्से चरिमो भंगो । कण्हपक्खिए णं पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए वंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्थेगइए बंधी न वंधइ बंधिस्सइ, एकपक्खिए सम्मद्दिट्ठी मिच्छादिट्ठी चत्तारि भंगा, सम्मामिच्छादिट्ठी पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए बंधी न वंध बंधिस्सइ अत्येगइए वंधी न वंधइ न वंधिस्सइ, नाणी जाव ओहिनाणी चत्तारि भंगा, मणपज्जवनाणी पुच्छा, गोयमा ! अत्येगइए वंधी बंध‍ चंविस्सइ, अत्येगइए वंधी न वंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगइए बंधी न वंधइ न बंधिस्तइ, केवलना ( णी णे चरिमो भंगो, एवं एएणं कमेणं नोसन्नोवउत्ते विश्यविहूणा जहेव मणपजवनाणे, अवेदए अकसाई य तइयचउत्था जहेव सम्मामिच्छंत्ते, अजोगिम्मि चरिमो, सेसेसु पदेसु चत्तारि भंगा जाव अणागारोवउत्ते ॥ नेरइए णं भंते । आउ कम्मं किं वंधी० पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए चत्तारि भंगा एवं सव्वत्थवि नेरइयाणं चत्तारि भंगा नवरं कण्हलेस्से कण्हपक्खिए य पढमतइया भंगा, सम्मामिच्छत्ते तइयचउत्था, असुरकुमारे एवं चेव, नवरं कण्हलेस्से (सु) वि चत्तारि भंगा भाणियव्वा सेसं जहा नेरइयाणं एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविकाइयाणं सव्वत्यवि चत्तारि भंगा, नवरं कण्हपक्खिए पढमतझ्या भंगा, तेउलेस्से पुच्छा, गोयमा ! बंधी न चंवर बंधिस्सइ, सेसेसु सव्वत्य चत्तारि भंगा, एवं आउकाइयवणस्सइकाइयाणवि निरवसेसं, तेङक्काइयवाउक्काइयाणं सव्वत्थवि पढमतझ्या भंगा, वेइंदियतेइंदियचउरिंदियाणंपि सव्वत्थवि पढमतइया भंगा, नवरं सम्मत्ते नाणे आभिणिवोहियनाणे. सुयनाणे तइओ भंगो । पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हपक्खिए पढमतझ्या भंगा, सम्मामिच्छत्ते तइयचउत्था भंगा, सम्मत्ते नाणे आभिणिवोहियनाणे सुयनाणे ओहिनाणे एएन पंचवि पढेसु विइयविहूणा भंगा, सेसेसु चत्तारि भंगा, मणुस्साणं
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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