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२१)।
८२२ पाइअसद्दमण्णवो
वेलुरिअ-वेसर बांसकरिला, वनस्पति-विशेष (दस ५, २, वेल्लिर वि [वेल्लित] काँपनेवाला (गउड)। संपायण देखो वइसंपायण (हे १, १५२; वेल्ली देखो वेल्लि (गा ८०२; गउड)
षड् ). वेलरिअ) देखो वेरुलिअ (प्रातः पि २४१,
व अक[ प्कापना। वेवइ (हे ४,
वेसंभ [विश्रम्भ] विश्वास (पउम २८, ललिअ दे ७, ७७)।
१४७; कुमा; षड ) । वकृ. वेवंत, देवमाण वेलणा स्त्री [दे] लज्जा, लाज (दे ७, ६५)। रंभा; कप्पा कुमा)।
वेसंभरा स्त्री [दे] गृहगोधा, छिपकली (दे वेल्ल अक [ वेल्ल] १ क.पना । २ लेटना। वेवज्झ न [वैवाह्य विपाह, शादी (राज)।
। ७,७७)। ३ सक. कंपाना। ४ प्रेरना। वेल्लइ (पि. वेवण्ण न ववर्य] फोकापन (कुमा)।
वेसक्खिज्ज न [दे] द्वेष्यत्व: विरोध, १०७)। वेल्लंति (गउड)। वकृ. वेहंत,
दुश्मनाई (दे ७, ७६) वेवय पुन [ वेपक ] रोग-विशेष, कम्प वेल्लमाण (गउडः हे १, ६६: पि १०७) । - (प्राचा)।
वेसण न [दे] पचनीय, लोकापवाद (दे वेल्ल पक [रम्] क्रीड़ा करना । वेल्लइ (हे वेवाइअ वि [दे] उल्लसित, उल्लास-प्राप्त
७, ७५)।४.१६८)। क. वेल्टणिज्ज (कुमा ७, १४) (दे७, ७४)।
वेसण न [ वेषण ] जीरा आदि मसाला वेल्ल पुं [दे] १ केश, बाल । २ पल्लव । ३ वेवाहिअ वि [वैवाहिक संबन्धी, विवाह
(पिंड ५४) विलास (दे ७, ६४)। ४ मदन-देदना, काम
संबन्धवाला (सुपा ४६६; कुप्र १७७)।
सोमण न वेिसन चना आदि द्विदल-दाल पीड़ा। ५ वि. अविदग्ध, मूर्ख (संक्षि ४७)। विविपिन
का प्राटा, बेसन (पिंड २५६)। ६ न. देखो वेल्लग (सुपा २७६)।
पाय)। २ पृ. एक नरक-स्थान (देवेन्द्र २७)।- वेसमग पुं [वैश्रमण] ? यक्षराज, कुबेर वेल्लइअ देखो वेल्लाइअ (षड्)।
वेविर वि विपितृ कापनेवाला (कमा हे २. (पान; णाया १, १-पत्र -३६%; सुपा वेल्लग न [दे. १ एक तरह की गाड़ी, जो १४५; ३, १३५)।
१२८)।२ इन्द्र का उत्तर दिशा का लोकपाल ऊपर से ढकी हुई होती है, गुजराती में
(सम ८६; भग ३, ७-पत्र १६६)। ३ वेव्व अ [दे] आमन्त्रण-सूचक अव्यय (हे 'वेल'। २ गाड़ी के ऊपर का तला (था।
एक विद्याधर-नरेश (पउम ७, ६६)। ४ २, १६४ कुमा)।
एक राजकुमार (विपा २, )। ५ एक वेव्व प्र[दे] इन अर्थों का सूचक अव्ययवेल्लण न [वेल्लन] प्रेरणा (गउड)।
शेठ का नाम (सुपा १२८, ६२७)। ६ १ भय, डर । २ वारण, रुकावट । ३ विषाद, वेल्लय देखो बेल्लग (सुपा २८१; २८२)।
अहोरात्र का चौदहवाँ मुहूतं (सुज १०, १३; खेद । ४ प्रामन्त्रण (हे २, १६३, १९४; वेल्लरिअ [दे] केश. बाल (षड् )।
सम ५१)। ७ एक देव-विमान (देवेन्द्र कुमा)।
१४४)। ८ क्षुद्र हिमवान् प्रादि पर्वतों के वेल्लरिआ स्त्री दे] वल्ली, लता (षड्)। वेस पुं [वेष] शरीर पर वन्न प्रादि की सजा
शिखरों का नाम (ठा २, ३–पत्र ७०० वेल्लरी स्त्री [दे] वेश्या, वारांगना (दे ७ वट (कप्पः स्वप्न ५२, सुपा ३८६, ३८७;
८०८-पत्र ४३६, ६-पत्र ४५४)। ७६ षड्)।गउड; कुमा)।
काइय पुं [कायिक] वैश्रमण की प्राज्ञा वेल्लविअ देखो वेल्लिअ (से १, २६)। वेस वि [व्येष्य विशेष रूप से वांछनीय
में रहनेवाली एक देव-जाति (भग ३,७वेल्लविअ वि [दे] विलिप्त, पोता हुआ (से (वव ३)।
पत्र १६६)। दत्त पुं [दत्त] एक राजा वेस पुं [प] १ विरोध, वैर। २ घृणा,
का नाम (विपा १, ६-पत्र ८८)। वेल्लहल वि [दे] १ कोमल, मृदु (दे ७, अप्रीति (गउड; भवि)।
'देवकाइय पुं [देवकायिक वैश्रमण के वेल्ल हल्ल ६६ षड्; गउड; सुपा ५६२, वेस वि विष्य] वेषोचित, वेष के योग्य अधीनस्थ एक देव-जाति (भग ३, ७–पत्र स ७०४) । २ विलासी (दे ७.६६, षड़ (भग २, ५-पत्र १३७ सुज्ज २०- १६६) पभ पुं [प्रभ] वैश्रमण के सुपा ५२)। ३ सुन्दर (गा ५६८) पत्र २६१)
उत्पात-पर्वत का नाम (ठा १०-पत्र ४८२) वेल्ला स्त्रो [दे. वल्ली] लता, वल्ली (दे ७, वेस वि [द्वेष्य] १ द्वेष करने योग्य, अप्री- भद्द ' [भद्र] एक जैन मुनि (विपा ६४)।
तिकर (पउम ८८, १६ गा १२६; सुर २, वेल्लालअ वि [दे] संकुचित, सकुचा हुआ (दे | २०८ दे १, ४१) । २ विरोधी, शत्रु, दुश्मन वेसम्म न [वैषम्य] विषमता, असमानता ७, ७६)। (सुपा १५२; उप ७६८ टी)।
(अज्झ ५: पव २१६ टी)। वेल्लि देखो वल्लि (उवः कुमा)। बस देखो वइस्स= वैश्य (भवि)।
वेसर पुंस्त्री [वेसर] १ पक्षि-विशेष (पएह वेल्लिअ वि [बोल्लत] १ कैंपाया हुआ (से ७, वेसइअ वि [वैषयिक ] विषय से संबन्ध १, १-पत्र ८)। २ अश्वतर, खच्चर। ५१) । २ प्रेरित (से ६, ६५)। । रखनेवाला (पि ६१) -
स्त्री री (सुर ८, १९)
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