Book Title: Paia Sadda Mahannavo
Author(s): Hargovinddas T Seth
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 1010
________________ 640 पाइअसहमहण्णवो हत्थिअचक्खु-हर बौद्ध साधु-विशेष, हाथी को मारकर उसके हत्थुत्तरा स्त्री [हस्तोत्तरा] उत्तराफाल्गुनी 2 वि. उसह निवासी मनुष्य (इका ठा 4, मॉस से जीवन-निर्वाह करने के सिद्धान्तवाला नक्षत्र (कप्प) २-पत्र 226) / 3 एक प्रनायं देश (पव संन्यासी (प्रौप; सूअनि 160), नायपुर हत्थुल्ल देखो हत्थ (हे 2, 164 षड् ) / - / 274), "मुह [मुख 1 एक अन्तर्वीप भगवान महावीर के समय का पावापुरी का आभूषण / 2 हस्त-प्राभृत, हाथ से दिया हय देखो हिअ%D हृत (महा; भविः राय एक राजा (कप्प) / "पिप्पली , स्त्री जाता उपहार (दे 8, 73) / ["पिप्पली] वनस्पति-विशेष (उत्त 34, हथलेव पुं[दे] हस्त-ग्रहण, पारिण-ग्रहण ह्य देखो हर %द्रह / पोंडरीय [ पुण्ड११) मुह पू[मुख] 1 एक अन्तर्वीप / (सिरि 158) / रीक] पक्षि-विशेष (पएह 1, १-पत्र 8) / 2 वि. उसका निवासी मनुष्य (ठा 4, 2- हद देखो य = हत (प्राप्र प्राकृ 12) / हय देखो भय (गा 380) / पत्र 226; इक) रयण न ["रत्न] उत्तम हदपू[दे बालक का मल-मूत्रादि (पिंड हयमार पुं [दे. हतमार] कणेर का गाछ हाथी (प्रौप) राय पुं [ राज] उत्तम हद्द) 471) (पान)। हाथी (सुपा 426), 'वाउय पुं[व्यापृत] | हद्धय पुं[दे] हास, विकास (दे 8, 62) हर सक [ह] 1 हरण करना, छीनना। 2 महावत (औप) वाल देखो पाल (कप्प)। हद्धि। [हा धिक् ] 1 खेद / 2 अनुताप प्रसन्न करना, खुश करना। हरइ (हे 4, 'विजय न [विजय] वैताब्य की उत्तर हद्धी (प्राकृ 76 षड़: स्वप्न 61 नाट- 2340 उव; महा)। कर्म. हरिजइ, हीरइ, श्रेरिण का एक विद्याधर-नगर (इक) सीस | शकु 66; हे 2, 162) / हरीप्रइ, होरिज्जइ (हे 4, 250; धात्वा न [शीर्प] एक नगर, जो राजा दमदन्त | हमार (अप) वि [अस्मदीय] हमारा, हमसे | 157) / वकृ. हरंत (पि 367) / कवकृ. की राजधानी थी (उप 648 टी), सुंडिया | संबन्ध रखनेवाला (पिंग)। हीरंत, हीरमाण (गा 105; सुर 12, देखो सोंडिगा (राज)। सोंड पुं | हमिर देखो भमिर (पि 188) / 111, सुपा 635) / संकृ. हरिऊग शौण्ड] त्रीन्द्रिय जन्तु-विशेष (परण हम्म सक [हन् वध करना / हम्मइ (हे 4, | (महा)। हेकृ. हरिउ (महा)। कृ. हिज, १--पत्र 45), सोडिगा स्त्री [ शुण्डिका] | 244; कुमाः संक्षि 34, प्राकृ 68) / हेज (पिंड 446; 453) / पासन-विशेष (ठा 5, 1 टी-पत्र 266) हम्म सक [हम्म् ] जाना। हम्मइ (हे 4, हत्थिअचक्खु न [दे] वक्र अवलोकन (दे हर सक [ग्रह ] ग्रहण करना, लेना। हरइ (हे 4, 206) / 8, 65) हम्म न [हये] क्रीड़ा-गृह (से 6, 43) / हत्थिश्चग वि [हस्तीय, हस्त्य] हाथ का, हम्म देखो हण = हन् / हर सक [8] मावाज करना। हरह (से हाथ-संबन्धी (पिंड 424) / हम्मार देखो हमार (पिंग)। हत्थिणउर / न [हस्तिनापुर नगर-विशेष हर पुं[हर] 1 महादेव, शंकर (सुपा 363, हम्मिअ वि [हम्मित] गत, गया हुआ (स हथिणपुर / (ठा १०-पत्र 477; सुर | 743) / कुमाः षड् हे 1, 51 गा 687 764) / हस्थिणाउर | 10, 155, महा; गउड सुर हम्मिअ न [दे. हयं] गृह, प्रासाद, महल 2 छन्द-विशेष (पिंग), मेहल न [ मेखल] हस्थिणापुर 1, 64; नाट-शकु 74; कला-विशेष (सिरि 56) / वल्लहा स्त्री (दे 80 62; पाम सुर 6, 150; प्राचा 2, अंत)।.. [°वल्लभा] गौरी, पार्वती (सुपा 597) / 2,1,10) हस्थिणी देखो हस्थि / हम्मीर पुं [हम्मीर] विक्रम की तेरहवीं हर पुं[हृद] द्रह, बड़ा जलाशय (से 6, हस्थिमल [दे] इन्द्र-हस्ती, ऐरावण हाथी शताब्दी का एक मुसलमान राजा (ती 5; हम्मीर 27; पिंग)। हर देखो घर = गृह; 'ता वच्च पहिय मा मग्ग हस्थियार न [दे] 1 हथियार, शस्त्र (धर्मसं हय वि[हत] जो मारा गया हो वह (औप; | वासयं एत्थ मज्झ हरे (वज्जा 100; कुमाः 1022; 1104; भवि)। 2 युद्ध, लड़ाई; सुपा 363; हे 2, 144) / से 2, 11; महा)। माकोड पुं[मरकोट] ता उद्धेहि संपयं करेहि हथियारं ति', 'देव, एक विद्याधर-नरेश (पउम 10, 20) "स हर देखो धर = घृ। कृ. हरेअव्व (से 6, कोइस देवेण सह हथियारकरणं' (स 637; | वि [श] निराश (पउम 61, 74; गा 281; हे 1, 206; 2, 165; उव)। हर देखो भर = भर (पउम 100, 54. सुपा हत्यिालजन [हस्तिलीय] एक जैन-मुनिहय ऍ [य] अश्व, घोड़ा (प्रौप; से 2, 11, 432) / बुल (कप्प) कुमा)। कंठ पुं कण्ठ] रत्न-विशेष, हर वि [हर] हरण-कर्ता (सण)। इयिय [द] ग्रह-भेद (दे 8, 63) / प्रश्व के कंठ जितना बड़ा रत्न (राय 67) / हर वि [धर] धारण करनेवाला (गा 315; इंथिहरिह [दे] वेष (दे 8, 64) / कण्ण, कन्न पुं[कर्ण] 1 एक अन्तर्वीप। 365) / Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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