Book Title: Paia Sadda Mahannavo
Author(s): Hargovinddas T Seth
Publisher: Motilal Banarasidas
View full book text
________________
८५८
पाइअसहनहण्णवो
सञ्चित्त सझिल्लग
पत्नी, सत्यभामा (कुप्र २५८) । ३ इन्द्राणी सजोणिय देखो स-जोणिय = स-योनिक । सज्जीव अक [सज्जो + भू] सज्ज होना, (चउप्पन्न० ऋषभ-चरित) 'मोस विसन प्रकसज १ ग्रासक्ति करना।। तय्यार होना । सज्जाहवाइ (श्रा १४) । मृषा मिश्र-भाषा, सत्य से मिला हुआ २ सक. आलिंगन करना । सजइ (उत्त २५,
सज्जो देखो सज्ज = सद्यस (सुपा ३६७)। झूठ वचनः सच्चामोसारिण भासइ(सम ५०) २०), सजह (गाया १,८-पत्र १४८)।
सज्जोक वि [] प्रत्यग्र, नूतन, ताजा (दे सचिव देवो ल-ञ्चित्त = स-चित्त। वकृ. सज्जमाण (सूम १, ७, २७; दसचू
८, ३). सचिल्लय विदे. सत्य सच्चा, यथार्थ
२, १०, उत्त १४, ६, उवर १२)। कृ.
सझ वि [साध्व] १ साधनीय, सिद्ध करने (दे ८, १४) सन्जियव्य (पराह २, ५–पत्र १४६) ।
योग्य । २ वश में करने योग्य; 'बलियो हु सीसय पुंदे सच्चीसक] वाद्य-विशेष सज्ज अक [ सस् ] १ तय्यार होना। २
इमो सत्तू ताव य सज्झो न पुरिसगारस्स' (पउम १०२, १२३)। देखो बद्धीसका । सक. तय्यार करना, सजाना । सजेइ, सज्जेति
(सुर ८, २६ सा २४)। ३ तर्कशास्त्र प्रसिद्ध सच्चे विअ वि [] रचित, निर्मित (दे ८, |
अनुमेय पदार्थ, जैसे धूम से ज्ञातव्य वह्नि (कुमाः णाया १,८--पत्र १३२)। कर्म. सजीअंति ( कप्पू)। कवकृ. सजिजंत
(पंचा १४, ३५)। ४ . साध्यवाला, पक्ष सच्छ वि स्वच्छ] प्रति निर्मल (सुपा ३०)।
(विसे १०७७)। ५ देवगण-विशेष । ६ (कप्पू)। संकृ. सजिऊण, सज्जे (स ६४; सच्छंद वि स्वच्छन्द] १ स्वाधीन, स्व-वश महा)। कृ. सजियव्य, सज्जेयव्य (सत्त
योग-विशेष । ७ मन्त्र-विशेष (हे २, २६)। (अ ३३६ टोः सुर १४, ८५)। २ न.
