Book Title: Paia Sadda Mahannavo
Author(s): Hargovinddas T Seth
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 991
________________ सुरइ-सुरिंद पाइअसहमहष्णवो ६२१ स्त्री ["तरङ्गिणी] गंगा नदी (सण) + तरु विद्याधर-नरेश (पउम ८, ४१) सुंदरी कुम्मा १४) । ४ पुंन. एक देव-विमान देखो अरु (सण) - ताण पु[त्राण] स्त्री [सुन्दरी] १ देव-वधू, देवाङ्गना (सुर (देवेन्द्र १४०) गंध वि [गन्ध सुगन्धी यवननृप, सुलतान (ती १५)4 दारु न ११, ११५; सुपा २०.)। २ एक राज- (प्राचा) पुरन [पुर] नगर-विशेष [°दारू] देवदार की लकड़ो (स ६३३) पुत्री (सुर १२. १४३)। ३ एक राज-कुमारी (राज)। देखो सुरहि। 'धंसी स्त्री [ध्वंसिनी] विद्या-विशेष (पउम । (सिरि ५:) सुरहि स्त्री [सुरमि] काम- सुमी वि सुरमणीय अत्यन्त मनोहर ७, १३७) । धणु, धणुह न [वनुष्] घेनु (रयण १३) °सेल पु [शैल] मेरु (सुर ३, ११२) । इन्द्र-धनुष (कूमाः सरण)। नई देखो गई पर्वत (सुपा १३) हात्थ पुहास्तन्म रमा विसरमा पर देखो (श्र ७७) 'नाह देखो माह (सरण) ऐरावण हाथी (से ६, ६) उह न सुरय न [सुरत मैथुन, स्त्री-संभोग (सुर १३, पहु पु[प्रभु] इन्द्र, देव-राज (सुपा ५.२ [आयुध वज्र (पाभ) देव पुगदेव २०; गा १५५; काप ११३) । उप १४२ टोः सण) । "पुर न [पुर] देव- एक श्रावक का नाम (उवा) देवी स्त्री पुरी, अमरावती, स्वर्ग (पउम ५., १ सण)- देवो पश्चिम रुवक पर रहनेवाली एक सुरयण न सुरत्न] सुन्दर रत्न (सुपा ३२७) "पुरी स्त्री [पुरी] वही अर्थ (पान कुमा) दिशा-कूमारी देवी (31८--पत्र ४७६; इक) सुयरणा सुरवना] सुन्दर रचना (सुपा "प्पिअ [प्रय] एक यक्ष (अंत) बंदी रि पु[रि] राक्षसवंश का एक राजा, ३२) । स्त्री [°बन्दी] देवी, देव-स्त्री (से ६, ५०) एक लंका-पति (पउम ५, २६२) "लय सुरस विसुरस] १ सुन्दर रसवाला (गाया भवण न [भवन] देव-प्रासाद (भगः पुंन [लय स्वर्ग (पामः सून १,६, ६ १, १२-पत्र १७४)। २ न. तृण विशेष सण) । मंति [मन्त्रन] बृहस्पति सुपा ५६६) हिराय पु[धिराज] (दे १, ५४) °लया स्त्री ["लता] तुलसी(सुपा ३२६). मंदिर न मन्दिर] १ इन्द्र (उप १४२ टी) हिव पुं[धिप] लता (दे ५, १४) देहरा, मन्दिर (कुप्र ४)। २ देव-विमान इन्द्र (से १५,५३) हिवइ पुं[धिपति] सुरसुर पुं[सुरसुर ध्वनि-विशेष, सुर सुर' (सण) मुणि पुं [मुनि] नारद मुनि वही (सुपा ४६) आवाज (ोय २८१)। (पउम ६०, ८) रमण न [रमण] सुरइ स्त्री [सुरति सुख (पएह १, ४-पत्र सुरसुर अक [सुरसुराय ] 'सुर सुर' रावण का एक बगीचा (पउम ४६, ३७) M६८) आवाज करना। वकृ. सुरसुरंत (गा ७४) ।। 