Book Title: Paia Sadda Mahannavo
Author(s): Hargovinddas T Seth
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 1009
________________ हण-हत्थि पाइअसद्दमहण्णवो भवि. हम्मिहिइ, हरिणहिइ (हे ४, २४४) । नगर-विशेष (पउम १,६१, १७, ११८)। हत्थंदु । पुन [हसान्दुक] हाथ बांधने वकृ. हणंत (प्राचाः कुमा)। कवकृ. हण्णु, "व, "वंत देखो म (पउम ४७, २५, ५०, हत्थंदुय) का काठ आदि का बन्धन-विशेष हणिजमाण, हम्मत, हम्ममाण (सूम १, ६ उप पृ ३७६)। (पिंड ५७३, विपा १, ६--पत्र ६६)। २, २, ५; श्रा १४; सुर १, ६९; विपा १, हणुया स्त्री हनुका] १ ठुड्डी, ठोढ़ी, दादी हत्थच्छुहणी स्त्री [दे] नव-वधू, नवोढ़ा (दे २--पत्र २४ पि ५४०)। संकृ. हंता, (अनु ५) । २ दंष्ट्रा-विशेष दाढ़ा-विशेष हेतूण, हंतूणं, हत्तूण, हणिऊण, हणिअ (उवा)। हत्थड (प्रा) देखो ह्त्य (हे ४, ४४५, पि (प्राचा; प्रासू १४७, प्राकृ ३४; नाट)। हणू स्त्री [हनू] देखो हणु (पि ३६८ ३६६)। ५६६)। हेक्. हं, हणि' (महाः उप पृ ४८) । - हण्णु देवो हण = हन् । हत्थय न [हस्तक] कलाप-समूह (दश कृ. हंतव्य (से ३, ३, हे ४, २४४; अगस्त्य० सूत्र ५१ पत्र ८१)। हत्त देखो हय = हत (पि १९४; ५६५) । प्राचा)। हत्यल पुं[दे] १ क्रीड़ा के लिए हाथ में लो हत्तरि देखो सत्तरि (पि २६४)। हण सक [0] सुनना । हणइ (हे ४, ५८)। हुई चीज । २ वि. हस्त-लोल, चञ्चल हाथहत्त वि [हत] हरण-कर्ता (प्राकृ २०)। वाला (दे ८, ७३)। हण वि [दे] दूर, अनिकट (दे ८, ५६)। हत्तूण देखो हण = हन् । हत्थल वि [हस्तल] १ खराब हाथवाला । हण देखो हणण; "हणदहणपयणमारण २ पुं. चोर, तस्कर (पएह १, ३-पत्र (पउम ८, २३२)। हत्य वि [दे] १ शीघ्र, जल्दी करनेवाला (दे ८, ५६)। २ क्रिवि. जल्दी (प्रोप)। हण देखो धण = धन (गा ७१५; ८०१)। हत्यलिज्ज देखो हथिलिज (राज)। हत्थ पुंन [हत] १ हाथ; 'अत्थित्तणेण हणण न [हनन] १ मारण, वध, घात (सुपा हत्थल्ल वि[दे] क्रोड़ा से हाथ में लिया हुआ हत्थं पसारियं जस्स कराहेणं' (वज्जा १०६; २४५, सण)। २ विनाश (पएह २, ५ आचाः कप्पः कुमाः दं ६)।२ पुं. नक्षत्रपत्र १४८)। ३ वि. वध-कर्ता । स्त्री. °णी हत्यल्लिअ वि [दे] हस्तापसारित, हाथ से विशेष (सम १०, १७)। ३ चौबीस अंगुल हटाया हया (दे८,६४)। (कुप्र २२)। का एक परिमाण । ४ हाथी की ढूंढ (हे। | हत्यल्ली स्त्री [दे] हस्त बृसी, हाथ में स्थित हणिअ वि [हत] जिसका वध किया गया हो २, ४५ प्राप्र)। ५ एक जैन मुनि (कप्प)। श्रासन-विशेष (दे ८, ६१)। वह (श्रा २७ कुमाः प्रासू १६; पिंग)। कप्प न [कल्प] नगर-विशेष (णाया १, हत्यार न [दे] सहायता, मदद (दे ८, ६०)। हणिअ देखो हण = हन् । १६--पत्र २२६; पिड ४६१)। कम्म न हत्थारोह पुं [हत्यारोह] हस्तिपक, हाथी हणिअ वि [श्रुत] सुना हुआ (कुमा)। [कर्मन् हस्त-क्रिया, दुश्चेष्टा-विशेष (सूत्र १, ६, १७; ठा ३, ४-पत्र १६२; सम का महावत (विपा १, २-पत्र २३)। हणिद देखो हिणिद (गा ६६३)। ३६; कस)। 'ताड, ताल पुं [ताड] | हत्थावार न [दे] सहायता, मदद (भवि)। हणिर वि [हन्तु] वध करनेवाला (सुपा हाथ से साड़न (राजा कस ४, ३ टि)। पहे- हत्थाहत्थि स्त्री [हस्ताहस्तिका] हाथोहाथ, लिअ स्त्रीन [प्रहेलिक] संख्या-विशेष, | एक हाथ से दूसरे हाथ (गा १७६)। हणिहणि) अ [अन्यहनि] १ प्रतिदिन, शीर्षप्रकम्मित को चौरासी लाख से गुणने पर हत्थाहत्थि अ. ऊपर देखो (गा २२६; ५८१; हणिहणि हमेशा (पएह २, ३-पत्र जो संख्या लब्ध हो वह (इक) । पाहुड न पुष्फ ४६३)। १२२) । २ सर्वथा, सब तरह से (पएह २, [प्राभृत हाथ से दिया हुआ उपहार (दे हथि पुंस्त्री [हस्तिन्] १ हाथी (गा १:६; ५---पत्र १४८)। ८, ७३)। °मालय न [ मालक] आभरण- कुमा; अभि १८७)। स्त्री. 'णी (णाया १, हणु वि [दे] सावशेष, बाकी बचा हुअा (दे विशेष (प्रौप) । लहुत्तण न [लघुत्व] १ १ -पत्र ६३)। २ पुं. नृप-विशेष (ती १४)। ८, ५६ सरण)। हस्त-लाघव । २ चोरी (पराह १, ३-पत्र °आरोह [आरोह] हाथी का महावत हणु पुंस्त्री [हनु] चिबुक, होठ के नीचे का ४३) । °सीस न [शीर्ष] नगर-विशेष (धर्मवि १६)। कण्ण, कन्न पुं [कर्ण] भाग, ठुड्डी, ठोढ़ी, दाढ़ी (माचा; पण्ह १, (णाया १,१६-पत्र २०८)। भरण न | २ एक अन्तर्वीप। २ वि. उसका निवासी ४-पत्र ७८)। अ, म, मंत, यंत पु -[भरण] हाथ का गहना (भग)। याल मनुष्य (इक ठा ४, २--पत्र २२६)। [मत् ] हनुमान्, रामचन्द्रजी का एक पंताड] देखो ताड (कस)। लंब कप्प न [कल्प] देखो हत्य-कप्प प्रख्यात अनुचर, पवन तथा प्रजनासुन्दरी j [लम्ब] हाथ का सहारा, मदद (से (राज)। गुलगुलाइय न [गुलगुलायित] का पुत्र (पउम १, ५६१७, १२१, ४७, १, १६, सुर ४, ७१; कस)। हाथी का शब्द-विशेष (राय) । णागपुर न २६) हे २, १४६) कुमाः प्राप्रः पउम १६, हत्थंकर पुं[हस्तङ्कर] वनस्पति-विशेष [ नागपुर] नगर-विशेष, हस्तिनापुर (उप १५, ५६, २१)। रुह, रूह न [रुह] (प्राचा २, १०, २)। ६४८ टी सण)। तावस ऍ[तापस] Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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