Book Title: Paia Sadda Mahannavo
Author(s): Hargovinddas T Seth
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 940
________________ ८७० पाइअसद्दमहण्णवो समालोच-समाहि समालोच पुं[समालोच विचार, विमर्श (पएह २, २-पत्र ११४अणु; विसे समाहर सक [सभा + ह] ग्रहण करना। (उप ३६६)। १००३)। ४ समीप (दश वै० वृद्ध० पत्र)।- २ एकत्रित करना। संकृ. समाहटुटु (सूप समालोयण न [समालोचन] सामान्य अर्थ समासंग पृ [समासङ्ग] संयोग (गा १, ८, २६; १, १०, १५), समाहरिवि का दर्शन (विसे २७६)। ६६१?)। (अप) (भवि)। समाव सक [ सम् + आप्] पूरा करना।। | समासंगय वि [समासंगत] संगत, सम्बद्ध समाहविअ वि [समाहूत] माहुत, बुलाया समावेइ (हे ४,१४२)। कर्म, समप्पइ (हे। (रंभा) | हुमा (धर्मवि ६०) ४, ४२२)। समासज देखो समासाद। समाहाण न [समाधान] १ समाधि (उप समाजिय वि [समावजित] प्रसन्न किया समासत्थ वि [समाश्वस्त] १ प्राश्वासन ३२० टी)। २ औत्सुक्य-निवृत्ति रूप स्वास्थ्य, प्राप्त (पउम १८, २८ से १२, ३७ सुख हुआ (महा) २, ६)। २ स्वस्थ बना हुआ (स १२०% मानसिक शान्ति, चित्त-स्वस्थता (अणु १३६ समावड अक [समा + पत्] १ संमुख सुपा ५४८)। सुर ६,६६)। पाकर पड़ना, गिरना । २ लगना। ३ सम्बन्ध समासय पुं[समाश्रय] पाश्रय, स्थान (पउम समाहार पुं[समाहार] १ समूह, 'छद्दव्वकरना । समावडइ (भवि) ७, १६८ ४२, ३५)। समाहारो भाविजइ एस जियलोमो' (श्रु समावडण न [समापतन] पड़ना, गिरना समासव सक [समा + स्त्र ] पाना, ११५)। 'दंद द्वन्द्व] व्याकरण-प्रसिद्ध (गउड)। प्रागमन करना । समासदि (द्रव्य ३१) । समास-विशेष (चेइय ६६०)।समावडिय वि [समापतित] १ संमुख समासस देखो समस्सस । कृ. समाससि- समाहारा स्त्री [समाहारा] १ दक्षिण रुचक आकर गिरा हुआ (सुर २, ६; सुपा २०३)। अव्व (से ११,६५)। पर रहनेवाली एक दिक्कुमारी देवी (ठा २ बद्ध (प्रौप)। ३ जो होने लगा हो वह; समासाद (शौ) सक [ समा + सादय 1 -पत्र ४३६; इक)। २ पक्ष की बारहवीं 'समावडियं जुद्धं' (स ३८३; महा)। प्राप्त करना । समासादेहि (स्वप्न ३७) । कृ. रात्रि (सुज्ज १०, १४)। समावण्ण वि [समापन्न] संप्राप्त (सम समासादइदव्य (मा ३६)। संकृ. समा समाहि पुंस्त्री [समाधि] १ चित की १३४ भग)। सज्ज, समासिज्ज (प्राचा १, ८,८०१ स्वस्थता, मनोदुःख का प्रभाव (सम ३७, समावत्ति स्त्री [समावाप्ति] समाप्ति, पूर्णता पि २१)। उत्त १६, १; सुख १६, १; चेइय ७७७)। समासादिअ वि समासादित] प्राप्त (दस 'ते य समावत्तीए विहरता' (सुख २, ७)। २ स्वस्थताः 'साहाहि रुक्खो लभते समाहि १, १ टी)। समावद सक [समा + वद्] बोलना, कहना। छिन्नाहि सहाहि तमेव खाणु" (उत्त १४, समासासिय वि [समाश्वासित] जिसको समावदेजा (प्राचा १, १५, ५४)। २६)। ३ धर्म। ४ शुभ ध्यान, चित्त की प्राश्वासन दिया गया हो वह (महा)। एकाग्रता-रूप ध्यानावस्था (सूत्र १, १०, १; समावन्न देखो समावण्ण (स ४७६; उवा; समासि सक [समा + थि] सम्यग् पाश्रय सुपा ८६)। ५ समता, राग मादि का प्रभाव ठा २,१-पत्र ३८ दस ५, २, २)। करना। कर्म. समासिज्जइ, समासिज्जति (ठा १० टी-पत्र ४७४)। ६ श्रुतज्ञान। समावय देखो समावद। समावइजा (प्राचा | (णंदि २२६)। ७ चारित्र, संयमानुष्ठान (ठा ४, १-पत्र २, १५, ५) समासिज्ज देखो समासाद। १६५)। ८ पुं. भरतक्षेत्र के सतरहवें भावी समावय देखो समावड । वकृ. समावयंत समासिय वि[समाश्रित पाश्रय-प्राप्त (पउम (दस ६, ३, ८)। तीर्थकर (सम १५४ पव ४६), पडिमा स्त्री ८०, ६४)। [प्रतिमा] समाधि-विषयक व्रत-विशेष (ठा समाविअ वि [समापित पूर्ण किया हुआ समासिय वि समासित उपवेशित, बैठाया ४, १)। पाण न [पान] शक्कर आदि (गा ६१; दे ७, ४५)। हुमा (भवि)। का पानी (भत्त ४०)। मरण न [मरण समास प्रक[सम् + आस ] १ बैठना। समासीण वि समासीन] बैठा हुमा समाधि-युक्त मौत (पडि)। २ रहना। समासइ (भवि)। (महा)। समाहिअ वि [समाहित] १ समाधि-युक्त समास सक [ समा+ अस.] अच्छी तरह समाटु देखो समाहर। (सूत्र १, २, २, ४ सूअनि १०६, उत्त १६, फेंकना । कर्म. समासिज्जंति (णंदि २२६)। समाहड वि [समाहृत] १ विशुद्ध, निर्मल; १५; पउम १०, २४ प्रौपः महा)। २ अच्छी समास पू[समास] १ संक्षेप, संकोच (जीवस __ 'असमाहडाए लेस्साए' (प्राचा २, १, ३, ६)। तरह व्यवस्थापित । ३ उपशमित (भाचा १, १; जी २१)। २ सामायिक, संयम-विशेष २ स्वीकृत (राज)। ८, ६, ३)। ४ समापित (विसे ३५६३) । ५ (विसे २७६५)। ३ व्याकरण-प्रसिद्ध एक समाहय वि [समाहत] माघात-प्राप्त, माहत शोभन, सुन्दर । ६ मबीभत्स । ७ निर्दोष प्रक्रिया, अनेक पदों के मेल करने की रीति । (प्रौपः सुर ४, १२७; सण)। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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