'राय [ राज] इन्द्र (सुपा ४५; सिरि सरड्य वि [सुरचित] अच्छी तरह किया सुरह सक[सुरभय । सुगन्धित करना। २४) "रिउ पुरिपु दैत्य, दानव हुप्रा (पएह १, ४--पत्र ६८) सुरहेइ (कुमाः प्रासू ६)। (पान) लोअg[लोक स्वर्ग (महा) Mainm बोराडना देव-बध (सूपा सुरह पुंन [मौरभ] सुन्दर गन्ध, खूशबू; लोइय वि लौकिक] स्वर्गीय (पुप्फ २४६) 'गंधोविन सुरहो मालईइ मलणं पुण २५८)। लोग देखो लोअ (पउम ५२, सुरंगा स्त्री [सुरङ्गा] सुरंग, जमीन के भीतर विणासो' (भत्त १२१) १८) व [पति१ इन्द्र, देव-राज 26 महाः सपा ४५४) सुरह सुरथ साक्तपुर का एक राजा (पान सुपा ४४, ४८, ८८, ४०२) । २ सुरंगि पुंस्त्री [द] वृक्ष-विशेष, शिग्रु वृक्ष, (महा) इन्द्र नामक एक विद्याधर-नरेश (पउम ७, २७) सुरहि पुत्री सुरभि] १ वसंत ऋतु (रंभा; सहिजना का गाछ (दे ८, ३७) । वण्ण पुंन [वर्ण] एक देव विमान पान; कप्पू)। २ चैत्र मास (गा १०००)। (सम १०) वधू देखो वह (पि ३८७) सुरजेट धू[दे] वरुण देवता (दे ८, ३१) ३ वृक्ष-विशेष, शतदु वृक्ष (प्राचा २, ६, ८, 'वन्नी स्त्री [प] 'नाग वृक्ष (पाप)। सुरह . ब. मुराष्ट्र एक भार 3)। ४ स्त्री. गौ, गैया (रयण १३, धर्मवि "वर व उत्तम देव भ ज न आजकल काठियावाड़ के नाम से प्रसिद्ध है ६५; पामः प्रामू १६८)। ५ न. नाम-कर्म [वरेन्द्र] इन्द्र, देव-राज (था ०७)। (गाया १, १६-~-पत्र २०८ हे २, ३४; का एक भेद, जिसके उदय से प्राणी के शरीर वहू स्त्री [°वधू] देवाङ्गना, देवी (कुमा)। पिंड २०२) ।। में सुगन्ध उत्पन्न होती है (कम्म १, ४१)। वारण [वारण] ऐरावण हस्ती (उप सुरणुचर वि [स्वनुचर] सुख से करने योग्य ६ वि. सुगन्ध युक (उवाः कुमाः गा ३१७; २११ टी) संगीय न [ संगीत] नगर- (ठा ५, १-पत्र २६६) ।। ३६६: सुर ३, ३६ हे २, १५५)। देखो विशेष (पउम ८, १८) सरि स्त्री सुरत । देखो सुरय (पउम १६, ८०; संक्षि सुरभित्र ["सरित् ] भागीरथी, गङ्गा नदी (गउड सुरद । प्राकृ १२) सुरा स्त्री [सुरा] मदिरा, दारू (उवा) रस उप पृ ३६; सुपा ३३, २८६) सिहरि सुरभि पुत्री [सुरभि] १ वसन्त ऋतु । २ पुरस] समुद्र-विशेष (दीव)। [शिखरिन] मेरु पर्वत (सण), सुंदर स्त्री. गौ, गैया (कुम्मा १४) । ३ वि. सुगन्ध- सुरिंद पुं [सुरेन्द्र] १ इन्द्र, देव-स्वामी (सुर पुं [सुन्दर] रथचक्रवाल-नगर का एक युक्त, सुगंधी (सम ६० गा ८६१; कप्पा २, १५३; गउड; सुपा ४४)। २ एक १५६ २५८ वा पति१ २०२) । २ मुरंगि उनी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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