Book Title: Paia Sadda Mahannavo
Author(s): Hargovinddas T Seth
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 977
________________ सिहि- सीकोत्तरी ग्रह ८ वृक्ष ६ प्रश्न १० चित्रक - वृक्ष । ११ मयूरशिखा वृक्ष १८ बकरे का रोम । १३ वि. शिखायुक्त (प्रणु १४२) । सिहि [दे] कुक्कुट, मुर्गा (३८२८) सिद्दिवि [नि] कुमा ३१३ सिहिण पुंन [दे] स्तन, धन (दे ८, सुर १,६०६ पान; षड् रंभा सुपा ३२ भवि; हम्मीर ५० सम्मत्त १६ ) । सिहिणी श्री [शिखिनन्दविशेष (पिंग) सिही (अप) (पिंग ) 1 सी (अप) स्त्री [श्री] छन्द- विशेष (पिंग ) । देखो सिरी । [[]] दशेष अ + [सद्] १ विवाद करना, खेद करना । २ थकना । ३ पोड़ित होना, दुःखी होना। ४ फलना, फल लगना। सीइ, सीति (पि ४८२ गा८७४) जया सोर्वात सीयइ' (पिंड ८२), 'सीयंतिय सव्वधंगाई' (सुर १२, २) । वकृ. सीअंत (पान ५०७ सुपा ५१०; कुप्र ११८) - अन [दे] सिक्थक, मोम (दे ८, ३३) - सीअ वि [स्वीय] स्वकीय, निज का 'सीयते पहिया' सोमव लेस्सा' (भग १५ – पत्र ६६६) । सीअ देखो सिअ = सित; 'सीग्रासीनं ( प्राप्र ) । सीअ पुंन [शीत] १ स्पर्शं विशेष, ठंढा स्पर्श (ठा १-पत्र २५३ प ८६) ३ हिम तुहिन ( से ३, ४७ ) । ३ शीत- काल (राज) । ४ ठंढ, जाड़ा (ठा ४, ४ पत्र २८७ श्रौपः गड उत्त २, ६) । ५ कर्म-विशेष, शीत स्पर्श का कारण कर्म (कम्म १, ४१० ४२) । ६ वि. शीतल, ठंढा (भग; औप गाया १, १ टी -पत्र ४) । ७ पुं. प्रथम नरक का एक नरक स्थान ( देवेन्द्र ४) । न. तप-विशेष प्रालि (५८) εवि. अनुकूल (सूश्र १, २२, २२ ) । १० न. सुख (प्राचा) रन [गृह] चक्रवर्ती का वर्धकि निर्मित वह घर, जहाँ सर्व ऋतु में स्पर्श की अनुकूलता होती है (वव ३) । ' च्छायवि [च्छाय ] शीतल छायावाला ८ Jain Education International इसम पाया ११ दीपन ४) परीसह [प] शीत को सहना (उत्त २ १) कास [स्परा] ठंड जाड़ा स (प्राचा) सोआ त्री [श्रोता स्रोता ] नदी - विशेष ( इकः ठा ३, ४ – पत्र १६१ ) 1 ६०७ For Personal & Private Use Only माता का नाम ( पउम २०, १८४० सम १२२) लाङ्गलपद्धति खेत में हल चलाने से होती भूमि-रेखा (दै २, १०४) । ४ ईषत्प्रारभारा नामक पृथिवी (उत्त ३६, ६२; चेइय ७२५) । ५-६ नील तत्र माल्यवत् पर्वतों के शिखर - विशेष (इक) । ७ एक दिक्कुमारी देवी (ठा ८ ) । सीआ देखो सिविया (m) [धीक सम १५१ ) 1 सीआण देखो मसाण = श्मशान ( हे २, ८६ लोअअ [लोकक] १ चन्द्रमा । २ शीतकाल, हिम ऋतु (से ३, ४७) । सीअ देवो स. शोता 'वसाय ["प्रपात] ग्रह-विशेष जहाँ ता नदी पहाड़ पर से गिरती है (ठा २, ३ –पत्र ७२) । सीअ देखो साआ = सोता (कुमा) । वव ७ ) 1 सीटर [4. शांतरस्] गुल्म-विशेष सीआर देखो सिकार (गाया १, १-पुं [दे. 