________________
नकुल, न्यौला ही
७ ६५धर्मवि मुग्गा
६१२ पाइअसद्दमण्णवो
मुंड-मुज्झ मुंड पूंन [मुण्ड] १ मस्तक, सिर (हे ४, मुक्कुंडी स्त्री [दे] जूट (दे ६, ११७)। मुग्गरय न [दे. मुग्धारत] मुग्धा के साथ ४४६; पिंग) । २ वि. मुण्डित, दीक्षित, मुक्कुरुड पुं[दे] राशि, ढेर (दे ६, १३६)। रमण (वज्जा १०६) । प्रवृजित (फा; SIT डि ६१४) । परसु | सुलेमा देखो मुक - मुक्त (मा १९८) नुग्गल देखो मुग्गड (ती १५)। पुं [परशु] नंगा कुल्हाड़ा, तीक्ष्ण कुठार | मुक्ख पुं [मोक्ष] १ मुक्ति, निर्वाण (सुर
मुग्गस [दे] नकुल, न्यौला (दे ६, ११८)। (पएह १, ३-पत्र ५४) । १४, ६५; हे २, ८६; साधं ८६)। २
मुग्गाह अक [प्र + स] फैलना। मुग्गाहइ मुंडण न [मुण्डन) केशों का अपनयन (पंचा छुटकाराः 'रिणमुक्खं' (रयण ६५, धर्मवि
(?) (धात्वा १४८)। २, २; स २७१; सुर १२, ४५) । मुक्ख वि [मूर्ख अज्ञानी, बेवकूफ (हे २,
मुग्गिल मुंडा स्त्री [दे] मृगी, हरिगी (दे ६, १३३)।
[दे] पर्वत-विशेष (ती ७; भत्त
मुग्गिल्ल १६१)।
११२; कुमाः गा ८२ सुपा २३१) । मुंडाविअ ति [मुण्डित] मुंडाया हुआ (भग,
मुग्गुसु देखो मुग्गस (दे ६, ११८)। मुक्ख वि [मुख्य] प्रधान, नायक (हास्य महा गाया १.) १२५)।
मुग्धड देखो मुग्गड (हे ४, ४०६)। मुंडि वि [मुण्डिन] मुण्डन करनेवाला (उव,
मुक्ख पुन [मुष्क] १ अण्डकोष । २ वृक्ष- मुग्घुरुड देखो मुकुरुड (दे ६, १३६) । प्रौपः भत्त १००)।
विशेष। ३ चोर, तस्कर । ४ वि. मांसल | मुचकुंद) देखो मउउंद (सूर २. ७६: मुंडिअ वि [मुण्डित] मुण्डन-युक्त (भगः |
पुष्ट (प्राप्र)।
मुचुकुंद कुमा)।उप ६३४ महा)।
मुक्खण देखो मोक्खग (सिखा ४५)। मुच्छ प्रक [मूर्च्छ ] १ मूछित होना । मुंडी स्त्री [दे] नोरङ्गी, शिरो-वस्त्र, घूघट मुक्खणी स्त्री [मोक्षणा] स्तम्भन से छुटकारा |
२ आसक्त होना। ३ बढ़ना। मुच्छइ, मुंढ पुं[मूर्धन] मूर्धा, मस्तक, सिर __ करनेवाली विद्या-विशेष (धर्मवि १२४)।
मुच्छए (कसः सूप १, १, ४, २)। वकृ. मुंढाण (हे १, २६, २, ४१, षड्)। मुख देखो मुह = मुख (प्रासू ६; राज)।
मुच्छंत, मुच्छमाण (गा ५४६, प्राचा) । देखो मुद्ध - मूर्धन् । मुख पुं [मुख] १ एक म्लेच्छ-जाति (मृच्छ
मुच्छणा स्त्री [मूर्च्छना] गान का एक अंग मुकलाव सक [दे] भेजवाना, गुजराती में १५२)। २ गाड़ी के ऊपर का ढक्कन
(ठा ७-पत्र ३६५)। 'मोकलावतुं' । संकृ. मुकलाविऊण (सिरि |
मुच्छा स्त्री [भू.] १ मोह (ठा २, ४; ४७४)।
मुग देखो मुग्गः ‘एगमुगभरुव्वहणे असमत्थो प्रासू १७६)। २ अचेतनावस्था, बेहोशी मुकुर पुं[मुकुर दर्पण, आईना (दे १, १४)। कि गिरि वहइ' (सुपा ४६१)।
(उवः पडि) । ३ गृद्धि, आसक्ति (सम ७१)। मुक (अप) सक [मुच ] छोड़ना; गुजराती मुगुंद देखो मउंद = मुकुन्द (पाचा २, १,
४ मूर्च्छना, गीत का एक अंग (ठा ७में 'मूकवु' । मुकइ (प्राकृ ११६) । संकृ.
