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वेढण न [ वेष्टन ] लपेटना (से १, ६०, ६, ४३; १२, १५; गा ५६३: धर्मसं ४६७ ) 1मेडिअ वि[]] पेटा हुया ( सुर २,२३८ ) ।
पाच
वेटिम वि [वेष्टिम] ? वेष्टन से बना हुप्रा ( पह५११५०६२णाया १, १२पत्र १७ घो) २ श्री. विशेष ( परह २, ५ - पत्र १४८ राज ) । वेण पुं [दे] नदी का विषम घाट (दे ७, ७४) 1
वेण (ग्रप) देखो वयण = वचन ( हे ४, ३२९) । - वेणइअ न [चैनयिक] १ विनय, नम्रता (ठा ५. २- पत्र ३३१; दस ६, १२, १२० सहि १०६ टी २ मिध्याय विशेष सभी देवों और धर्मों को सत्य मानना (संबोध ५२) । ३ वि. विनय-संबन्धी (सम १०६ भग) । ४ दिन को ही प्रधान माननेवाला, विनयवादी (१६, २७)। बाद [वाद] विनय को हो मुख्य माननेवाला दर्शन (धर्म ९९४) ।
स्त्री [वैनयिकी] विनय से प्राप्त होनेवाली बुद्धि (उप पृ ३४०; छाया १, १ - पत्र ११ ) ।
}
बेणगी वेणइया
वेणइया स्त्री [वैrकिया ] लिपि-विशेष (सम ३५; पण १ - पत्र ६२ ) -
येणा श्री] [देणा] मह] स्थूलद्र को एक भगिनी (कप्प पडि) 1
[[]] १ वंश, बॉस (पाम कुमाः षड् ) । २ एक राजा (कुमा) । ३ वाद्य विशेष सी (हे १, २०३) दालि [दाख] एक इन्द्र सुपकुमार देशों का उत्तरदिशा का इन्द्र (ठा २, ३ पत्र ८४
पाइअसद्दमणची
एक) । "देव
[देव] १ सुपकुमार | नामक देव-जाति का दक्षिण दिशा का इन्द्र (ठा २, ३ – पत्र ८४) । २ देव - विशेष (ठा २, ३ – पत्र ६७६ ७६ ) । ३ गरुड पक्षी (सूत्र १, ६, २१) । याणुजाय पुं ["काजात ] गणितशास्त्र-सितम योगों में द्वितीय योग, जिसमें चन्द्र, सूर्य और नक्षत्र वंशाकारसे अवस्थान करते हैं (सुज १२पत्र २३३ ) । -
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७८ षड् ) 1
वेणुणास पुं [दे] भ्रमर, भौंरा (दे ७, } वेणुसाअ वेण्ण वि [दे] श्राक्रान्त (षड् ) । वेण्णा स्त्री [वेन्ना ] नदी - विशेष -1 °यड न [तर] नगर विशेष (उम ४८६३ महा वेण्डु देखो विण्डु (संक्षि ३: प्राकृ ५)।वेताली स्त्री [दे] १ तट, किनारा 'जन्नं नावा पुव्चवेतालीउ दाहिणवेतालि जलप हेणं गच्छति' ( १६ – पत्र ४८० ) २ गली (प्रा० वृ० पत्र ३५५ ) । -
वेतन [दे] स्वच्छ वस्त्र (दे ७, ७५) । वेत्त पुं [वेत्र] वृक्ष-विशेष, बेंत का गाछ (पण १ – पत्र ३३, विपा १, ६–पत्र ६६) सन [सन] बैत का बना हुआ आसन (पउम ६६, १४) । व्यव[य] जानने योग्य (प्रा) 1 [त्रिक] द्वारपाल अपराधी
(सुपा ७३) ।
देखो वे = वेदम्ववेद, वेद॑ति वेदेति
[णि श्री] [[]] [१] एक प्रकार की श-रचना बालों की भी हुई चोटी (२ विशेष ( स ) | ३ गंगा और यमुना का संगमस्थान (राज) । वच्छराय पुं [वत्सराज ] एक राजा ( कुल ४४० ) ।
।
(भग; सूत्र १, ७, ४ ठा २, ४ पत्र १००), वेदेश (पर्मेस १९६) भूसा वेसु (ठा २, ४, भग) । भवि वेदिस्संति (ठा २, ४, भग) । कत्रकृ. वेदेज्जमाण (ठा १०- पत्र ४७२) ।
वैणिअन [हे] वचनीय, लोकापवाद (दे ७, ७५ प )
वेणी स्त्री [श्रेणी] देखो वेणि ( से १, ३६
|
वेद देखो वेअ = वेद (पराह १, २ -- पत्र ४०;
धर्मसं ८६२)
गा २७३३ कप्पू) 1
बेति
वेदंत देखो वेअंत (धर्म १३ ) । वेदक वेदग
}
देखो वेअग ( परह १, २ --पत्र २८१२०।
वेदणा देतो विणा (भगः स्वप्न ८० नाट मालवि १४) ।
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वेढण-वेमणस्स
बेदम्भी श्री [वैदर्भी] प्रयुक्त कुमार की एक स्त्री का नाम ( अंत १४) ।
वेदस (शौ) देखो वेडिस (प्राकृ ८३; नाट शकु ६८ ) 1
वेदि देखो वेइ = वेदि (पउम ११, ७३) ।
चांदग [ वादक एक इभ्य मनुष्य जाति, पुं क्य करूंदाव वेदेहा वेदिगातिता (? इया ) हरिता चुंचुरणा चैव
छप्पेता इब्भजाइश्रो ।'
(ठा ६ - पत्र ३५८ ) 1 वेदिस न [ वैदिश ] विदिशा की तरफ का वेदिय देखो वेइअ = वेदित (भग) | नगर (१४९) । वेदुलिय देखो वेरुलिअ (चंड ) । वेदूणा स्त्री [दे] लजा, शरम (दे ७, ६५) । वेदेसिय देखो वइदेसिअ (राज) । बेदेद
[वैदेह] एक इम्य मनुष्य जाति (ठा ६- ३५० देखी बदेह वेदे हि [विदेहिन] विदेह देश का राजा (उत्त १,१२) ।
वेधम्म देखो वइधम्म (घर्मंसं १८५) ।৺ वैधव्व देखो बेहत्र्व (मोह १९) । देखो (उप ११२) । बेप्प वि[दे] भूत बादि से गृहीत पागल (द ७, ७४) 1बेन []
प २ ि भूत-गृहीत, भूताविष्ट (दे ७, ७६) । बेफान [स्] निष्फलता (विये ४१६
धर्मसं २२; अज्झ १३३) । बेभल वि[पिहू बल] ब्याकुल (प्रा) । वेन्मार) [वैभार] पर्वत- विशेष, राजगृही वेभार के समीप का एक पहाड़ (गाया १, १-पत्र ३३३ सिरि ४) । - बेम देखो वेमय । वेम ( प्राकृ ७४) ।
म [मन] तन्तुवाय का एक उपकरण (विये २१००)
मइ वि [भग्न] भाँगा हुआ (कुमा ६, ६८) । प्रेमणस्स न [वैमनस्य] द्वेष (उ) २ दैन्य १- पत्र ५) ।
मना भीतरी तापह १,
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