'पत्तउरसीयउरए हवइ तह जवासए य बोध वे' ( पराग १ - पत्र ३२ ) 1 ६३) । सीआला ी [ सप्तचत्वारिंशत् ] सैंतालीस, ४७ (कम्म ६, २१) | सीआलीस त्रीन ऊपर देखो ( पि ४४५३ ४४८ ) । स्त्री. सा (सुज्ज २, ३ - पत्र ५१) 1 3 सीअण न [सदन] हैरानी ( सम्मत्त १६६ ) । सीअणय न [दे] १ दुग्ध पारी, दूध दोहने का पात्र । २ श्मशान, मसान (दे ८, ५५)।सीअर पुं [शीकर ] १ पवन से क्षिप्त जल, फुहार, जल-करण (हे १, १८४ गउड; कुमा २ वायु, पवन (दे १. १८४० प्रा सीअरि वि [र्श-करिंन] शीकर-युक्त (गड सीअल पुं [शीतल] १ वर्तमान श्रवर्षापणी सीआव सक [ सादय ] शिथिल करना, 'सीया बिहार' (मच्छ १, २३) - सीइओ श्री [दे] कड़ी निश्तर दृष्टि (दे 5,38)1 ८४) | स वि. ८, काल के दसवें जिन देव (सम ४३ पडि ) । २] कृष ( २० ) ठंढा (हे ३, १०: कुमा, गउड रयण ५७ ) । सीअलिया स्त्री [शीवलिका ] १ ठंढी, शीतला; 'सीयलियं तेन लेप्रां निसिरामि' (भग १५-पत्र ६६६ ) । २ जूता-विशेष (राज) । सीअलि पुंस्त्री [द] १ हिमकाल का दुर्दिन । २-विशेष (५५) सीआ श्री [शीता] सीइयर [सन्न] विप्र, परिचान्त (२३) - सोई स्त्री [दे] सीढ़ी, निःश्रेणि (पिंड ६८) । सोहम्मद व [दे] गुजा (दे ३४ सीउट्ट न [दे] हिम-काल का दुर्दिन ( षड् ) 1 सीउण्ह न [शीतोष्ण] १ ठंढा तथा गरम । २ अनुकूल तथा प्रतिकूल (सूत्र १२, २ २२; पि १३३) । - सीउल्ल देखो सोउट्ट (षड् ) । सीओओ देखो सोओआ । व्यवाय पुं [["प्रपात] कुण्ड-विशेष जड़ शोतोदा नदी पहाड़ से गिरती है (जं ४-पत्र ३०७ ) "दीच [प] द्वीप-विशेष (४ २००) 1 एक महानदी (सम २७ १०२ इक) । २ ईषत्प्राग्भारा नामक पृथिवी सिद्ध-शिला (एक) शीताम्रपात ग्रह की अधिष्ठात्री देवो (जं ४) । ४ नील पर्वत का एक शिखर । ५ माल्यवत् पर्वत का सीओओ स्त्री [शीतोदा] १ एक महा-नदी एक कूट ( इक) । ६ पश्चिम रुचक पर रहने- (ठा २, ३ - पत्र ७२३ इकः सम २७ वाली दिकुमारी देवी (डा पत्र ४३६।१०२) २नि पर्वत का एक कूट (डा "मुह न ["मुख ] एक वन ( जं ४ ) 1सीआ स्त्री [सीता] १ जनक-सुता, राम-पत्नी ( पउम ३८५६ ) । २ चतुर्थं वासुदेव की । ६--पत्र ४५४) । |सीकोत्तरी त्री [दे] नारी, स्त्री, महिला (सिरि ३१०) 1 www.jainelibrary.org

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