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वेकुंठ-वेढ
पाइअसद्दमहण्णवो
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वेकुंठ पुं[वैकुण्ठ] १ विष्णु, नारायण । २ ४, २-पत्र २२५; जीव ३, २-पत्र २६० वेठ्ठया देखो विट्ठा (सुर १६, १७५)। इन्द्र, देवाधीश। ३ गरुड पक्षी। ४ अर्जक ठा ४,२-पत्र २२६; जीव ३, २-पत्र वेदि देखो विद्रि; 'रायवेदि व मनता' (उत्त वृक्ष, सफेद बबरी का गाछ । ५ लोक-विशेष, ३२७ ३२६%; ३३१, ३४७)। १४ एक २७, १३, प्राकृ ५)। विष्णु का धाम (हे १, १६६)। ६ पुंन. अनुत्तर देवविमान का निवासी देव (सम
वेट्ठिद (शौ) देखो वेढिअ (नाट-मृच्छ मथुरा का एक वैष्णव तीर्थ (ती ७)। ५६)। १५ जंबू-मन्दर के उत्तर रुचक पर्वत
२) । वेग देखो वेअ = वेग (उवा; कप्पः कुमा) का एक शिखर: 'विजए य वि(? वे) जयंते
वेड [दे देखो बेड (दे ६, ६५; कुमा)। वई स्त्री [वती] एक नदी का नाम (ती | (ठा ८-पत्र ४३६)। १६ वि. प्रधान, १५) वंत वि [वत् ] वेगवाला (सुर
वेडइअ पुं[दे] वाणिजक, व्यापारी (दे ७, श्रेष्ठ (सूप १, ६, २०)। २, १६७)।
वेजयंती स्त्री [वैजयन्ती] १ ध्वजा, पताका वेगच्छ देखो वेअच्छ (उवा)।
वेडंबग देखो विडंबगः 'जह वेडंबगलिंगे' वेगच्छिया । स्त्री वैकक्षिका, क्षा] कक्षा
(सम १३७ः सून १, ६, १०, सुर १, ७० (संबोध १२) ।
कुमा)। २ षष्ठ बलदेव की माता का नाम वेडसावेतसा वृक्ष-विशेष, बेंत का गाछ वेगच्छी के पास पहना जाता वन्न,
(सम १५२)। ३ अंगारक प्रादि महाग्रहो उत्तरासंग (पव ६२); 'कयतिलो वेच्छि
(पामा सम १५२, कप्प) की एक-एक अग्रमहिषी का नाम (ठा ४,१- प्राणाववहारपणरूवं' (संबोध ६)
राव | मरिणकार. जौहरी (दे ७. पत्र २०४) । ४ पूर्व रुचक पर रहनेवाली एक वेगड स्त्रीन [दे] पोत-विशेष, एक तरह का
दिक्कुमारी देवी (ठा ८-पत्र ४३६)। ५ जहाज; 'चरसट्ठी वेगडाणं' (सिरि ३८२)।
वेडिकिल्ल वि [दे] संकट, सकरा, कमचौड़ा विजय-विशेष की राजधानी (ठा २, ३-पत्र
(दे ७, ७८)। वेगर पुं [दे] द्राक्षा, लोंग प्रादि से मिश्रित ५०)। ६ एक विद्याधर-नगरी (सुर ५, वेडिस देखो वेडस (प्राप्र हे १,४६, २०७० चीनी आदि (उर ५, ६)
२०४)। ७ रामचन्द्रजी की एक सभा (पउम
| कुमाः गा ७६०)। वेगुन्न देखो वइगुण्ण (धर्मसं ८८४; सुपा ८०, ३)। ८ भगवान् पद्मप्रभ की दीक्षा
वेडुबक । वि [दे] नृपादि कुल में उत्पन्न २६०) शिबिका (सम १५१)। ६ उत्तर अंजनगिरि
