SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 555
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वि० ५० स० ६ उ० ७ ] सुत्तागमे ५०३ भंते ! अयसिकुसुंभगकोदवकंगुवरगरालगकोदूसगसणसरिसवमूलगवीयमाईणं एएसि णं धन्नाणं, एयाणिवि तहेव,, नवरं सन संवच्छराई, सेसं तं चेव ॥ २४५ ॥ एगमेगस्स णं भंते ! मुहुत्तस्स केवइया ऊसासद्धा वियाहिया ?, गोयमा ! असंखेजाणं समयाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा आवलियत्ति पवुच्चइ, संखेज्जा आवलिया ऊसासो संखेज्जा आवलिया निस्तासो-हवस्स अणवगल्लस्स, निरुवकिट्ठस्स जंतुणो । एगे ऊसासनीसासे, एस पाणुत्ति बुचइ ॥ १ ॥ सत्त पाणूणि से थोवे, सत्त थोवाइं से लवे । लवाणं सत्तहत्तरिए, एस मुहुत्ते वियाहिए ॥ २ ॥ तिन्नि सहस्सा सत्त य सयाई तेवत्तरिं च ऊसासा । एस मुहुत्तो दिवो सव्वेहि अणंतनाणीहि ॥ ३ ॥ एएणं मुहुत्तपमाणेणं तीसमुहुत्तो अहोरत्तो, पन्नरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासे, दो मासा उऊ, तिन्नि उउए अयणे, दो अयणे संवच्छरे, पंचसंवच्छरिए जुगे, वीसं जुगाई वाससयं, दस वाससयाई वाससहस्सं, सयं वाससहस्साई वाससयसहस्सं, चउरासीइ वाससयसहस्साणि से एगे पुव्वंगे, चउरासीइ पुव्वंगसयसहस्साई से एगे पुव्वे, [ एवं पुव्वे ] २ तुडिए २ अडडे २ अववे २ हुहुए २ उप्पले २ पउमे २ नलिणे २ अच्छणिउरे २ अउए २ पउए य २ नउए य २ चूलिया २ सीसपहेलिया २ एताव ताव गणिए एताव ताव गणियस्स विसए, तेण परं ? ओवमिए । से किं तं ओवमिए ?, २ दुविहे पण्णत्ते तंजहा पलिओवमे य सागरोवमे य, से किं तं पलिओवमे ? से किं तं सागरोवमे ? ॥ सत्येण सुतिक्षेणवि छेत्तुं भेत्तुं च जं न किरं सका । तं परमाणु सिद्धा वयंति आई पमाणाणं ॥ १ ॥ अणंताणं परमाणुपोग्गलाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा उस्सण्हसहियाइ वा सण्हसण्हियाइ वा उढरेणूइ वा तसरेणूइ वा रहरेणूइ वा वालरगेइ वा लिक्खाइ वा जूयाइ वा जवमज्झेइ वा अंगुलेइ वा, अट्ठ उस्सण्हसण्हियाओ सा एगा सहसण्हिया, अट्ठ सहसण्हियाओ सा एगा उढरेणू, अट्ठ उडरेणूओ सा एगा तसरेणू, अट्ठ तसरेणूओ सा एगा रहरेणू , अट्ठ रहरेणूओ से एगे देवकुरुउत्तरकुरुगाणं मणूसाणं वालग्गे, एवं हरिवासरम्मगहेमवएरन्नवयाणं पुव्वविदेहाणं मणूसाणं अट्ठ वालग्गा सा एगा लिक्खा, अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूया, अट्ठ जूयाओ से एगे जवमज्झे, अट्ठ जवमज्झाओ से एगे अंगुले, एएणं अंगुलपमाणेण छ अंगुलाणि पाओ, वारस अंगुलाई विहत्थी, चउव्वीसं अंगुलाई रयणी, अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी, छन्नडइ अंगुलाणि से एगे दडेइ वा धणूइ वा जूएइ वा नालियाइ वा अक्खेइ वा मुसलेइ वा, एएणं धणुप्पमाणेणं दो धणुसहस्साई गाउयं, चत्तारि गाउयाई जोयणं, एएणं जोयणप्पमाणेणं जे पल्ले जोयणं आयाम
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy