Book Title: Paia Sadda Mahannavo
Author(s): Hargovinddas T Seth
Publisher: Motilal Banarasidas

View full book text
Previous | Next

Page 965
________________ सासण-साहत्थी पाइअसहमहण्णवो ८६५ (अणु) । ४ आज्ञा, हुकुम (पएह २,१-पत्र सासू स्त्री [ श्वश्रू] सासू, पति तथा पली साहग वि [शासक, कथक ] कहनेवाला १०१, महा)। ५ ग्रास, निर्वाह-साधन: की माता (पाय; पउम १७, ४ गा ३३६) (सुर १२. ३० स ३६१) । 'जीवंतसामिपडिमाए सासणं विभरिऊरण सासय वि [सासया असया-युक्त, मत्सरी साहज्जन [साहाय्य सहायता, मदद (विसे भत्तीए (कुलक २३)। ६ वि. प्रतिपादक, (सुर ३, १९७; उप ७२८ टी)। २६५८: गण ६: रयण १४, सिरि ३६८, प्रतिपादन-कर्ता (सम्म १; गण २२, एंदि सासेरा स्त्री [दे] यान्त्रिक नाचनेवाली, यन्त्र । कुप्र १२)। ४८) । ७ प्रतिपाद्य, जिसका प्रतिपादन किया की बनी हुई नर्तकी (राज)।. साहट्ट सक [सं + वृ] संवरण करना, जाय वह (पराह २, १-पत्र ६६) देवी समेटना । साहट्टइ (हे ४, ८२) स्त्री ["देवी] शासन की अधिष्ठात्री देवी | साह सक [कथय , शास ] कहनो। साहट्टिअ वि [संवृत] समेंटा हुआ, संहत साहइ, साहेइ (हे ४, २: उव; कालः महा)। (कुमा)सुरा स्त्री [सुरी] वही प्रथं (पंचा किया हुआ, पिंडीकृत (कुमा)। साहसु, साहेसु (महा)। भवि. साहिस्सइ, | ८, ३२) साहट्ट अ [संहत्य] समेट कर, संकुचित साहिस्सामो (महाः प्राचा १, ४, ४, ४)। सासण देखो सासायण (कम्म २, २, ५; कर, 'दाहिणं जाणु धरणितलंसि साह?' वकृ. साहेंत, सायंत (हेका ३८, काप्र १४ ४, १८, २६, ५, ११, ६, ५६ पंच (कप्प), 'साहट टु पायं रीएज्जा' (प्राचा २, ३०; सुर ६, १३२)। कवकृ. साहिज्जंत, २, ४२) ३, १, ६); 'वियडेण साहट्टु य जे सिणाई' साहिप्पंत, साहिय्यंत, साहियमाण सासणा स्त्री [शासना] शिक्षा (पराह २, (सूत्र १, ७, २१)। (चंड सुर १,३०; सुपा २०५; चंड; सुपा १-पत्र १००) २६३; उप पृ ४२; चंड) । संकृ. साहिऊण, साहट्ठ वि [संदृष्ट] पुलकित (राज)। सासणावण न [शासन] आज्ञापन (स साहेत्ता (काल)। हेकृ. साहिउँ (काल; साहण सक [सं+ हन् ] संघात करना, महा)। कृ. साहियव्य, साहेअव्व (महा। संहत करना, चिपकाना। साहणंति (भग)। सासय वि [शाश्वत] नित्य, अविनश्वर (भगः सर १, १५४) ।। कर्म. साहन्नति (भग १२, ४-पत्र ५६१)। पाम से २, ३; सुर ३, ५८ प्रासू १४१) साह देखो सलाह - श्लाघ् । कृ. साहणीअ कवकृ. साहण्णंत, साहन्नंत (राजा ठा सासय पुंस्वाश्रय] निज का आधार (से | २,३--पत्र ६२) । संकृ. साहणित्ता (भग)।