Book Title: Paia Sadda Mahannavo
Author(s): Hargovinddas T Seth
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 1003
________________ सोगधिया-सोभा पाइअसद्दमण्णवो सोगंधिवा स्त्री सौगन्धिका] नगरी-विशेष सोणहिअ वि [शौनकिक] १ श्वान-पालक । २१; गा २४४; अभि १२८ नाट-रत्ना (गाया १, ५ पत्र १०५) | २ कुत्तों से शिकार करनेवाला (स २५३)। - २५३) १०)। सोगमल देखो सोअमल्ल (दस २, ५)। सोणार देखो सुण्णार (गा १९१; पि ६६ सोस्थिअपु[स्वस्तिक] १ ज्योतिष्क ग्रहसोग्गइ देखो सुग्गइ (उत्त २८, ३ पउम । १५२) विशेष (ठा २, ३--पत्र ७८) । २ न. २६, ६०; स २५०) सोणि स्त्री [श्रोणि कटी, कमर (कप्प; उप शाक-विशेष, एक प्रकार की हरित वनस्पति सोग्गाह (?) प्रक[प्र+स] पसरना, । १५६) सुत्तग न [सूत्रक] कटी-सूत्र, (पएण १--पत्र ३४)।३--देखो सत्यिअ, फैलना । सोग्गाहइ (धात्वा १५६) करधनी (प्रौप)। सोवस्थिअ = स्वस्तिक (पएह १, ४--पत्र सोच देखो सोअ = शुच् । वकृ. सोचंत, सोणि पु [शौनिक कसाई (दे ६, ६२)- ६८ णाया १, १-पत्र ५४) । सोचमाण (नाट-मृच्छ २८१; णाया १, सोणिअन [शोणित] रुधिर, खून (उवा सोदाम पु [सोदाम] देखो सोदामि १-पत्र ४७)। संकृ. 'सोचिऊण हत्थपाए भवि)। (इक)।प्रारोग्गमणिरयरणेण प्रोमजिनो राया' (स सोणिम पुंस्त्री [शोणिमन्] रक्तता, लाली सोदामणी देखो सोआमणी (पउम २६, ५६७) । कृ. सोञ्च (उव)। (विक्र २८) सोचिय विशोचित] शुद्ध किया हुआ, सोणी स्त्री [श्रोणी] देखो सोणि (पएह १, सोदामि सिौदामिन् चमरेन्द्र के अश्वप्रक्षालित (स ३४८)। ४--पत्र ६८ ७६) सैन्य का अधिपति (ठा ५, १-पत्र सोञ्च देखो सोच ।। सोणीअ देखो सोणिअ = शोणित, 'भुंजते ३०२)। सोच । मंससोणीनं ण छणे ण पमजए' (प्राचा १, सोदामिणी देखो सोआमिणी (नाटसोचा देखो सुण = श्रु।' ८,८, पि ७३)। मालती) सोच्छ सोण्ण न [स्वर्ण] सोना, सुवर्ण (प्राकृ ३०; | सोदास पुं [सौदास] एक राजा (पउम सोच्छिा देखो सोत्थिअ (इक)। संक्षि २१)। २२, ८१)। सोजण्ग , न [सौजन्य सुजनता, सजनता, सोण्ह देखो सुण्ह = सूक्ष्म (षड् ; गा७२३)। सोध (शौ) देखो सउह = सौध (पि ६१ ए)। सोजन्न । भलमनसी (उप ७२८ टी; सुर २, सोण्हा देखो सुण्डा = स्नुषा (संक्षि १५, प्राकृ सोपार । पूं. ब. [सोपार, क] देश३७ गा १०७; कार ८६३) । सोपारया विशेष (पउम ९८, ६४सुपा सोज देखो सोरिअ = शौर्य (प्राक १६) सोत्त न [श्रोत्र] कान, श्रवणेन्द्रिय (प्राचा; २७५) । २ न. नगर-विशेष (सार्ध ३६; सोज्झ वि [शोध्य शुद्धि-योग्य, शोधनोय रंभा विक्र ६८) ती ११)। (सुज १०, ६ टी)। सोत्त देखो सोअ = स्रोतस् (हे २, ९८; गा सोबंधव वि [सौबन्धब] सुबन्धु नामक कवि सोज्झय [दे] रजक, धोबो (पान)। ५५१ से १, ५८; कुमा)। का बनाया हुआ ग्रंथ (गउड) देखो सुज्भय ।। सोत्ति देखो सुत्ति = शुक्ति (षड्; उप ६४८ | सोभ प्रक [शुभ ] शोभना, चमकना । सोडिअ देखो सोडिअ (कर्पूर ३४)। टो)। सोभंति (सुज्न १६) भूका. सोभिसु, सो सु सोत्तिअ ' [श्रोत्रिय] वेदाभ्यासी ब्राह्मण (सुज्ज १६)। भवि. सोभिस्संति (सुज्ज सोडीर वि शौटीर] देखो सोंडीर = शौएडीर (पिंड ४३६; नाट-~-मृच्छ १३४ प्राप) ।। १६)। वकृ. सोभंत (गाया १, १--पत्र (कप्पः प्रौप; मोह १०४ कप्पू: चारु ६३)। | सोत्ति वि [सौत्रिक] १ सूत्र-निर्मित, सूते २५; कप्प; औप) सोडीर न [शोटीर्य] देखो सोंडीर = शौण्डीयं का बना हुप्रा (ोधमा ८९; मोघ ७०५)। सोभ सक [शोभय ] शोभाना, शोभा-युक्त (कुमा; से ३, ४, ५, ३, १३, ७६ ८७; २ सूते का व्यापारी (मणु १४६)। करना। सोभेइ (भग) । वकृ. सोभयंत (पि प्राकृ १६) सोत्ति सोढ वि [सोढ] सहन किया हुआ (उप २६४ ४६०) । संकृ. सोभित्ता (कप्प)। [शौक्तिक] द्वीन्द्रिय जन्तु-विशेष | सोभग वि (शोभक] १ शोभनेवाला। २ (परण १-पत्र ४४)।टी; धात्वा १५७)। सोत्तिअमई। स्त्री शुिक्तिकावती] केकय शोभानेवाला (कप्प)। सोढुं देखो सह = सह ।। सोत्तिअवई देश की प्राचीन राजधानी सोभग्ग देखो सोहग्ग (स्वप्न ४५)। सोण वि [शोण] लाल, रक्त वर्णवाला (राजः इक)। सोभण देखो सोहण = शोभन (पउम ७८, (पाप)। सोत्ती स्त्री [दे] नदी (दे ८, ४४; षड्)। ५६; स्वप्न ४६) सोणंद न दे. सौनन्द त्रिकाष्ठिका, तिपाई सोस्थि पुंन [स्वस्ति] १ एक देव-विमान सोभा देखो सोहा शोभा (प्राकृ १७ उत्त (पएह १, ४--पत्र ७८ औप; तंदु २०)। (देवेन्द्र १३३)। २-देखो सत्थि (संक्षि । २१, ८; कप्पा सुज्ज १९)।. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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