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पाइअसद्दमहण्णवो
समालोच-समाहि
समालोच पुं[समालोच विचार, विमर्श (पएह २, २-पत्र ११४अणु; विसे समाहर सक [सभा + ह] ग्रहण करना। (उप ३६६)।
१००३)। ४ समीप (दश वै० वृद्ध० पत्र)।- २ एकत्रित करना। संकृ. समाहटुटु (सूप समालोयण न [समालोचन] सामान्य अर्थ समासंग पृ [समासङ्ग] संयोग (गा १, ८, २६; १, १०, १५), समाहरिवि का दर्शन (विसे २७६)। ६६१?)।
(अप) (भवि)। समाव सक [ सम् + आप्] पूरा करना।।
| समासंगय वि [समासंगत] संगत, सम्बद्ध समाहविअ वि [समाहूत] माहुत, बुलाया समावेइ (हे ४,१४२)। कर्म, समप्पइ (हे। (रंभा)
| हुमा (धर्मवि ६०) ४, ४२२)। समासज देखो समासाद।
समाहाण न [समाधान] १ समाधि (उप समाजिय वि [समावजित] प्रसन्न किया समासत्थ वि [समाश्वस्त] १ प्राश्वासन
३२० टी)। २ औत्सुक्य-निवृत्ति रूप स्वास्थ्य, प्राप्त (पउम १८, २८ से १२, ३७ सुख हुआ (महा) २, ६)। २ स्वस्थ बना हुआ (स १२०%
मानसिक शान्ति, चित्त-स्वस्थता (अणु १३६ समावड अक [समा + पत्] १ संमुख
सुपा ५४८)। सुर ६,६६)। पाकर पड़ना, गिरना । २ लगना। ३ सम्बन्ध समासय पुं[समाश्रय] पाश्रय, स्थान (पउम
समाहार पुं[समाहार] १ समूह, 'छद्दव्वकरना । समावडइ (भवि) ७, १६८ ४२, ३५)।
समाहारो भाविजइ एस जियलोमो' (श्रु समावडण न [समापतन] पड़ना, गिरना समासव सक [समा + स्त्र ] पाना,
११५)। 'दंद द्वन्द्व] व्याकरण-प्रसिद्ध (गउड)। प्रागमन करना । समासदि (द्रव्य ३१) ।
समास-विशेष (चेइय ६६०)।समावडिय वि [समापतित] १ संमुख समासस देखो समस्सस । कृ. समाससि- समाहारा स्त्री [समाहारा] १ दक्षिण रुचक आकर गिरा हुआ (सुर २, ६; सुपा २०३)। अव्व (से ११,६५)।
पर रहनेवाली एक दिक्कुमारी देवी (ठा २ बद्ध (प्रौप)। ३ जो होने लगा हो वह; समासाद (शौ) सक [ समा + सादय 1 -पत्र ४३६; इक)। २ पक्ष की बारहवीं 'समावडियं जुद्धं' (स ३८३; महा)। प्राप्त करना । समासादेहि (स्वप्न ३७) । कृ. रात्रि (सुज्ज १०, १४)। समावण्ण वि [समापन्न] संप्राप्त (सम समासादइदव्य (मा ३६)। संकृ. समा
समाहि पुंस्त्री [समाधि] १ चित की १३४ भग)। सज्ज, समासिज्ज (प्राचा १, ८,८०१
स्वस्थता, मनोदुःख का प्रभाव (सम ३७, समावत्ति स्त्री [समावाप्ति] समाप्ति, पूर्णता पि २१)।
उत्त १६, १; सुख १६, १; चेइय ७७७)। समासादिअ वि समासादित] प्राप्त (दस 'ते य समावत्तीए विहरता' (सुख २, ७)।
२ स्वस्थताः 'साहाहि रुक्खो लभते समाहि १, १ टी)। समावद सक [समा + वद्] बोलना, कहना।
छिन्नाहि सहाहि तमेव खाणु" (उत्त १४, समासासिय वि [समाश्वासित] जिसको समावदेजा (प्राचा १, १५, ५४)।
२६)। ३ धर्म। ४ शुभ ध्यान, चित्त की प्राश्वासन दिया गया हो वह (महा)।
एकाग्रता-रूप ध्यानावस्था (सूत्र १, १०, १; समावन्न देखो समावण्ण (स ४७६; उवा;
समासि सक [समा + थि] सम्यग् पाश्रय सुपा ८६)। ५ समता, राग मादि का प्रभाव ठा २,१-पत्र ३८ दस ५, २, २)।
करना। कर्म. समासिज्जइ, समासिज्जति (ठा १० टी-पत्र ४७४)। ६ श्रुतज्ञान। समावय देखो समावद। समावइजा (प्राचा | (णंदि २२६)।
७ चारित्र, संयमानुष्ठान (ठा ४, १-पत्र २, १५, ५) समासिज्ज देखो समासाद।
१६५)। ८ पुं. भरतक्षेत्र के सतरहवें भावी समावय देखो समावड । वकृ. समावयंत
समासिय वि[समाश्रित पाश्रय-प्राप्त (पउम (दस ६, ३, ८)।
तीर्थकर (सम १५४ पव ४६), पडिमा स्त्री ८०, ६४)।
[प्रतिमा] समाधि-विषयक व्रत-विशेष (ठा समाविअ वि [समापित पूर्ण किया हुआ समासिय वि समासित उपवेशित, बैठाया
४, १)। पाण न [पान] शक्कर आदि (गा ६१; दे ७, ४५)। हुमा (भवि)।
का पानी (भत्त ४०)। मरण न [मरण समास प्रक[सम् + आस ] १ बैठना। समासीण वि समासीन] बैठा हुमा
समाधि-युक्त मौत (पडि)। २ रहना। समासइ (भवि)। (महा)।
समाहिअ वि [समाहित] १ समाधि-युक्त समास सक [ समा+ अस.] अच्छी तरह समाटु देखो समाहर।
(सूत्र १, २, २, ४ सूअनि १०६, उत्त १६, फेंकना । कर्म. समासिज्जंति (णंदि २२६)। समाहड वि [समाहृत] १ विशुद्ध, निर्मल; १५; पउम १०, २४ प्रौपः महा)। २ अच्छी समास पू[समास] १ संक्षेप, संकोच (जीवस __ 'असमाहडाए लेस्साए' (प्राचा २, १, ३, ६)। तरह व्यवस्थापित । ३ उपशमित (भाचा १, १; जी २१)। २ सामायिक, संयम-विशेष २ स्वीकृत (राज)।
८, ६, ३)। ४ समापित (विसे ३५६३) । ५ (विसे २७६५)। ३ व्याकरण-प्रसिद्ध एक समाहय वि [समाहत] माघात-प्राप्त, माहत शोभन, सुन्दर । ६ मबीभत्स । ७ निर्दोष प्रक्रिया, अनेक पदों के मेल करने की रीति । (प्रौपः सुर ४, १२७; सण)।
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