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सुसिलिट्ठ - सुहंभर
सुसिलिट्ठ
संबद्ध (सुर १० ८२३ पंचा १८, २३ ) |
[ सुश्लिष्ट ] सुसंगत, प्रति
सिस [सुशिष्य ] उत्तम चेला (उप
पृ ४०६) ।
सुसीज [सुमीत] [पति शीतल (कुमा) सुसीम न [ सुसीम ] नगर- विशेष (उप
७२८ टी)
सुसीमा श्री [सुसीमा ] १ भगवान् पद्मप्रभ की माता (सम १५१ ) । २ कृष्ण वासुदेव की एक पत्नी ( अंत १५) । ३ वत्स नामक विजय क्षेत्र की एक राजधानी (ठा २, ३- पत्र ८० ) IV
सुखोन्द्र म] [सुशीख]
उत्तम स्वभाव (म १४, ४४ ) । २ वि. उत्तम स्वभाववाला, सदाचारी (शा) [व] सदाचारी (पउम १४; ४४ प्रासू ३६) सुसु [ [ [शिश ] बच्चा, बालक मार पुं [" मार] जलचर प्राणी की एक जाति, महिषाकार मत्स्य विशेष ( पि ११७ ) । मारिया स्त्री [मारिका ] वाद्य-विशेष (राय ४६) सुमार । सुरज पुंग [सुसूर्य] एक देव-विमान (सम
१५) । -
सुसुमार [सुसुमार] जलचर जन्तु की एक जाति (जी २ ) । देखो सुसु-मार सुमुध[सुसुगन्ध] १ सुगन्धी अत्यन्त ( पउम ६, ४१ गउड ) । २ पुं. प्रत्यन्त खुशबू (गउड) 1
सुसुर देखो ससुर (धर्मवि ११४ सिरि २२४२४ ३४००१८८)
सुसूर म [सुसूर] एक देव-विमान (सम 80) 1~
पाइअसहमणव
सुसोह वि [ सुशोभ ] अच्छी शोभावाला (सुपा २७५) ।
सुसोहिय वि [ सुशोभित ] शोभा संपन्न,
समलंकृत ( उप ७२८ टी) IV
सुरसूसणया स्त्री [शुश्रूषणा ] ऊपर देखो सुसुकर [सुशुभङ्कर ] छन्द का एक भेद सुम्सुमणा ( उत्त २६, १ श्रपः गाया (पिंग) १, १३ – पत्र १७८) IV
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मुख [ [ [प] सूखा
(सूच
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१, २, १, १६) । वक्कू. सुस्संत (स १६६) । सुसमण [सुक्षमण उत्तम दा सुस्सर वि[सुस्वर ] सुन्दर आवाजबाला (सुपा २८९) । देखो सुमर 1 सुसरा स्त्री [सुस्वरा ] गीतरति तथा गीतयश नाम के गन्धर्वेन्द्रों की एक एक श्रग्रमहिषी का नाम (ठा ४, १ पत्र २ ४६ इक) सुरसार वि[सुसार ] सार-युक्त (वि) 1 सुस्सा देखो सुसाबग (उव श्रा १२ ) सुरसाय सुसी देखो सुनी (मृषा ११० ५०० ० ) | सुरसुग देखो सुसुअ (राज) 1 सुस्सुयाय अक [ सुसुकाय, सूत्कार ] सु सु श्रावाज करना, सूत्कार करना । संकु. सुरसुयाइन्ता (उत्त २७, ७) 1 सुरसूत्री [व] सासू (बृह २) | सुरसूख तक [शुश्रू] सेवा करना। सुस्सूसइ ( उब महा) । कु. सुस्सू संत, सुस्सुसमाण ( कुलक ३४; भग; औप ) कृ. सुस्सूसिदुं (शौ ) ( मा ३६ ) IV सुरसूस वि[ष] सेवा करनेवाला (कप्पू)
सुरण
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[शुश्रूषण] देश, शुश्रूषा (प्र २४७ रत्न २१ )
सुस्सा श्री [शुपा]] ऊपर देखो (पा १२७)
सुसे
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[सुपेण] १ सुग्रीव का श्वसुर (से ४, ११, १३, ८४) । २ एक मंत्री ( विपा १, ४ पत्र ५४ ) ३ भरत चक्रवर्ती का मन्त्री (राज) सुसेण, स्त्री [सुषेणा] एक यो नदी (डा | सुद्द देखो सुभ (हे २ २६ ३० कुमा
५, ३ – पत्र ३५२) ।
२०२१) अ [द]
सुह देखो सोह = शुभ् । सुहइ ( वज्जा १४; पिंग)
[सुख] सुखी करना । सुहइ (पिंग), गुद्देवि (शी) (E) IV
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मंगलकारी (कुमा) कम्मिवि [र्मिक] पुण्यशाली (वि)[म] मङ्गल की चाहवाला ( सुपा ३२६) गर वि [कर ] मङ्गल-जनक ( कुमा) गामा ["नामा] पक्ष की पांचवीं, दसवीं तथा पनरहवीं रात्रि तिथि ( सुज्ज १२, १५) [न] १ शुभेच्छक (भग) । २ शुभ वाला (गाया १, १ - पत्र ७४) । ४ 'द देखो 'अ (कुमा) I
२
सुह न [सुख] १ प्रानन्द चैन मजा । प्राराम, शान्ति (ठा २, १ - ११ ४७, ३, १ – पत्र ११४; भगः स्वप्न २३ प्रासू १३३; हे १, १७७ कुमा) । ३ निर्वाण, मुन्द्रि (२४४३० ३४४४ ) । ५ सुख-प्रद, सुख-जनक (गाया १, १२ –पत्र १७८ श्राचा कम्म १. । ६
अवि [*५]
५१) अनुकूल (खाया है, १२) । ७ सुख (३१६) - दायक (सुर २, ९५; सुपा ११२: कुमा) । इस वि[[व] सुखी (पि ६०) रवि [र] मुख (१९७७) कामिवि [ "कामिन् ] सुखाभिलाषी (प्रोव ११६ स्थवि [न] वही (श्राचा)
द वि [द] सुख-दाता (वै १०३ कुमा) - दाय वि ["दाय ] वही (पउम १०३, १६२) फंस वि [स्फर्श ] कोमल (पाप) यर देखो कर (हे है, १७७ कुमाः सुपा ३ ) संझा श्री [" सन्ध्या ] सुख जनक सायंकाल (कप्पू ) वह वि [ वह ] १ सुख जनक (श्रा २८ उव; सं ६७ ) । २ पुंन. एक पर्वत शिखर (ठा २, ३ - पत्र ८०) सण न [सन ] श्रासन - विशेष, पालकी (सुर २, ६ सुपा २७८ कप ) सिया स्त्री [सिका ] सुख से बैठना, सुखी स्थिति (प्रा)
सुहउत्थि
स्त्री [दे] दूती (८, 8) सुहंकर वि [सुखकर ] सुख-कारक (सिरि १६. कुमा
सुकर व [शुभकर ] १ शुभ कारक (कुमा) । २ पुं. एक वणिक् का नाम (उप ५०७टी) 1 सुदर वि [सुखम्भर] सुखी (गउड
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