Book Title: Paia Sadda Mahannavo
Author(s): Hargovinddas T Seth
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 962
________________ ८६२ पाइअसहमहण्णवो सारक्खेत्तु-सारूविअ सारक्खेत्तु वि [संरक्षित] संरक्षण-कर्ता सारय वि स्वारत] पासक्त, खूब लीन साँचा (गा १३८)। ३ युद्ध के लिए गज(ठा ७-पत्र ३८६) (प्राचा १, ४, ४, १)। पर्याण (दे ७, ६१; भवि) सारग देखो मारय = स्मारक (प्राचा | सारय देखो सार-य । सारि देखो सारी (दे) (पाप)। प्रौप)। सारया स्त्री [शारदा] सरस्वती देवी (सम्मत सारिअ वि [सारिक] सारवाला; 'पारोग्गसारज न [म्वाराज्य] स्वर्ग का राज्य (विसे १४०) सारिनं माणसत्तणं सच्चसारिप्रो धम्मो' (श्रा १८८३) । सारव देखो सार = सारय । भवि. सारविस्स सारण पुं [मारण] १ एक यादव-कुमार (वव १) सारिअ वि [सारित] चिपकाया हुआ, सील (अंत ३; बुप्र १०१)। २ रावणाधीन एक सारव सक [समा + रच ] साफ करना, किया हुमा; ततो कुंभीए निक्खिविऊरण तीए सामन्त राजा (पउम ८.१३३)। ३ रावण ठीक-ठाक करना, दुरुस्त करना। सारवइ | सम्म मुहं पूरिऊण उवरि लक्खाए सारियाए' का मन्त्री (से १२, ६४)। ४ रावण का (हे ४, ६५); 'सारवह सयलसरणोप्रो (सुर । (सम्मत्त २२६) एक सुभट (से १४, १३)। ५ न. ले जाना, १५, ८२) । वकृ. सारवंत (गउड)। कवकृ. सारिआ । स्त्री सारिका] मैना, पक्षिप्रापण (ोध ४४८) । सारविजंत (सण) सारिइआ । विशेष (गा ५८६, पान दे ८, २४) । सारण न [स्मरण] १ याद कराना (ोघ सारव सक [समा + रभ ] शुरूआत करना, सारिक्ख न सादृदय] समानता, सरीखाई ४४८)1 २ वि. याद दिलानेवाला। स्त्री. प्रारम्भ करना । सारवइ (षड् )। (हे २, १७ कुमा; धर्मसं ४२५; समु १८०% "णिया, जी (ठा १०-पत्र ४७३)।- सारवण न [समारचन] समालन, साफ विसे ४६९)। सारणा न रिमारणा] १ याद दिलाना (सुर करना (प्रोघ ७३) । सारिक्ख । वि [सदृक्ष] समान, सरीखा १५, २४८: विचार २३८ काल) सारविअ वि [समारचित] दुरुस्त किया। सारिन्छ । सारिक्खविप्पलंभा तह भेदे सारणि । स्त्री [सारणि, णी] १ प्रालवाल, | हुमा, साफ किया हुआ (दे ८, ४६ कुमा; किमिह सारिक्वं' (धर्मसं ४२५; समु १७६; सारणी । नीक, कियारी (धण २६; कुप्र प्रोघभा ८) प्राप; हे १, ४४, कुमाः गा ३०६४) ५८)। २ परंपरा (सम्मत ७७)। सारस पुंसारस] १ पक्षि-विशेष (कप्प; सारिच्छ देखो सारिक्ख = सादृश्य (हे २, सारस्थ न [सारथ्य सारथिपन (णाया औषः स्वप्न ७०; कुमाः सण)। २ छन्द १७, सुर १२, १२२)। १, १६; पउम २४, ३८)। विशेष (पिंग)। सारिच्छिआ स्त्री [दे] दूर्वा, दूब (दे ८, सारदा देखो सारया (रंभा)। सारसी स्त्री [सारसी] १ षड्ज ग्राम की एक २७) । सारदिअ देखो सारइय (अभि EK) मूर्छना (ठा ७–पत्र ३६३)! मादा सारस सारित देखो सार = सारय ।सारमिअ विदे] स्मारित, याद कराया पक्षी । ३ छन्द-विशेष (पिंग)। सारिस देखो सरिस =सदृश (संक्षि .२; हुमा (दे ८, २५)। सारस्सय पुं[सारस्वत] १ लौकान्तिक देवों वजा ११४)। सारमेअ [सारने य] श्वान, कुत्ता (उप की एक जाति (णाया १,८-पत्र १५१; सारिस । न [सादृश्य समानता,सरीखाई पि ३५३)। ७६८ टी. कुप्र ३६३; सम्मत्त १८६; प्रासू सारिस्स । (राज नाट - रत्ना ७६) ।। १५८)। सारह न [सारव] मधु, शहद (पान दे ८, २७) सारी स्त्री [दे] वृसी, ऋषि का प्रासन (दे ८, सारमेई स्त्री [सारमेयी] कुत्ती, शुनी (सुर सारहि पुं[सारथि रथ हाँकनेवाला (सम २२, ६१)। २ मृत्तिका, मिट्टी (दे ८, १४१५५)। २२ टी)। १पान; महा)। सारय वि [शारद] शरद् ऋतु का (सम साराडि पुंस्त्री [दे] पक्षि-विशेष, शरारि पक्षी सारी स्त्री [शारी] देखो सारि = शारिः १५३: परह १,४-पत्र ६८ विसे १४६६ (दे ८, २४)। 'सज्जिनो कंचणगुडासारीहि...हत्थी' (कुप्र अजि १३; कप्पा औप)। साराय अक [साराय् ] सार-रूप होना । १२०)। सारय वि [सारक] १ श्रेष्ठ करनेवाला (से सारीर विशारर] शरीर का, शरीर-संबन्धी वकृ. सारायंत (उप ७२८ टी) (उवः सुर ४, ७५)। ३, ४८) । २ साधक, सिद्ध करनेवाला (कप्प; साराव सक [सारय् ] विपकवाना, लगवाना, सारीरिय वि [शारीरिक] ऊपर देखो (सुर से ६, ४) सील कराना । संकृ. 'साराविऊरण लक्खं १२, १० सण)। सारय वि [स्मारक] १ याद करनेवाला । २ नोरंधत्तं तत्य कयं' (धर्मवि ५)। सारूवि । सारूपिन, क जैन साधु याद दिलानेवाला (भगः प्राचा १, ४, ४, १; सारि स्त्री शारि] १ पक्षि-विशेष, मैना (गा सारूविअ के समान वेष को धारण करनेकप्प)। ५५२)। २ पासा खेलने का रंग-बिरंगा । वाला रजोहरण-वजित स्त्री-रहित गृहस्थ, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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