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जिनदेव (सम १५४ पत्र ७ ) । ३ श्रठवें बलदेव का पूर्वभवीय नाम ( पउम २०, १९१) चंद्रा स्त्री ['चन्द्रा ] १ एक हरिणी (इक) २ एकराज उप १८६ टी) / डढ पुं [आढ्य ] एक जैन मुनि ( कप ) यर न ['नगर] वैताढ्य की दक्षिण-श्रेणी का एक विद्याधरनगर (एक) देखो 'नयर 'णिकेत न ["निकेतन ] वैताढ्य की उत्तर-श्रेणी में स्थित एक विद्याधर नगर (एक) 'जिन ["निलय] बैता पर्यंत को दक्षिण में स्थित एक नगर (इ) देखो 'निलय 'खिया श्री ['निलया] एक पुष्करिणी (इक)) णिहुवय
[कामक] विष्णु, श्रीकृष्ण (कुमा) 1'ताली श्री [ख] विशेष (1 "दत्त [["देश] ऐरत वर्ष में उत्पन्न पाँचवें जिन देव ( पत्र ७ ) दाम न ["दामम् ] १ शोभावाली माता (५) । २ ग्रामरण- विशेष (आम) ३. एक राजा (विया १, ६६४) दामचंड, "दामगंड न [दामकाण्ड ] १ शोभावाली मालाओं का समूह (जं ५) । २ एक देवविमान (सम २९) दामगंड पुंग ["दामगण्ड] १ शोभावाली माताओं का दरकार समूह ( जं ५ ) देवी स्त्री [["देवा]] देवीविशेष (राज) २ लक्ष्मी (धर्मवि १४७) देवीनंदण पुं ["देवीनन्दन] कामदेव (धमव १४७) नंदण ["नन्दन] १ कामदेव २पि. श्री से समृद्ध (सुपा २३४ धम्म १३ टी) । 'नयर [नगर]देश का एक शहर (कुमाखीवर निय["निलय] वासुदेव (पउम ३५, ३०) | देखो लिय ।
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[4] नगर सेठाई का सूचक एक रा-चिह्न (सुपा २०३) पच्चय [पर्यंत ] पर्वत- विशेष (ज्जा ६८ ) J पह [प्रभ] एक प्रसिद्ध जैन श्राचार्य और ग्रन्थकार (धर्मवि १५२) पाल देखो बाल (सिरि ३४) फल ["फल] (कुमा) देखो दल भूः पुं ["भूति ] भारत में होनेवाले चक्रवर्ती राजा (सम १५४)। म देखी
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पाइअसहमणवो
*मंत (उप पृ ३७४) । मई स्त्री [मती] १ इन्द्र नामक विद्याधर राज की एक पत्नी ( पउम ६, ३) २ एक राज - पत्नी (महा) । ३ एक सार्थवाह कन्या (महा) + 'मंगल [मङ्गल] दक्षिण भारत का एक देश (उप ७६० टी) मं[िमन] शोभावाला शोभायुक्त (कुमा) २. तिलक वृक्ष । श्रश्वत्थ वृक्ष । ४ विष्णु । ५ शिव, महादेव । ६ श्वान कुत्ता ( २० १५) मलयन [स] वेताच्य की श्रेणी में स्थित एक विद्याधर नगर (इक) महिअन ['महिक ] एक देव-विमान (रूम २७) ।"महिआ श्री ["महिना ] एक पुष्करिणी (इक) मा ["माल] एक प्रसिद्ध वंश (१४३) मालपुर न ["मालपुर ] एक नगर ( ती १५) यंठ देखो कंट (गडदेखील राह १, १–पत्र ७) वइ पुं [पाते] श्रीकृष्ण, वासुदेव (सम्मत ७५) बच्छ [स] १ जिनदेव आदि महापुरुषों के हृदय का एक ऊँचा श्रयवाकार चिह्न (श्रौपः सम १५३; महा) । २ महेन्द्र देवलोक के इन्द्र का एक पारियानिक विमान (ठा ४३७) । ३ एक देव-विमान (सम ३६ देवेन्द्र १४० प ) वच्छा स्त्री ['वत्सा ] भगवान् श्रेयांसनाथजी की शासन देवी (संति ६) वडिसन [ अवतंसक ] सौधर्म देवलोक का एक मन (राज) व न [°बन] एक उद्यान (अंत ४) ५ वण्णी श्री [पर्णी] वृक्ष-विशेष (१ पत्र २१) देवी संत (भवि पउम ५, [["वर्धन] एक राय (मर, २६)। वथ वुं [°बद] पक्षि-विशेष (दे १, ६७८, ५२ टी) । 'वारिसेण पुं [वारिपेण] ऐर एवं में होनेवाले जिनदेव (७) वाल ['पाल ] ? एक प्रसिद्ध जैन राजा (सिरि ३१७) । २ राजा सिद्धराज के समय का एक जैन महाकवि ( कु २:१) संभूआ श्री [["संभूता] पक्ष की छठवीं रात (सुज्ज १०, १४) । "सिचय ["सिपय] ऐखत
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में
सिरिअ - सिरी
उत्पन्न दूसरे जिनदेव (पव ७) सेण पुं [पेण] एक राजा ( प १८६) सेल [शैल] हनुमान (पम १७, १२० ) 'सोम पुं [सोम ] भारतवर्ष में होनेवाला सातवाँ चक्रवर्ती राजा ( सम १५४ ) । 'सोमणस पुंन [ 'सोननस ] एक देवविमान (सम २७ ) | हर न [गृह] भंडार (या २०) हर [र] भगवान् पार्श्वनाथ का एक मुनि गए । २ भगवान् पार्श्वनाथ का एक गणधर - मुख्य शिष्य ( कप्प ) । ३ भारतवर्ष में प्रतीत उत्सर्पिणी काल में उत्पन्न सातवें जिनदेव | ४ ऐरवत वर्ष में वर्तमान अवसर्पिणी काल में उत्पन्न बीसवें जिनदेव (पव ७ उप ६८६ टी) । ५ वासुदेव (पउम ४७, ४९ षड् ) । हर वि । ["हर ] श्री को हरा करनेवाला (कुमा) । हल न ['फल] बिल्व फल ( पाच ), देखो फल 1 सिरिअ पुं [श्रीक, श्रीयक] स्थूलभद्र का छोटा भाई और नन्द राजा का एक मन्त्री (पडि) 1
सिरिअ] [व] स्वछन्दता (७३) २ सिरिंग पुं [दे] विट, लम्पट कामुक (दे ८, ३२) ।
सिरिद्दह पुंस्त्री [दे] पक्षियों का पान-पात्र (पान दे ८ ३२) ।
सिरिमुह वि [दे] मद-मुख, जिसके मुह में
मद हो वह (दे ८, ३२) । सिरियां देखो सिरी (सन १५१) सिरिली स्त्री [दे. श्रीली] कन्द-विशेष (उत्त ३६, १८ ) । पुं सिविच्छी [हे] गोपाल, ग्वासा (दे सिविय पुं [दे] हंस पक्षी (दे ८, ३२) । 5, 33) ~
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सिरिचय देखी सिरिन्ययवर्ष चौबीसवें
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सिरिस पुं [ शिरीष ] १ वृक्ष-विशेष, सिरसा का पेड़ (सम १५२ हे १,१०१ ) । २ न. सिरसा का फूल (कुमा)
सिरी श्री [श्री] १ लक्ष्मी, कमला ( पाच कुमा) । २ संपत्ति, समृद्धि, विभव (पाच) कुमा) । ३ शोभा (श्रौफ राय; कुमा) । ४
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