वेडवग ) (प्राव० परि नि० गा० ७६ वेग्ग देखो विअग्ग (प्राक ३०)। की दक्षिण दिशा में स्थित एक पुष्करिणी
आव० दीपिका भा० २ पत्र, ७०, २) वेग्ग देखो वेग (भवि)। (ठा ४, २-पत्र २३०)। १० पक्ष की
वेडुज । देखो वेरुलिअ (ह २, १३३; पाठवीं रात्रि का नाम: विजया य विजयंता वेग्गल वि [दे] दूर-वर्ती; गुजराती में 'वेग'
वेडरिअ पाम नाट-मृच्छ १३६) - (? वेजयंती' (सुज १०, १४)।११ भगवान् (हे ४, ३७०)। कुन्थुनाथ की दीक्षा-शिविका (विचार १२६)M
वेडल्ल वि [दे] गवित, अभिमानी (दे ७, वेचित्त देखो वइचित्त (भास ३०; अज्झ
वेज वि [वेद्य भोगने योग्य, अनुभव करने ४६)
वेड्ढ देखो वेढ = वेष्ट् । वेड्ढइ (प्राप्र)। वेच्च देखो विच्च = वि + अय् । वेच्चइ (हे ४, | योग्य (संबोध ३३)।
वेड्ढय पुं [वेष्टक] छन्द-विशेष (अजि ६) ४१६)
वेज पुं [वैद्य] १ चिकित्सक, हकीम (गा वेच्छ देखो विअ =विद् ।
२३७) उव)। २ वृक्ष-विशेष। ३ वि. पण्डित, वेढ सक [वेष्ट ] लपेटना । वेढइ, बेढेइ
विद्वान् (हे १, १४८, २, २४)। सत्थ न (हे ४, २२१, उवा)। कर्म. वेढिज्जइ (हे वेच्छा देखो वगच्छिया। सुत्त न [सूत्र] [शास्त्र] चिकित्सा-शास्त्र (स १७)।
४, २२१) । वकृ. वेढंत, वेढेमाण (पउम उपवीत की तरह पहनी जाती साँकली (भग
४९, २१; णाया १, ६)। कवकृ. वेढिजा६, १३ टी-४७७; राय)।
वेजग) न [वैद्यक] १ चिकित्सा-शास्त्र (प्रोष वेजय । ६२२ टी; स ७११) । २ वैद्य
माण (सुपा ६४) । संकृ. वढित्ता, वढेत्ता, वेजयंत पुंन [वैजयन्त] १ एक अनुत्तर देवसंबन्धी क्रिया, वैद्य-कर्म (अणु २३४; कुप्र
वेढिउं, वेढेउं (पि ३०४; महा)। प्रयो. विमान (सम ५६; प्रौपः अनु)। २-७ जंबू१८१)।
वेढावेइ (पि ३०४) । द्वीप, लवण समुद्र, धातकी खण्ड, कालोद
| वेढ पुं[बेष्ट] १ छन्द-विशेष (सम १०६; समुद्र, पुष्करवर द्वीप तथा पुष्करोद समुद्र का वेझ वि [वेध्य बोधने योग्य (नाट--साहित्य
अणु २३३ दि २०६) । २ वेष्टन, लपेटन दक्षिण द्वार (ठा ४, २-पत्र २२५; जीव १५८)।
(गा ६६; २२१; से ६; १३), ३ एक ३,२-पत्र २६०; ठा ४: २-पत्र २२६;
वेटण देखो वेढग (नाट--मालती ११९)। वस्तु-विषयक वाक्य-समह. वर्णन-ग्रन्थ (णाया जीव ३, २-पत्र ३२७ ३२६ ३३१ वेटणग विष्टनका १ सिर पर बाँधी जाती १,१६-पत्र २१८, १, १७-पत्र १२८ ३४७)। ८-१३ पुं. जंबू द्वीप, लवण समुद्र एक तरह की पगड़ी। २ कान का एक अनु)। मादि के दक्षिण द्वारों के अधिष्ठाता देव (ठा प्राभूषण (राज) ।
वेढ देखो पीढ (गउड)।
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