________________
८१३
वीआविय-वीर
पाइअसहमहण्णवो वीआविय वि [वीजित] जिसको पंखा से वीईवय देखो वीइवय । वोईवयइ (भगः सुज वीमंस सक [वि + मृश , मीमांस ]
हवा कराई गई हो वह (स ५४६)।- २० टी; भग ७, १०-पत्र ३२४)। वकृ. विचार करना, पर्यालोचन करना। संकृ. वीइ पुंस्त्री [वीचि १ तरंग, कल्लोल (पान वीईवयमाण (राय १६ पि ७०; १५१) वीमंसिय (सम्मत्त ५६)। प्रौप)। २ प्राकाश, गगन (भग २०, २
वीचि देखो वीइ = वीचि (कप्पा भग १४, वीमंसय वि[विमर्शक, मीमांसक] विचार७७५)। ३ संप्रयोग, संबन्ध (भग १०, । ६-पत्र ६४४)।
कर्ता (उब)। २-पत्र ): ४ पृथग भान, जुदाई
वीचि स्त्री [दे] लघु रथ्या. छोटा मुहल्ला वीमंसा स्त्री विमर्श, मीमांसा] विचार, (भग १४, ६ टी-पत्र ६४४) दव्व न (दे ७, ७३) ।
पर्यालोचन, निर्णाय की चाह (सूत्र १, १, [°द्रव्य प्रदेश से न्यून द्रव्य, अवयव-हीन वीज देखो वीअ = बीजम् । वीजइ, बीजेमि
२, १७ विसे २८६, ३९६, ५६५; उप वस्तु (भग १४, ६ टी-पत्र ६४४)। (हे ४,५ षड् मै ६६)
५२०)। वीजण देखो वीअण (कुमा)। वीइ स्त्री [विकृति] १ विरूप कृति, दुष्ट ।
वीमंसिय वि [विमर्शित, मीमांसित ] क्रिया। २ वि. दुष्ट क्रियावाला (भग १०, वीजिय देखो वं.इय (स ३०८) ।
विचारित, पर्यालोचित (सम्मत्त ५४)। २–पत्र ४६५)। ३ देखो विगइ (कम
वीडय । देखो बीडग (स ६७)।
वीर पुं[वीर] १ भगवान् महावीर (पएह १, ४, ५ टी)।वीडय पुं [ब्रीडक] लजा, शरम (गउड
१-पत्र २३; १, २, सुज्ज २० जी १)। वीइंगाल वि [वीताङ्गार] राग-रहित (भग । ७३१)।
२ छन्द-विशेष (पिग)। ३ साहित्य-प्रसिद्ध ७, १-पत्र २६२, पि १०२)। | वीडिअ वि [वीडित] लजित, शरमिन्दा |
एक रस (अणु १३६)। ४ वि. पराक्रमी,
शूर (प्राचाः सूत्र १, ८, २३, कुमा)। ५ वीइकंत वि [व्यतिक्रान्त] १ व्यतीत, (णाया १, ५-पत्र १४३)।
पुंन. एक देव-विमान (सम १२, इक)। ६ गुजरा हुआ 'बासीए राईदिएहि वीइक्कतेहि वीडिआ स्त्री [वीटिका] सजाया हुआ पान,
न. वैताढ्य पर्वत की उत्तर श्रेणी में स्थित (सम ८६)। २ जिसने उल्लंघन किया हो | बीड़ा (गउड)। देखो बीडी।
एक विद्याधर-नगर (इक)। कंत पुन वह (भग १०, ३ टी-पत्र ४६६) वीढ देखो पीढ (गउड़ उप पृ २२६; भवि)।
[कान्त] एक देव-विमान (सम १२) कण्ह वोइक्कम सक [व्यति + क्रम् ] उल्लंघन वीण सक[ वि + चारय ] विचार करना। पुं [कृष्ण] राजा श्रेणिक का एक पुत्र करना । वकृ. वीइक्कममाण (कस)। वीणइ, वीणेश (धात्वा १५३; प्राकृ ७१) । (निर १, १, पि ५२) । कण्हा स्त्री वीइज्जमाण देखो वीअ = वीजय । वीण देखो पीण (सुर १३, १८१)। किष्णा] राजा श्रेणिक की एक पत्ती वीइमिस्स वि [व्यतिमिश्र मिश्रित, मिला | वीणण न [दे] १ प्रकट करना (उप पू। (अंत २५) । कूड पुंन [°कूट] एक देवहुमा (प्राचा)।
११८)। २ विदित करना, ज्ञापन (उप विमान (सम १२) । गत पुंन [गत] एक वीइय वि [वीजित] जिसको हवा की गई | ७६५)।
देव-विमान (सम १२ ) जस पुं हो वह (औपः महा)।
वीणा स्त्री [वीणा] वाद्य-विशेष (औपः कुमा [यशस ] भगवान महावीर के पास वीइवय सक [व्यति + व्रज ] १ परि
गा ५६१; स्वप्न ६७) यरिणी स्त्री दीक्षा लेनेवाला एक राजा (ठा ५-पत्र
[करी] वीणा-नियुक्त दासी; 'ता लहु ४३०)। °उभय पुन ["ध्वज] एक देवभ्रमण करना। २ गमन करना, जाना। ३ उल्लंघन करना। वीइवयइ वीइवइजा, वीणायरिणि सद्देहि, सद्दिया वीणायरिणी' विमान (सम १२)। धवल पुं [ धवल]
गुजरात का एक पसिद्ध राजा (ती २; वीश्वएजा (सुज २० टीः भग १०, ३
(स ३०९)। 'वायग वि [ वादक वीणा पत्र ४६८)। वकृ. वीइवयमाण (णाया बजानेवाला (महा)।
हम्मीर १३)। 'निहाण न [निधान] १, १-पत्र ३१)। संकृ. वीइवइत्ता,
वीत देखो वीअ%वीत (ठा २, १-पत्र स्थान-विशेष (महा) °प्पभ न [प्रभ] वीइवएत्ता (भग २, ८, १०, ३-पत्र
५२, पराण १७-पत्र ४६४; सुज २०- एक देव-विमान ( सम १२)। भद पुं ४६६) पत्र २९५)।
[भद्र] भगवान पार्श्वनाथ का एक गणवीतिकंत । देखो वीइकंत (भग १०, ३-- धर (सम १३, कप्प)। मई स्त्री [मती] वीई स्त्री. देखो वीइ = वीचि (पात्र; भग १०,
वीतिकंत पत्र ४६८ णाया; १,१-पत्र एक चोर-भगिनी (महा)। लेस पुन 'लेश्य] २०२०.२)। २४, २६)
एक देव-विमान (सम १२) 4 वण्ण पुन वीई प्र[विविच्य] पृथग होकर, जुदा होकर वीतिवय । देखो वीइवय । वीतिवयंति (भग)।। ["वर्ण] एक देव-विमान (सम १२). वरण (भग १०, २-पत्र ४६५)।
बीतीचय वीतीवयइ (णाया १, १२--पत्र न [°वरण] प्रतिसुभट से युद्ध का स्वीकार, वीई प [विचिन्त्य] चिन्तन करके (भग १७४)। कृ. वीतिवयमाण (कप्प )। 'इस योद्धा से मैं लड़गा' ऐसी युद्ध की मांग १०,२–पत्र ४६५)। । संकृ. वीतिवइत्ता (प्रौप)।
(कुमा ६, ४६ ५२)। वरणी स्त्री
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org