पत्र ३६३) २, ४: विसे ७८ टी)। मुक्किअ (नाट-चैत ७६)।
मुच्छाविअ वि [मूर्छित] मूर्छा-युक्त किया। मुगुस पुंस्त्री [दे] हाथ से चलनेवाले जन्तु की मुक्क वि [मूम] वाक्-शक्ति से रहित, गूगा.
हुमा (से १२, ३८)। एक जाति, भुजपरिसर्प-जातीय एक प्राणी
मुच्छिम वि [मूर्छित] १ मूर्छा-युक्त (हे २, ६६; सुपा ५५२ षड्)।
(परह १,१-पत्र ८)। स्त्री. "स। (उवा)।
'' (प्रासू ५७उवा)। २ पुं. नरकावास-विशेष मुक्क देखो मुक्कल (विसे ५५०)। देखो मंगुस, मुग्गस ।
(देवेन्द्र २७)। मुक्त वि [मुक्त] १ छोड़ा हुआ, त्यक्त (उवाः मुग्ग पुं [मुद्ग] १ धान्य-विशेष, मूग मुच्छिजंत वि [मूर्छायमान] मूर्छा को सुपा ४७५; महा पाप)।२ मुक्ति प्राप्त, मोक्ष- (उवा)। २ रोग-विशेष (ति १२)। ३ । प्राप्त होता (से १३, ४३)। प्राप्त (हे २,२)। ३ लगतार पाँच दिन का पक्षि-विशेष, जल-काक (प्राप्र)। पण्णी स्त्री
मुच्छिम ' [मूर्छिम] मत्स्य-विशेष, उपवास (संबोध ५८)। देखो मुत्त = मुक्त । [पर्णी] वनस्पति विशेष (पराग १-पत्र
'वायाए काएणं मणरहिपाणं न दारुणं कम्मं । मुक्कय न [दे] दुलहिन के अतिरिक्त अन्य ३६) सेल पुं [शैल] पवंत-विशेष,
जोपणसहस्समाणो मुच्छिममच्छो उपाहरणं' निमन्त्रित कन्यानों का विवाह (दे १,१३५) कभी नहीं भीगनेवाला एक पर्वत (उप
(मन ३) मुक्कल वि [] १ उचित, योग्य (दे ६, होने ७२८ टी)V
मुच्छिर वि [मृर्छित १ बढ़नेवाला। २ १४७)। २ स्वैर, स्वतन्त्र, बन्धन-मुक्त (दे मुग्गड पुं[दे] मोगल, म्लेच्छ-जाति विशेष बेहोशीवाला (कुमा)। ६, १४७; सुर १, २३३; विवे १८ गउड; (हे ४, ४०६)। देखो मोग्गड ।
मुज्झ अक [मुह ] १ मोह करना। २ सिरि ३५३ पान सुपा १९८)। मुग्गर न [मुद्गर] १ पुष्प-विशेष (वज्जा घबड़ाना। मुज्झइ (प्राचा; उव; महा)। मुकलिअ वि [दे] बन्धन-मुक्त किया हुआ, १०६)। २ देखो मोग्गर (आप आप ३६; भवि. मुज्झिहिति (प्रौप)। कृ. मुज्झियव्य अनियन्त्रित (दे १, १५६ टी)।
(पएह २,५–पत्र १४६) उव)।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org