४०; स ७०)। प्रयो., संकृ. सज्जादेऊण सज्म [ला १ पर्वत-विशेष (स ६७६) । स्वेच्छानुसार (णाया : ८-पत्र १५२; (महा)
२ वि. सहन-योग्य (हे २, २६; १२४) । प्रौप अभि ४६; प्रासू १७)। गामि वि सज सिर्ज] वृक्ष-विशेष (णाया १,१- सभांतिय पुं[.] ब्रह्मचारी (राज)। [गा मन] इच्छानुसार गमन करनेवाला, | पत्र २५, विसे २६८२ स १११; कुमा)। सम्झांतिया स्त्री दे] भगिनो, बहिन (राज)।स्वैरी। स्त्री.°णी (सुपा २३५) चारि,
सज पुं[षडज] स्वर-विशेष (कुमा)। 'यारि वि [चारिन्] स्वच्छन्दी, इच्छानु
समतेबासि पुं स्वाध्यायान्तेवासिन्] सज्ज वि [सज्ज तय्यार, प्रगुण (गाया १, सार विहरण करनेवाला, स्वैरी। स्त्री.°णी
विद्या-शिष्य (सुख २, १५)। (सं ३६; श्रा १६; गच्छ १, १०)
८-पत्र १४६; सुपा १२२, १६७; हेका सज्ममाण विसाध्यमान] जिसकी साधना ४६; पिंग)।
की जाती हो वह (रयण ४०)। सच्छर सक दृश् ] देखना (संक्षि ३६) ।
सजलास तुरन्त, जल्दी, शोघ्र; सज्झन सक [दे] ठीक करना, तन्दुरुस्त सच्छह विहे. सच्छाय] सदृश, समान, सज्ज । 'सजघायणं से कम्मरणजोगं पउंजामि'
करना । सज्झवेहि, सज्झवेमि (सुख २, तुल्य (दे ८, ६; गा ५; ४५; ३०८; ५३३
(स १०८ सुख ८, १३; गा ५६७ प्रः १५)। ५८०० ६८१: ७२१ सुर ३, २४६, धर्मवि कास)
सज्झस न [साध्वस] भय, डर (हे २, २६; सज्जंभव [शय्यम्भव] एक प्रसिद्ध जैन कुमा)। सच्छा विछाय] १ समान छाया
महर्षि (साधं १२)
समाइय वि स्वाध्यापिक] १ जिसमें पठन बाला. तुल्य (गउड; कुप्र २३)। २ अच्छी सजण देखो स-जम = सज्जन । -
आदि स्वाध्याय हो सके ऐसा शास्त्रोक्त देश, कान्तिवाला (कुमा)। ३ सुन्दर छायावाला।
काल प्रादि (ठा १०--पत्र ४७५) । २ न. ४ कान्ति-युक्त । ५. छाया-युक्त (हे १, २४६)
सज्जा देखो सेजा (राज)।सजा देखो सजा । सजिअ बि [सजित] सजाया हुआ, तय्यार
स्वाध्याय, शास्त्र-पठन सच्छाह विलाय जिसकी छाही सुन्दर
आदि (पब २६८% किया हुप्रा (औप; कुमाः महा)। हो वह । २ छांही वाला। ३ समान छाया
णंदि २०७ टी)
सज्झाय पुंस्वाध्याय] शोभन अध्ययन, वाला, तुल्य, सदृश (हे १, २४६) | सजिअ विसजित] बनाया हुआ (दे १,
शास्त्र का पठन, प्रावर्तन आदि (प्रौप; हे २, सत्ता स्त्री लच्छना] वनस्पति-विशेष । १३८)।
२६; कुमा; नव २६) (सूम २, ३, १६) सजिअ [दे] : नापित, नाई। २ रजक,
सज्झाराय वि[लाशाज] सह्याचल के राजा सजण देखो स-जण स्व-जन ।
धोबो। ३ वि. पुरस्कृत, आगे किया हुभा । से सम्बन्ध रखनवाला, सादिक राजा का सजिप देखो सजीव (सुर १२, २१०) ४ दीर्घ, लम्बा (दे ८, ४७)।
(पउम ५५, १७)। सजुन देखो संजुत्त (पिंग)।
सज्जिआ स्त्री [सजि] क्षार-विशेष, साजी सझिलग [६] भ्राता, भाई (उप २७५; संजोइ देखो स-जोइ = स-ज्योतिष् । खारः 'वत्थं सज्जियाखारेण अणुलिपति' । ३७७; पिंड ३२४)।सजग विसोगिन] १ मन आदि का (णाया १,५-पत्र १०६)।
सज्झिलगा स्त्री [३] भगिनी, बहिन (पिंड व्यापारवाला। २ पुंन. तेरहवाँ गुरण-स्थानक
३१६, उप २०७) देखो स-
ज स -जीव ।। (पि ४११सम २६; कम्म २, २, २०) सज्जीव ।
सझिल्लग देखो सज्झिलग (राज)।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 926 927 928 929 930 931 932 933 934 935 936 937 938 939 940 941 942 943 944 945 946 947 948 949 950 951 952 953 954 955 956 957 958 959 960 961 962 963 964 965 966 967 968 969 970 971 972 973 974 975 976 977 978 979 980 981 982 983 984 985 986 987 988 989 990 991 992 993 994 995 996 997 998 999 1000 1001 1002 1003 1004 1005 1006 1007 1008 1009 1010