________________
वद-वप्पा पाइअसद्दमहण्णवो
५४५ वद देखो वय = वद् । वदसि, वदह (उवाः शराव (णाया १, १-पत्र ५४, पउम | वन्न देखो वण्ण = वर्णय । वन्नेहि (कुमाः भगः कप्प)। भूका. वदासी (भग)। हेकृ. १०२, १२०)। ४ पुं. पुरुष पर आरूढ़ पुरुष, | उव) । हेकु. वनिउं (कुमा)। कृ. वन्नणिज वदित्तए (कप्प)।
पुरुष के कन्धे पर चढ़ा हुमा पुरुष । ५ (सुर २, ६७ रयण ५४) वद देखो वय = व्रत (प्राकृ १२; नाट—विक्र स्वस्तिक-पञ्चक । ६ प्रासाद-विशेष, एक वन्न देखो वण्ण = वर्ण (भगः उवः सुपा १०३ ५६)
तरह का महल (गाया १, १-पत्र ५४० सत्त ५६ कम्म ४,४०: ठा ५, ३)।वदिसा देखो वडेंसा (इक)।
टा-पत्र ५७)। ७न. एक गाँव का नाम,
वन्नग देखो वण्णय (कप्प; श्रा २३) - वदिकलिअ वि [दे] वलित, लौटा हुआ | अस्थिक ग्रामः अट्टियगामस्स पढमं बद्धमारण्य
वन्नण देखो वण्णण (उप ७६८ टी; सिरि (दे ७,५०)।ति नाम होत्था' (आवम)। ८ वि. कृता
७२७)। वदूमग देखो वडुमग (प्राचा)। भिमान, अभिमानी, गर्वित (प्रौप)।
वन्नणा देखो वगणा (रंभा)। बद्दल न [दे. वादल] १ बद्दल, बादल, मेघ- वद्धय वि [द] प्रधान, मुख्य (दे ७, ३६)।
वनय देखो वण्णय (पिंड ३०८ कप्प)।घटा, दुर्दिन (दे ७, ३५; हे ४, ४०१, सुपा वद्धार सक [ वर्धय ] बढ़ाना, गुजराती में वन्निअ देखो वण्णिअ (भग)। ६५५; रायः आवमा ठा ३, ३--पत्र १४१)। 'वधार"। वकृ. वद्धारत ( सट्ठि १२ । वनिआ स्त्री [वर्णिका] १ वानगी, नमूना: २ पुं. छठवीं नरक का दूसरा नरकेन्द्रक- संबोध ४द्र ८)
'सग्गस्स वनिया मिव नयर इह अत्थि पाडलीनरक-स्थान (देवेन्द्र (१२)।
वद्धारिय वि [वर्धित] बढ़ाया हुमा (भवि) पुत्तं' (धर्मवि ६४)। २ लाल रंग की मिट्ठी वदलिया स्त्री [दे. वालिका] बदली, छोटा
वद्धाव सक [वर्धय , वर्धापय 1 बधाई (जी ३). बद्दल, दुर्दिन (भग ६, ३३-पत्र ४६७,
___ देना। वदावेइ, बद्धाति (कप्प)। कर्म. | वन्हि देखो वण्हि = वृष्णि (उत्त २२, १३) औप) वद्धावीअसि (रंभा)। वकृ. बद्धाविंत (सुपा
वन्हि देखो वण्हि = वह्नि (चंड) वद्ध देखो वडढ = वर्धय । कर्म. वद्धसि (सुपा
२२०)। संकृ. वद्धावित्ता (कप्प)।।
वपु देखो वउ =वपुस् (वव १) ९०) वद्धावण न [वर्धन, वर्धापन ] बधाई,
वप्प सक [त्वच ?] ढकना, आच्छादम वद्ध पुन [वर्ध] चर्म रज्जु; 'वज्जो बद्धो अभ्युदय-निवेदन (भविः सुर ३, २४, महा;
करना । वप्पइ (धात्वा १५१)।(? बब्भो बद्धो)' (पापा दे ६, ८८; पव सुपा १२२; १३४)।
वप्प पुं[व] १ विजयक्षेत्र-विशेष, जंबूद्वीप ८३ सम्मत्त १७४)। वद्धावणिया स्त्री [वर्धनिका, वर्धापनिका]
