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सुत्तागमे
[ ठाणे
आरभंता, समुव्वहंता य मज्झगारंमि; अवसाणे तज्जविंतो तिन्नि य गेयस्स आगारा (२१) छद्दोसे अठ्ठगुणे तिन्नि य वित्ताईं दो य भणिईओ जाणाहिति सो गाहिइ सुसिक्खिओ रंगमज्झम्सि (२२) भीतं दुतं रहस्सं गायंतो मा य गाहि उत्तालं, काकस्सरमणुणासं च होंति गेयस्स छद्दोसा ( २३ ) पुन्नं रत्तं च अलंकियं च वत्तं तहा अविघुट्ठं; मधुरं सम सुकुमारं अठ्ठ गुणा होंति गेयस्स (२४) उरकंठसिरपसत्थं च गेजंते मउरिभिअपदवर्द्धः समतालपडुक्खेवं सत्तसरसीहरं गीयं (२५) निद्दोसं सारवंतं च हेउजुत्तमलंकियं, उवणीय सोवयारं च मियं मधुरमेव य (२६) सममद्धसमं चैव सव्वत्थ विसमं च जं, तिन्नि वित्तप्पयाराई चउत्थं नोवलब्भइ (२७) सक्कया पागया चेव दुहा भणिईओ आहिया; सरमंडलम्मि गिजंते पसत्था इतिभासिया (२८) केसी गायइ महुरं केसी गाय खरं च रुक्खं च, केसी गायइ चउरं केसि विलंवं दुतं केसी (२९) विस्सरं पुण केरिसी ? सामा गायइ मधुरं काली गायइ खरं च रुक्खं च, गोरी गायइ चउरं, काण विलंबं दुतं अंधा (३०) विस्सरं पुण पिंगला, तंतिसमं तालसमं पादसमं लयसमं गहसमं च, नीससिऊससियसमं संचारसमा सरा सत्त ( ३१ ) सत्त सरा य तओ गामा मुच्छणा एगवीसई ताणा एगूणपण्णासा समत्तं सरमंडलं ( ३२ ) सरमंडलं समन्तं ॥ ६७७ ॥
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सत्तविहे कायकिलेसे प० तं० ठाणाइए उक्कुडयासणिए पडिमठ्ठाई वीरास णिए सज्जिए दंडाइए लगंडसाई ॥ ६७८ ॥ जंबुद्दीवे दीवे सत्तवासा प० तं० भरहे एरवए हेमवए हेरन्नवए हरिवासे रम्मगवासे महाविदेहे ॥ ६७९ ॥ जंबुद्दीवे २ सत्त वासहरपव्वया प० तं० चुल्लहिमवंते महाहिमवंते निसहे नीलवंते रुप्पी सिहरी मंदरे ॥ ६८० ॥ जंबुद्दीवे २ सत्त महानईओ पुरत्याभिमुहीओ लवणसमुद्दं समप्पेंति तं० गंगा रोहिया हिरी सीया णरकंता सुवण्णकूला रत्ता ॥ ६८१ ॥ जंबुद्दीवे २ सत्त महानईओ पञ्चत्थाभिमुहीओ लवणसमुद्दं समप्पेति तं . सिंधू रोहियंसा हरिकंता सीतोदा णारिकंता रुप्पकूला रत्तवई ॥ ६८२ ॥ धायइसंडदीवपुरच्छिमद्धे णं सत्त वासा प० तं० भरहे जाव महाविदेहे, धायइसंडदीवपुरच्छिमे णं सत्त वासहरपव्वया प० तं० चुलहिमवंते जाव मंदरे धायइसंडदीवपुरत्थिमद्धे णं सत्त महानईओ पुरत्थाभिमुहीओ कालोयसमुद्दं समप्पेति तं० गंगा जाव रत्ता, धायइसंडदीवपुरत्थि - मद्धे णं सत्त महानईओ पचत्थाभिमुहीओ लवणसमुद्दे समप्पैति तं० सिधू जाव रत्तवई, धायइसंडदीवे पच्चत्थिमद्धे णं सत्त वासा एवं चेव णवरं पुरत्थाभिमुहीओ लवणसमुद्दं समप्र्ष्णेति पञ्चत्थाभिमुहीओ कालों सेसं तं चैव ॥ ६८३ ॥ पुक्खरवरदीवपुरच्छिम णं सत्त वासा तहेव णवरं पुरत्थाभिमुहीओ पुक्खरोदं समुई :
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