साह सक [साध] १ सिद्ध करना, बनाना। साहण न [साधन] १ उगय, कारण, हेतु सासव पुं [सर्पप] सरसों (माचा २, १, ८, २ वश में करना । साहइ, साहेइ, साहेति (विसे १७०६)। २ सैन्य, लश्कर (कुमाः ३) नालिया स्त्री [ नालिका कन्द-विशेष (भगः कप्पः उव; प्रासू २७; महा)। वकृ. सुर १०, १२१)। ३ वि. सिद्ध करनेवाला: (प्राचा २, १, ८, ३)। साहंत, साहिंत, साहेमाण (सिरि ६२८ 'जह जीवाण पमानो अणत्यसयसाहणो होई' सासवूल पुं [दे] कपिकच्छू का पेड़, कौछ, । महाः सुर १३,८२)। कवकृ. साहिज्जमाण | (हि १३; सुर ४, ७०)श्री.णा, 'णी किवांच, कवाछ (दे ८, २५)।. (नाट)। हेकृ. साहिलं (महा)। कृ. साह- (हे ३, ३१ षड्). सासागन [सास्वादन] १ गुण-स्थानक- णिज, साह्णीअ, साहियव्य (मा ३६ साहणण न [संहनन] संघात, अवयवों का सासायण । विशेष, द्वितीय गुरण-स्थान (कम्म पउम ३७, ३०; सुर ३, २८)। मापस में चिपकना (भग ८,६-पत्र ३६५; ४, १३; ४६)। २ वि. द्वितीय गुण-स्थान साह पुं[दे] १ वालुका, बालू । २ उलूक, । १२, ४-पत्र ५:७)।में वर्तमान जीव (सम्य १६; सम्म २६)। उल्लू । ३ दधिसर, दही की मलाई (दे ८, | साहणिअ ' [साधनिक] सेना-पति (सुपा सासि वि [श्वासिन् ] श्वास-रोगवाला (तंदु ५१) । ४ प्रिय, पति (संक्षि ४७)। २६२) साह (अप) देखो सव्व =सर्व (हे ४, साहणिज्ज देखो साह = साध् । - सासिटु (शौ) वि [शासित] शासन-कर्ता, ३६६; कुमा)। साहर्ण देखो साहण = साधन ।। शिक्षा-कर्ता (अभि २१४)। साहणाअ देखो साह = श्लाघ् , साध् । साहंजग [दे] गोक्षुर, गोखरू (दे सासिल्ल देखो सासि (विपा १,७-पत्र साहंजय ) ८, २७)। साहाणंत देखो साहण = स + हन ।. साहस्थिं प्रबहस्तेन] १ अपने हाथ से । साहंजणी स्त्री [साभाअनी] नगरी-विशेष २ साक्षात् (गाया १, ६--पत्र १६३; सासुया देखो सासू (सुर ६, १५७, ६, (विपा १, ४–पत्र ५४)। उवा)। २३३, सिरि ६४६)। साग वि [साधक] सिद्धि करनेवाला, | साहस्थिया । स्त्री [स्वाहस्तिकी] क्रिया-विशेष, सासुर न [श्वाशुर ] श्वशुर-गृह (सुर ८, साधना करनेवाला (णाया १, ८ टी-पत्र साथी अपने हाथ से गृहीत जीव आदि १६४) १५५; कप्पः नव २५, सुपा ८४ धर्मसं द्वारा हिसा करने से होनेवाला कम-बन्ध सासुर (अप) देखो ससुर = श्वशुर (भवि) । ७० हि २०) । (ठा २,१-पत्र ४०; नव १८)। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 963 964 965 966 967 968 969 970 971 972 973 974 975 976 977 978 979 980 981 982 983 984 985 986 987 988 989 990 991 992 993 994 995 996 997 998 999 1000 1001 1002 1003 1004 1005 1006 1007 1008 1009 1010