का एक प्रान्त, जिसकी राजधानी विजया है वद्ध देखो विद्ध = वृद्ध (प्राप्र; प्राकृ ७)। ऊपर देखो (सिरि १३ १९)।
(ठा २, २-पत्र ८०; जं ४)। २ पुंन. वद्धण न [वर्धन] १ वृद्धि, बढ़ती (णाया वद्धावय वि [वर्धक, वर्धापक बधाई देने
किला, दुर्ग, कोट (ती ८)। ३ केदार, खेतः १, १; कप्प)। २ वि. बढ़ानेवाला (उप
केपारो वप्पिणं वप्पो' (पामः प्राचा २, __ वाला (सुर १५, ७६; स ५७०; सुपा ६७३ महा)।
१, ५, २, दे ७, ८३ टी) । ४ तट, किनारा ३६१) । वद्धणिआ। स्त्री वर्धनिका, 'नी] संमार्जनी,
'रोहो वप्पो य तडौं (पान)। ५ उन्नत भूवद्धाविअ वि [वर्धित, वर्धापित जिसको वद्धणी झाड़, (दे८, १७७, ४१ टी)
भाग, ऊँची-जमीन; 'वप्पाणि वा फलिहारिण | बधाई दी गई हो वह (सुपा १२२; १६५)। वद्धमाण पुंवर्धमान] १ भगवान महावीर
वा पागाराणि वा' (प्राचा २, १; ५, २) । (प्राचा २, १५, १०, सम ४३; अंत; कप्प; वद्धिअ [दे] १ षण्ढ, नपुंसक (दे ७,
वप्प वि [दे] १ तनु, कृश । २ बलवान्, पडि)। २ एक प्रसिद्ध जैनाचार्य (साधं ६३; ३७)। २ नपुंसक-विशेष, छोटी उम्र में ही
बलिष्ठ । ३ भूत-गृहोत, भूताविष्ट (दे ७, विचार ७६: ती १५: गु८)। ३ स्कन्धा
छेद दे कर जिसका अण्डकोष गलाया गया रोपित पुरुष, कन्धे पर चढ़ाया हुआ पुरुष हो वह, बधिया (पव १०६ टी)।
वप्पइराय देखो व-प्पइराय । (अंतः औप)। ४ एक शाश्वत जिन-देव । वद्धिअ देखो वढिअ = वृद्ध (भवि)।
वप्पगा देखो वप्पा (राज) । ५ एक शाश्वती जिन-प्रतिमा (पव ५६)। वद्धी स्त्री [दे] अवश्य-कृत्य, मावश्यक
वप्पगावई स्त्री [वप्रकावती] जंबूद्वीप का ६ न. गृह-विशेष (उत्त ६, २४)। ७ राजा कर्तव्य (दे ७, ३०)।
एक विजय-क्षेत्र, जिसकी राजधानी का नाम रामचन्द्र का एक प्रेक्षा-गृह-नास्थ-शाला | वद्धीसका पुन [दे. वद्धीसक] वाद्य-विशेष,
अपराजिता है (ठा २, ३--पत्र ८०; इक)। (पउम ८०, ५) । देखो वड्ढमाण । वद्धीसग । एक प्रकार का बाजा (पएह २,
। वद्धमाणग) पुं[ वर्धमानक] १ अठासी
वप्पा स्त्री [व] उन्नत भू-भाग, टेकड़ा,
५–पत्र १४६; अनु ६) । बद्धमाणय महाग्रहों में एक महाग्रह, ज्योतिष्क वध देखो वह - वध (कुमा)
ऊँची जमीन (भग १५-पत्र ६६६)। देव-विशेष (ठा २, ३-७८)। २ एक देव- वधय देखो वह्य (भग)।
वप्पा स्त्री [वप्रा] १ भगवान् नमिनाथजी की विमान (देवेन्द्र १४०)। ३ न. पात्र-विशेष, । वधू देखो वहू (प्रौप)।
माता का नाम (सम १५१)। २ दशवें ह४
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org