Book Title: Paia Sadda Mahannavo
Author(s): Hargovinddas T Seth
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 954
________________ ८८४ पाइअसदमण्णो सव्विवर-सह सवित्रा देवो का-व्यिवर = स-विवर । ससि पुं शशिन] १ चन्द्रमा, चांद (सुज्ज सस्मवण वि [सश्रवण] सकर्ण, निपुण (सुपा सम्मास स्त्रीसियापधि]१लब्धि-विशेष, २०-पत्र २६१; उव, कप्प; कुमाः पि ६४५)।जिसके प्रभाव से शरीर की कफ आदि सब ४५)। २ एक विद्यार्थी का नाम (पउम सस्सिय पुं [शस्यिक] कृषीवल, कृषक चीज पौषधि का काम करती है (पएह २, ५.६४)। ३ चन्द्र नाड़ी, वाम नाड़ी (सिरि (राज)१-पत्र ६६) २ वि. लब्धि-विशेष को ३६१)। ४ एक देव-विमान (देवेन्द्र १४३)। सस्सिरिअ देखो स-स्सिरिअस-श्रीक ।। प्राप्त (राज) ५ छन्द विशेष (पिंग)। ६ एक राजा का नाम सस्सिरिली देखो सिस्सिरिली (उत्त ३६, सस अवस.] खास लेना. सांसना। (उव)। ७ दक्षिण रुचक पर्वत का एक कूट ९८). ससाइ (रयरा ६)। दकृ. ससंत (गाया १, (ठा ----पत्र ४६६) अंत पुं[कान्त] सस्सिरीअ देखो स-स्सिरीअ = स-श्रीक ।१--पत्र ६३ गा५४६; सुर १२, १६४, कान्त माण (अच्नु ५८)। अलाना सस्सू स्त्री [ श्वभू] सास, पति या पत्नी की नाट-मृच्छ २२०)। 'कला] चन्द्र की कला, सोलहवां भाग माता (प्राकृ३८: सिरि ३५५) । सस [रास] खरगोश (णाया १,१--पत्र (गउड)। कर देखो अंत (कुमा; सण) 1M २४; ६ सह अक [ राज ] शोभना, विराजना । सहइ पभ, पह, [भ] १ माठवें जिनदेव, इंच पूं[चिह्न] चन्द्रमा (गउड) । (हे ४, १००; पाम कुमा; सुपा ४) भगवान् चन्द्रप्रभा । २ इक्ष्वाकु वंश का एक हर पुं [धर] चन्द्रमा (णाया राजा (पउम ५, ५) १, ११, सुर १६, ६; हे '३, ८५, कुमा; पहा मी प्रभा] सह अक । सह.] सहन करना। सहइ, वज्जा १६; रंभा) एक रानी, कर्पूरमंजरो को माता (पउम सहात (उवः महा: कुमा), सहइरे, सहेइरे ६, ६१ कप्पू) मणि पुंस्त्री [मणि] (पि ४५८) वकृ. सहत, सहमाण (महा। ससंकसिशाङ्क] १ चन्द्रमा, चद (कप्प; चन्द्रकान्त मणि (ले ६, ६७) ५ °लेहा श्री षड् । स. साहअ (महा) । हेक. साहउँ, सुर १६, ५५, सुपा २:; कप्पू, रंभा)। [ लेखा] चन्द्र की कला (सुमा ६:३)। और सोढुं (महा; धात्वा १५५; १५७)। कृ. २ नृप-विशेष (पउम ५, ४३, ८५, २) "वक्कय न [ क] आभूषण-विशेष सहिअव्य, सोढव्य (धात्वा १५५, सुर धम्म [ध] विद्याधर-वंश का एक । (प्रौप) । वेग वेग] एक राज-कुमार १४,८०७ गा १८ कप्पू, उप ७२८ टी धात्वा राजा (पउम ५, ४४)। (उप १०३१ टी) । सेहर ' [शेखर] ससंक देखो स-सं: = स-शङ्क।। महादेव, शिव (सुपा ३३) सह सक [आ + ज्ञा] हुकुम करना. पादेश ससंकि देखो स-संकि सशहित ससिअन [श्वसितावास. साँस १२. करना, फरमाना । सहइ (धात्वा १५५) ससंग देखो ससंक= शशाङ्क। सह वि [दे] १ योग्य, लायक (दे ८, १)। ससंवेण देखो स-संवेयण = स्व-संवेदन । ससिण देखो ससि (क) । २ सहाय, मदद-कर्ता (सूम १, ३, २, ६)।सासगिद्ध वि सिंस्निग्ध, सस्निग्ध] स्नेह- सह वि [व] देखो स= स्व (प्राचा) ससक्स सिसाक्ष्य] साक्षीवाला (राय "देस पुं[देश] स्वदेश, स्वकीय देश (पिंग)। युक्त (पाचा २, २, ७, ११; कप्प)। १४०)। संबुद्ध विसंबुद्ध] १ निज से ही ज्ञान ससग पु [शराक] देखो सस = शश ससिस्थ न [सस्क्यि ] पाटा आदि से लिप्त। को प्राप्त । २ पुं. जिन-देव (मौप)। (उव) । हाथ या बरतन प्रादि का धोवन (पडि)। सह वि [सह] १ समर्थ, शक्तिमान् (पाय: ससण वसन] १ शुण्डा-दण्ड, हाथी सप्तिरिया देखा स-सिरिय = स-श्रीक। से ५, २३)। २ सहिष्णु, सहन कर्ता की सूंड (नंदु २. औप)। २ वायु, पवन । (प्राचा) । ३ . युगलिक मनुष्य को एक ३ न. निधात (राज)। ससिह देखो स-सिह = स-स्पृह. स-शिख ।। जाति (इक राज)। ४ अ. साथ, संग (स्वप्न ससत्ता देखो स-सत्ता = स-सत्त्वा । ससुर पुंश्वसुर ससुर, पति और पत्नी का ३४; पाचा. जी ४३ प्रासू ३८)। ५ युगपत्, पिता (पउन १८, ८ हेका ३२, कुमाः सुपा ससरक्ख विसर जस्क, सरक्ष] १ रजो एक साथ (राज)। कार [कार] १ ३७७) आम का पेड़ (कण)। २ साथ मिलकर काम युक्त, धूलावाला (प्राचा २, १, ६, ३; २, ससूग देखो स-सूग = स-शूक । - २.३, ६३; प्राव ४)। २ पुं. बौद्ध मत का करना । ३ मदद, साहाय्य (हे ११७७)। ससेस देखो स-सेस =स-शेष । कारि वि [कारिन] १ साहाय्य-कर्ता साधु (सुख १८, ४३; महा)। ससाग देखो स-सोग = स-शोक । (पंचा ११, १२)। २ कारण-विशेष (विसे ससरा घि[२] निष्पिष्ट, पिसा हुग्रा (दे ससोगिल्ल ११६८ श्रावक २०६) गत, गय वि सस्स न [शस्य] १ क्षेत्रगत धान्य (गा [गत] संयुक्त (पएण, २२–पत्र ६३७; सस स्त्री स्थान] बहन, भगिनी (पिंड ३१७; ६८६ महा; सुपा ३२)। २ त्रि. प्रशंसनीय, उव) गारि, गारिअ देखो कारि (धर्मसं हे ३, ३५: कुमा) । श्लाध्य (सुपा ३२) । देखो सास = शस्य । ३०६ उप ४७२, उबर ७६) °चर देखो Jain Education Intemational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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