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सुत्तागमे
[भगवई ५२६ तुरए मोएत्ता तुरए विसज्जेइ २ त्ता भसंधारगं संयरइ २ ता [पुरच्छा. भिमुहे दुरूहइ दब्भसं० २] पुरच्छाभिमुहे संपलियंकनिसन्ने करयल जाव कटु एवं वयासी-नमोत्थु णं अरिहंताणं जाव संपत्ताणं नमोऽत्यु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स आइगरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवएसगस्स वंदामि गं भगवन्तं तत्थगयं इहगए पासउ मे से भगवं तत्थगए जाव वंदइ नमसइ २ एवं वयासी-पुबिपि णं मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए थूलए पाणाइवाए पञ्चक्खाए जावज्जीवाए एवं जाव थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावनीवाए, इयाणिपिणं अहं तस्सेव अरिहंतस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं सव्वं पाणाइवायं पञ्चक्खामि जावजीवाए एवं जहा खंदओ जाव एयंपिणं चरमेहिं ऊसासनीसासेहि वोसिरामित्तिकटु सन्नाहपढें मुयइ सन्चाहपर्ट मुइत्ता सल्लुद्धरणं करेइ सल्छुद्धरणं करेत्ता आलोइयपडिनंते समाहिपत्ते आणुपुवीए कालगए, तए णं तस्स वरुणस्स णागनत्तुयस्स एगे पियवालवयंसए रहमुसलं संगाम संगामेमाणे एगेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्यामे अबले जाव अधारणिज्जमितिकटु वरुणं णागनत्तुयं रहमुसलाओ संगामाओ पडिनिक्खममाणं पासइ पासित्ता तुरए निगेण्हइ तुरए निगेण्हित्ता जहा वरुणे जाव तुरए विसज्जेइ पडिसंयारगं दुरूहइ पडिसंथारगं दुरूहित्ता पुरत्याभिमुहे जाव अंजलि कट्टु एवं वयासी-जाइं णं मम पियवालवयस्सस्स वरुणस्स नागनन्तुयस्स सीलाई वयाइं गुणाई वेरमणाई पचक्खाणपोसहोववासाइं ताई णं ममंपि भवंतुत्तिकटु सन्नाहपी मुयइ २ सल्लुद्धरणं करेइ सल्लुद्धरणं करेत्ता आणुपुव्वीए कालगए, तए णं तं वरुणं णागणन्तुयं कालगयं जाणित्ता अहासन्निहिएहिं वाणमंतरेहिं देवेहिं दिव्वे सुरभिगंधोदगवासे वुढे दसद्धवन्ने कुसुमे निवाडिए दिव्वे य गीयगंधवनिनाए कए यावि होत्था, तए णं तस्स वरुणस्स णागनत्तुयस्स तं दिव्वं देविड्डि दिव्वं देवजुई दिव्वं देवाणुभागं सुणित्ता य पासित्ता य बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया! वहवे मणुस्सा जाव उववत्तारो भवंति ॥ ३०२ ॥ वरुणे णं भंते ! नागनत्तुए कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववन्ने ?, गोयमा! सोहम्मे कप्पे अरुणामे विमाणे देवत्ताए उववन्ने, तत्थ णं अत्थेगईयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाणि ठिई पन्नत्ता, तत्थ णं वरुणस्सवि देवस्स चत्तारि पलिओवमाई ठिई पनत्ता । से णं भंते ! वरुणे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं करेहिंइ । वरुणस्स णं भंते ! णागणत्तुयस्स पियबालवयंसए कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववन्ने ?, गोयमा ! सुकुले पच्चायाए ।