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सह-सहिअय पाइअसहमहण्णवो
५ 'यर (कुमा) J°चरण न [°चरण] सहबर, सहस देखो सहस्स (श्रा ४४, पि ६२: सहस्संदवण न [सहस्राम्रवण] एक उद्यान, साथ रहना, मेलापः 'रयणनिहाणेहिं भवउ ६६) किरण पुं [किरण] सूर्य, रवि प्राम के प्रभूत पेडोंवाला वन (णाया, १,८-- सहचरण' (श्रु८४) । ज पुं [ज] १ (सम्मत्त ७६) क्ख [क्ष] १ इन्द्र . पत्र १५२; अंतः उवा) । स्वभाव (कुमाः पिंग)। २ वि. स्वाभाविक (सुपा १३०)। २ रावण का एक योद्धा सहस्सार सहस्त्रार] १ माठव' देवलोक (चेइय ४७१)-4 जाय वि [जात एक (पउम ५६, २६) । ३ छन्द-विशेष (पिंग)। (सम ३५; भग; अंत)। २ पाठवें देवलोक साथ उत्पन्न (गाया १, ५–पत्र १०७)
का इन्द्र (ठा २, ३--पत्र ८५)। ३ एक सहसक्कार पुं[सहसाकार] १ विचार किए "देव [देव १ एक पाण्डव, माद्री-पुत्र
देस विमान (देवेन्द्र १३५) । वसिय पुन विना करना (प्राचा)। २ आकस्मिक क्रिया, (धर्मवि ८१) । २ राजगृह नगर का एक
[वितंसक] एक देव-विमान (सम ३५) ।। अकस्मात् करना (भग २५, ७---पत्र ६१६)। राजा (उप ६४८ टी) देवा स्त्री [देवा]
सहा बी [सभा] समिति, परिषत् (कुमाः ३ वि. विचार किए बिना करनेवाला ओषधि-विशेष (धर्मवि ८१) "देवी स्त्री
स १२६, ५१६; सुपा ३८४) सय वि (प्राचा) ["देवं] १ चतुर्थ चक्रवर्ती की माता (सम
[सद] सभ्य, सदस्य (पानः स ३८५) । १५२. महा)। २ एक महौषधि (ती ५) सहसांत्त प्र. अकस्मात्, शीघ्र, जल्दी, तुरन्त सहा देखो साहा - शाखा (गा २३०) धम्मआरिणी स्त्री धर्मचारिणी पत्नी, (पाप; प्राकृ८१) ।
सहाअ देखो स-हाअ- स्व-भाव - भार्या (प्रति २२)-1 सुकीलिअ वि. सहसा असहसा अकस्मात्, शोघ्र, जल्दी
सहाअ पुं[सहाय] साहाय्य-कर्ता (गाया [°पांशुक्रीडित बाल-मित्र (सुपा २५४ (पान; प्रासू १५१: भवि) । वित्तासिय १,२-पत्र ८८; पाम से ३, ३स्वप्न पाया १,५-पत्र १०७)। य देखो ज
न [वित्रासित] अकस्मात् स्त्री के नेत्र-स्थ- १०६: महाः भग)। (चेइय ४४६ राज) यर वि [चर] १ गन प्रादि क्रीडा (उत्त १६,६)
सहाइ बिसाहारियन्] ऊपर देखो (सिरि, सहाय, साहाय्य-कर्ता । २ वयस्य, दोस्त ।
६७; सुपा ५६३) सहस्स पुंन [सहस्र] १ संख्या-विशेष, दस ३ अनुचर (वायः कुप्र २। अन्तु १०%
सहाइया स्त्री [सहायिका] मदद करनेवाली
म सौ,१०००। २ वि. हजार की संख्यावाला (उवा) नाट--शकु ६१), यरी श्री [चरी]
(जी २७; ठा ३.१ टी-पत्र ११६ प्रासू ४ सहार देखो सहर = सह-कार । पत्नी, भार्या (कुप्र १५१; से ८, ६६) 'यार देखो कार (पामः हे १, १७७) कुमा) । ३ प्रचुर, बहुत (कप्पा आवमः हे
सहाव देखो स-हाव = स्व-भाव । २,६६८) "किरण 'राग वि [ राग] राग-सहित (पउम १४,
[किरण] १ सूर्य, रवि (सुपा ३७)। २ एक राजा (पउम १०,
| सहास देखो सहस्स (भवि) हुत्तो प्र ३) र देखो कार (पउम ५३, ७६)। ३४) क्ख पुं [T] इन्द्र, देवाधिपति
[कृत्वस ] हजार बार (षड् )। सह देखो सहा = सभा (कुमा)।
(कप्पः उत्त ११, २३)। णयण, 'नयण सहामय देखो सहा-सपसभा-सद । सहउत्थिया स्त्री [दे] दूती (दे ८, ६)
पुं[नयन] १ इन्द्र (उव; हम्मीर ५ स वि [सखि] मित्र, दोस्त (पामः उर सहगुह पुं[द] घूक, उल्लू, पक्षि-विशेष (दे।
महा) । २ एक विद्याधर राज-कुमार (पउम २. ६) । देखो सही ।
५, ६७)। पत्त प्र पत्र] हजार दन- सहि देखो सही (कुमा)। सहडामुह न शिजटामुख] वैताट्य की
वाला कमल (कप्प) पाग पुन [पाक उत्तर श्रेरिण में स्थित एक विद्याधर-नगर
सहिअ विसोढ सहन किया हुअा (से १, हजार प्रोषधि से बनता एक प्रकार का तैल हजार प्राषाय सबनता एका
५५, धात्वा १५५) । (णाया १,१-पत्र १९; ठा ३, १--पत्र । सहण अदे] सह, साथ में (सूत्र० चूणि ११०) रस्सि पु[संश्म] सूर्य, रवि ।
सहिन वि सहित] १ युक्त, समन्वित (उव; गा० २५७) । (णाया १,१-पत्र १७, भगः रयण ८३)
कुमा; सुपा ६१)। २ हित-युक (सूत्र १, सहण न सहन] १ तितिक्षा, मर्षण । २ 'लोयण पु लोचन] इन्द्र (स ६२२)।
२. २, २३) । ३ . ज्योतिष्क ग्रह-विशेष वि. सहिष्ण, सहन करनेवाला (सं २६)
(ठा २, ३-पत्र ७७)। 'सिर वि [°शिरस ] १ प्रभूत मस्तकसहर पुंस्त्री शिकर] मत्स्य, मछली (पाम; बाला । २ पुं विष्णु (हे २, १९८) । वत्त
सहि पूं [सभिक] द्यूत-कारक, जुना गउड)। स्त्री. (हे १, २३६; गउड)। देखो पत्त (से ६, ३८; सुपा ४६), सो
खेलनेवाला (दे ६, ४२ पानः सुपा ४८८)। सहर विदि साहाय्य-कर्ता, सहाय; 'न तस्स
अ[शस ] हजार-हजार, अनेक हजार सहज देखो स-हिअ = स्व-हित ।। माया न पिया न भाया, कालम्मि तम्मि
(श्रा १२) हा अ [धा] सहस्त्र प्रकार से सदा देखो सह - सह । (?म्मी) सहरा भवंति' (वै ४३)।. (सुपा ५३) हुत्तं [कत्वस ] हजार सहिअ । वि [सहृदय] १ मुन्दर चित्तसहल वि सफल] फल-युक्त, सार्थक (उप बार (प्रातः हे २, १५८)। देखो सहस, सहिद वाला । २ परिपक्व बुद्धिवाला १०३६ टी हे ।। २३६; कुमाः स्वप्न १६) सहास।
(हे १,२६६ दे १,१, काप्र ५२१)।
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