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छक्खंडागम
उत्कृष्ट अग्रहणद्रव्यवर्गणा प्राप्त होती है । यह वर्गणा भी अग्राह्य हैं, अर्थात् जीवके द्वारा शरीरादि किसी भी रूप में इसका ग्रहण नहीं होता है । यह छठी वर्गणा है ।
उत्कृष्ट अग्रहणद्रव्यवर्गणाके ऊपर एक परमाणु के मिलानेपर जघन्य तैजसद्रव्यवर्गणा प्राप्त होती है । पुनः एक एक अधिक परमाणुके बढ़ाते हुए अभव्योंसे अनन्तगुणित और सिद्धोंके अनन्तवें भागप्रमाण स्थान आगे जानेपर उत्कृष्ट तैजसद्रव्यवर्गणा प्राप्त होती है । इस तैजसद्रव्यवर्गणासे तैजसशरीरका निर्माण होता है । यह सातवीं वर्गणा है ।
तैजसद्रव्यवणाके ऊपर एक परमाणु मिलानेपर दूसरी जघन्य अग्रहणद्रव्यवर्गणा प्राप्त होती है । पुनः पूर्वोक्त क्रमसे एक एक परमाणुके बढ़ाते हुए अनन्तस्थान आगे जानेपर उत्कृष्ट अग्रहणद्रव्यवर्गणा प्राप्त होती है । ये सभी अग्रहणवर्गणाएं भी जीवके द्वारा अग्राह्य होने से शरीरादि . किसी कार्य में नहीं आती हैं । यह आठवीं वर्गणा है ।
उक्त उत्कृष्ट अग्रहणद्रव्यवर्गणा के ऊपर एक परमाणुकी वृद्धि होनेपर जघन्य भाषाद्रव्यवर्गण प्राप्त होती है । पुनः पूर्वोक्त क्रमसे एक एक परमाणुके बढ़ाते हुए अनन्तस्थान आगे जानेपर उत्कृष्ट भाषाद्रव्यवर्गणा प्राप्त होती है । इस भाषावर्गणा के परमाणु ही विविध प्रकारकी भाषाओंके रूपमें शब्द रूपसे परिणत होकर बोले जाते हैं । यह नववीं वर्गणा है ।
उत्कृष्ट भाषावर्गणाके ऊपर एक परमाणु मिलानेपर तीसरी जघन्य अग्रहणद्रव्यवर्गणा प्राप्त होती है । पुनः पूर्वोक्त प्रकार से एक एक परमाणुके बढ़ाते हुए अनन्तस्थान आगे जानेपर उत्कृष्ट अग्रहणद्रव्यवर्गणा प्राप्त होती है । ये सभी अग्रहणवर्गणाएं भाषादिके रूपमें ग्रहण करने के योग्य न होनेसे अग्राह्य है । यह दशवीं वर्गणा 1
उक्त तीसरी उत्कृष्ट अग्रहणद्रव्यवर्गणा के ऊपर एक परमाणुकी वृद्धि होनेपर जघन्य -मनोद्रव्यवर्गणा प्राप्त होती है । पुनः एक एक अधिक परमाणुके क्रमसे बढ़ाते हुए अनन्तस्थान आगे जानेपर उत्कृष्ट मनोद्रव्यवर्गणा प्राप्त होती है । इस वर्गणाके परमाणुओंसे द्रव्यमनका निर्माण होता है । यह ग्यारहवीं वर्गणा है ।
उत्कृष्ट मनोद्रव्यवर्गणाके ऊपर एक परमाणुकी वृद्धि होने पर चौथी जघन्य अग्रहण द्रव्यवर्गणा प्राप्त होती है । इसके ऊपर पूर्वोक्तक्रमसे एक एक परमाणुके बढ़ाते हुए अनन्तस्थान जानेपर उत्कृष्ट अग्रहण द्रव्यवर्गणा प्राप्त होती है । इस वर्गणाके परमाणु भी भाषामन आदि किसी भी कार्य के लिए ग्रहण करनेके योग्य नहीं हैं । यह बारहवीं वर्गणा है ।
उक्त चौथी अग्रहण द्रव्यवर्गणाके ऊपर एक परमाणु के मिलानेपर जघन्य कार्मण द्रव्यवर्गणा प्राप्त होती है । पुनः एक एक परमाणुकी वृद्धि करते हुए अनन्त स्थान आगे जाने पर
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