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अणियय-अणुइण्ण
पाइअसहमहण्णवो अणियय वि[अनियत] १ अब्यवस्थित, अनि- १,२,२)। २ निष्कपट, सरल (सून १,८)। अणु पु[दे] धान-विशेष, चावल की एक जाति यमित (उव)। २ कल्पवृक्ष की एक जाति, जो ३ निर्मम, नि:स्पृह (प्राचा)। वस्त्र देती है (ठा १०)।
अणि विअिस्तिहा स्नेहरहित ( सन १.२. अणु स्त्री [तनु] शरीर, 'सुअणु' (गा २६६)। अणिया देखो अणिदा (पिंड)।
२, ३०)।
अणुअ देखो अणु = अणु (पान)। अणिया स्त्रो [द] धार, अन-भाग, गुजराती में | आणह वि [दे] १ सदृश, तुल्य । २ न. मुख,
अणुअ वि [अज्ञ] अजान, मूर्ख (गा १८४. 'अरणी', 'संखारिणयाइ पइया' (धर्मवि १७)।। मुँह (दे १, ५१)।
३४५)। अणिरिक ति [दे परतन्त्र, पराधीन । (काप्र अणिय वि [अनिहत] अहत, नहीं मारा
अणुअ ' [दे] १ प्राकृति, प्राकार। २ पुंस्त्री. ५५; गा ६६१)। हुअा। रिउ पुं [रिपु] एक अन्तकृद् मुनि
धान्य-विशेष (दे १. ५२; श्रा १८)। अणिरिण वि [अनृण] ऋण-वजित, उऋण, (अन्त ३)।
| अणुअ वि [अनुग] अनुसरण करनेवाला, अनृणी (प्रभि ४६, चारु ६६)।
अणीस वि[अनीशाडस माफिक नहीं. 'अधम्मारगए' (विपा १,१)। अणिरुद्ध वि [अनिरुद्ध] १ अप्रतिहत, नहीं विलक्षण (स ३०७) ।
अणुअ वि [अनुज] १ पीछे से उत्पन्न । २ पुं. रोका हा । (सूअ १, १२)। २ एक अन्त- | अणीय न [अनोक सेना, लश्कर (प्रोप)। छोटा भाई । ३ स्त्री. छोटी बहिन (अभि ८२ कृद् मुनि (अन्त ।)।
अणीयस पुं[अनीयस] एक अन्तकृद् मुनि का पउम २८,१००)। अणिल पुं [अनिल] १ वायु, पवन (कुमा)। नाम (अन्त ३)।
अणुअंच सक [ अनु + कृष् ] पीछे खींचना। २ एक प्रतीत तीर्थकर का नाम (तित्थ)। ३
। २
अणीस वि [अनीश असमर्थ (अभि६०)।।
जणासावअनाश असमथ (आभ६०)। सकृ.अणुआचाव (भवि)। राक्षस-वंशीय एक राजा (पउम ६, २६४)। अणीसकड देखो अणिस्सकड (धर्म २)।
अणुअंप सक [ अनु + कम्प] दया करना । अणिला स्त्री [अनिला] बाईसवें तीर्थंकर की | अणीहा रम वि [अनिॉरिम] गुफा प्रादि में
कृ. अणुअंपणिज (हास्य १४४)। एक शिष्या (पव ६)। | होनेवाला मरण-विशेष (भग १३, ८)।
अणुअंपा स्त्री [अनुकम्पा] दया, करुणा (से अगिल्ल न [दे] प्रभात, सबेरा (दे १,१६)। अणु अ [अनु] यह अव्यय नाम और धातु के अणिस न [अनिश] निरन्तर, सदा, हमेशा | साथ लगता है और नीचे के अर्थों में से किसी
अणुअंपि वि [अनुकम्पिन] दयालु, करुणा (गा २६२, प्रासू २६)। एक को बतलाता है; १ समीप, नजदीका
करनेवाला (अभि १७३)। अणिसट्ठ वि [अनिसृष्ट] १ अनिक्षित । 'अरणकुंडल' (गउड)। २ लघु, छोटाः 'अरण
