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सूसुअ-सेज्जंस
पाइअसहमहण्णवो सूसुअ वि [सुश्रुन] १ अच्छी तरह सुना ४३०; राय ९) कंठ ( [कण्ठ] सेआल देखो सेबाल = शैवाल (से २, ३१) ।। हुआ। २ अच्छी तरह ज्ञात (वज्जा १०६)। भूतानन्द नामक इन्द्र के महिप-सैन्य का। सेल देखो सेअल = एष्यत्-काल। ३ पृ. वैद्यक ग्रन्थ-विशेष (वज्जा १०६) ।। अधिपति (ठा ५, १-पत्र ३०२, इक)
सेआल पं[६] १ गांव का चुखिया । २ सूहा। देखो सुभग (संक्षि २०, हे १,
पड, 'वड पुं ०] श्वेताम्बर जैन, जैन
सांनिध्य करनेवाला यक्ष प्रादि (दे ८,५८)। सूहव) ११३; १९२) . का एक संप्रदाय (सुपा ६४१; विते २५८५;
३ कृषक, खेतो करनेवाला गृहस्थ (पान)। से देखो सेअ = श्वेत 'वड पु[पट] धर्मसं ११०६)
सेआली स्त्री दूर्वा, दूब, दूभ (दे ८,२७)।। श्वेताम्बर जैन (सम्मत्त १३७)।
सेअ वि [ष्यत् ] आगामी, भविष्या 'पभू
रणं भंते केवलो सेयकालसि वि तेसु चेव से प्र[दे) इन अर्थों का सूचक अव्यय
सेआलु पुदे मनौती की सिद्धि के लिए १ वाक्य का उपन्यास । २ प्रश्न (भग १, धागासपदेसेसु हवं वा जाव प्रागाहित्ताणं
उत्सृष्ट बैल (दे ८, ४४)
से इअ त [स्वेदित] पसीना (भवि) चिट्ठित्तए' (भग ५, ४-पत्र २२३, ठा १; उवा)। ३ प्रस्तुत वस्तु का परामर्श (उत्त २, ४०; जं.)। ४ अनन्तरता (ठा
१०--पत्र ४६५: अण २१) 4 ल सेइआ स्त्री [पेतिका] परिमाण-विशेष, १०-पत्र ४६५) ।
[काल भविष्य काल (भगः उत्त २६, ७१)M सेइगा । दो प्रकृति की एक नाप (तंदु २६; से । प्रक [शी] सोना। सेइ, सेपइ सेअंकर पुज्यन्सरज्योतिष्क ग्रह-विशेष उप पृ ३३७ अणू १५१) । से ( षड्) (ठा २, ३–पत्र ७८) ।
सेउ पुन [सेतु] १ बाँध, पुल (से ६, १७;
कुप्र २२०; कुमा)। २ पालवाल. कियारी, सेअ सक [सिच् ] सींचना। सेमइ (हे सेअंकार [ध्यस्कार श्रेयः-करण, 'श्रेयस्' |
का उच्चारण (ठा १०--पत्र ४६५)।
थांवला । ३ कियारी के पानी से सींचने योग्य
खेत (औप; णाया १, १ टी-पत्र १)। से दे] गणपति, गणेश (दे ८, ४२) सेअंबर लाम्बर] १ एक जैन संप्रदाय
४ मार्ग (प्रौपा गाया १, १ टी-पत्र १; सेअ पु[सेय] १ कर्दम, कोदो, पंक (सन (सं २ सम्मत्त १२३; सुपा ५६६) । २ न.
कप्प ८६),बंध [बन्ध] पूल बांधना २, १, २, रणाया १,१-पत्र ६३) । २ सफेद वस्त्र (पउम ६६, ३०)।
(से ६, १७)५ वह [पथ] पुलवाला एक अधम मनुष्य-जाति; 'चंडाला मुट्ठिया सेअंस पु[यांस] १ एक राज-कुमार (धण सेया जे अन्ने पावकम्मिणों' (ठा ७-पत्र १५) । २ चतुर्थ वासुदेव तथा बलदेव के पूर्व सेउ वि[सेक्टा सेचक, सिंचन करनेवाला ३६३)।
जन्म के धर्म गुरु--एक जैन मुनि (सम | | (कप्प ८९) सेअ पुं स्वेद] पसीना (गा ५७८ दे ४,
१५३; परम २०, १७६) । देखो सेजस । सेउय वि [सेवक सेवा-कर्ता (कप्प ६)। ४६ कुमा) सेअंस देखो सेअ = श्रेयस् (ठा ४, ४-पत्र
सेंदूर देखो सिंदूर (प्रातः संक्षि ३) सेअपु[सेक] सेचन, सींचना (मै ६५; गा
सेंधव देखो सिंधव (विक्र ८९)। ७६ हेका ६६ अभि ३३)। सेअण न [सेचन सेक, सोचना (कुमा; अभि
सेभ देखो सिंभ (उवः पि २६७)।। सेअ न [श्रेयस ] १ शुभ, कल्याण (भग)। ४७; णाया १, १३–पत्र १८१; सुपा
सेंमिय देखो सिंमिय (भगः पि २६७)। २ धर्म। ३ मुक्ति, मोक्ष (हे १, ३२)। ४ ___३०६) वह पथ] नीक (प्राचा २,
सेवाडय पं दे] चुटकी को आवाज (दे८, वि. अति प्रशस्त, अतिशय शुभः 'इय संज
१०, २) मोवि सेप्रो' (पंचा ७,१४ कुमा; पंच ६६)। सेअणग । सेचनका १ राजा श्रेणिक
सेअणय ५ पुं. अहोरात्र का दूसरा मुहूर्त (सुज्ज १०,
सेचणय न [सेचनक] सिंचन, छिड़काव का एक हाथो (अ २६४ टो;
णाया १,१-~-पत्र २५)। २ वि. सींचने- (मोह २७) । देखो सेअणय । सेअ वि [सैज] सकम्प, कम्प-युक्त (भग ५,
वाला (कुमा) । देखो सेचणय । | सेचाग (अप) पुं [श्येन] छन्द-विशेष सेअविय विसेवनीय] सेवा-योग्य, ‘ण
(पिंग) । देखो सेण = श्येन । ७–पत्र २३४)।
सेञ्च न [शैत्य] शीतपन, ठंढ़ापन (प्राप्र)।सेअ वि [श्वेत १ शुक्ल, सफेद (णाया १,
सिक्खतो सेयवियस्स किचि' (सूत्र १, ५, १, १-पत्र ५३; अभि ३३; उव)। २ पुं..
सेज देखो सेज्जा व पं. [पति] वसतिएक इन्द्र, कुभंड-निकाय के दक्षिण दिशा |
सेअघिया स्त्री [श्वेतविका] केकया देश की स्वामी गृहस्थ (पब ८४) का इन्द्र (ठा २,३-पत्र ८५)। ३ शक्र को
प्राचीन राजधानी (विचार ५० पव २७५; सेज्जंभव देखो सिज्जभव (कप्पः दसनि १, नट-सेना का अधिपति (इक)। ४ मामल- इक) ।
१२) कल्पा नगरी का एक राजा, जिसने भगवान्
सेआ स्त्री [श्वेतता] सफेदपन (सुज १, १)। सेज्जंस पु [छेयांस १ ग्यारहवें जिनदेव का महावीर के पास दीक्षा ली थी (ठा ८-पत्र | सेआ देखो सेवा (नाट-चैत ६२)
नाम (सम ८८ कप्प)। २ एक राज-पुत्र,
२६५) ।
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