अणुअत्तय वि [अनुवर्तक] अनुकूल आचरण अणिसिट्ठ २ असंमत, अननुज्ञात । ३ ऐसी गाम' (उत ३)। ३ क्रम, परिपाटी; 'अणुगुरु करनेवाला अनुसरण करनेवाला (विसे भिक्षा, जिसके मालिक अनेक हों और जो सब की (बृह १)। ४ में, भीतर 'अणुजत्त' (महा)।
३४०२)। अनुमति से ली न गई हो; साधु की भिक्षा का ५ लक्ष्य करना, 'अणु जिणं अकारि संगीयं अणुअत्ति देखो अणुवत्ति (पुप्फ ३२६) । एक दोष (पिंड औप)।
इत्थीहिं' (कुमा); 'अणु धार संदट्ठभमोत्तिए अणुअर वि [अनुचर] १ सहायताकारी, सहअणिसीह वि [अनिशीथ शास्त्र-विशेष, जो
तुह असिम्मि सञ्चविया' (गउड)। ६ योग्य, चर (पान) । २ सेवक, नौकर (प्रामा)। प्रकाश में पढ़ा या पढ़ाया जाय (प्रावम)।
उचितः 'अरणजुत्ति' (सूत्र १,५,१)। ७ वीप्सा, | अणुअर वि [अनुचर] अनुसरण-कर्ता (हास्य अणिस्सकड वि [ अनिश्रीकृत ] जिस पर ।
'अरणदिरण' (कुमा)। ८ बीच का भाग, ‘अणु- १२१)।
दिसी' (पि ४१३)। ६ अनुकूल, हितकरः किसी खास व्यक्ति का अधिकार न हो, सर्व
अणुअल्ल न [दे] प्रभात, सुबह (दे १, १६)। 'अणुधम्म' (सूत्र १,२,१)। १० प्रतिनिधि, साधारण (धर्म २)।
अणुआ स्त्री [दे] लाठी (दे १, ५२)। 'अरणप्पभु' (निचू २)। ११ पीछे, बादः 'अरणअणिस्सा स्त्री [अनिश्रा] अनासक्ति, आसक्ति
अणुआर पुं[अनुकार] अनुकरण (नाट) । मजरण' (गउड)। १२ बहुत, प्रत्यंत; अगवंक' का प्रभाव (उव)।
अणुआरि वि [अनुकारिन् अनुकरण करने(मा ६२)। १३ मदद करना. सहायता करनाः वाला (नाट)। अणिस्सिय बि [अनिश्रित] १ अनासक्त, 'अणपरिहारि' (ठा ३,४)। १. निरर्थक भी अणुआस पुं [अनुकास] प्रसार, विकास प्रासक्तिरहित (सूत्र १, १६)। २ प्रतिबन्ध- इसका प्रयोग होता है, देखो अणुकम', 'अणु- (णाया १,१)। रहित, रुकावटरहित (दस !)। ३ अनाश्रित, सरिस'।
अणुइअ पुंदे] धान्य-विशेष, चना (दे किसी के साहाय्य को इच्छा न रखनेवाला | अणु वि [अणु] १ थोड़ा, अल्प (पराह २,३)। (उत्त १६)। ४ न. ज्ञान-विशेष, अवग्रह-ज्ञान । २ छोटा (प्राचा)। ३ पुं. परमाणु (सम्म अणुइअ देखो अगुदिय । का एक भेद, जो लिंग या पुस्तक के बिना ही १३६)। "मय वि [ मत] उत्तम कुल, श्रेष्ठ अणुइण वि (अनुकीर्ण] १ व्याप्त, भरा हुआ। होता है (ठा ६)।
बंश (कप्प)। "विरइ स्त्री [विरति देखो। २ नहीं गिरा हुमा, अपतितः 'अवाइएगपत्ता अणिह वि [अनीह] १ धीर, सहिष्णु (सूत्र । देसविरइ (कम्म १, १८)।
अणुइएणपत्ता निद्ध यजरढपंडुपत्ता (प्रौप)।
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