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विदुम-विस
पाइअसरमहणपो
विदुमवि [ विद्वस् ] विद्वान्, जानकार विदेहदिन्न पुं [वैदेहदत्त ] भगवान् महावीर विहार देखो विड्डार (वय १ ) (सूध १, २, ३, २७)
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(कप्प २१० टी) 1
विदुर वि[दुर] विचक्षण, विज्ञ (कुमा) । २,१७७)। ४ पुं. कौरवों के एक प्रख्यात मन्त्री (गाया १, १६ – पत्र २०८ ) 1 विदुलतंग न [विद्युलताङ्ग ] संख्या-विशेष, हाहाहूहू को नौरासी लाख से सुनने पर जो संख्या लब्ध हो वह (इक) 1
विदुलता स्त्री [ विद्युल्लता ] संख्या- विशेष, विद्युल्लतांग को चौरासी लाख से गुनने पर
जो संख्या लब्ध हो वह (इक) ।
विदेहा स्त्री [विदेहा ] १ भगवान् महावीर की माता, निराला देवी (कप्प ११० टो)। २ जानकी, सीता (पउम ४६१०) विदेहि [ वैदेदिन ] विदेह देश का अधिपति, तिरहुत का राजा (सूत्र १, ३, ४, २)
विदेशी श्री [विदेशी] राजा जनककी पानी विदुय सीता की माता ( पउम २६, २) । विडिअ वि [दे] नाशित, नष्ट किया हुआ (दे ७, ७० ) 1 विड[वि]
'म पत्र ६५) ।
विदूणा स्त्री [दे] लज्जा, शरम (दे ७, ६५) ।
एक नरक-मान
( देवेन्द्र २७) ।
विदेस पुं [विद्वेष ] द्वेष, मत्सर ( परह १, २पत्र २६ ) |
साहब (साधे विश्व सक [वि + द्रावय] १ विनाश
बिदेस
वि
करना । २ हैरान करना उपद्रव करना ।
विदुम देखो विदुः पमावि (धर्म cco) Iv
विदूसरा [विदूषक ] मसखरा, राजा के बिसय साथ रहनेवाला }
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६५ सम्मत्त ३० ) | विदेस देशी विश्व विदेश (गाया २ - पत्र ७६; श्रपः पउम १, ६६ विसे १६७१: कुमाः प्रासू ४४) । विदेसि कि [विदेशिन ] परदेशी (सुपा ७२) । विदेसि वि [वैदेशिक] ऊपर देखो (सिरि २९४) 1
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विदेह [विदेह ] १ राजा जनक ( ती ३) । २ पुं. ब. देश-विशेषः बिहार का उत्तरीय प्रदेश जो श्राजकल 'तिरहुत' के नाम से प्रसिद्ध है; 'इव भारहे वासे पुब्वदेसे विदेहा णामं जरणवया' (ती १७; अंत) । ३ पुंन. वर्षविशेष महाविदेह-क्षेत्र (१६) । ४ वि. विशिष्ट शरीरवाला । ५ निर्लेप, लेपरहित। ६ . अनंग, कामदेव ७ गृह-यास ( कष्प ११० ) ८ निषेध पर्वत का एक कूट । ६ नीलवंत पर्वत का एक कूट ( ठा १- पत्र ४५४) जंबू श्री [ "जम्बू ] जम्बूदा विशेष, जिसके नाम से यह जम्बूद्वीप कहलाता है (एक) ज [जार्च, यात्य] भगवान् महावीर (कप्प ११०) ४ दिना श्री [["दत्ता] भगवान् महावीर की माता, रानी त्रिशला (कप्प ) 1 दुहि [दुहि ] राजा जनक की पुत्री, सीता ( ती ३) पुन्त पुं [पुत्र ] राजा कुलिक (भग ७, ८)
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३ दूर करना, हटाना। ४ भरना, टपकना । विवई ( प्र २८०) कृति ( रयण ७२) । कवकृ. 'रज्जं रक्खइ न परेहि विद्दविजंतं' (कुप्र २७; सुर १३, १७०) । विदय [विद्रव] १ उपद्रव उपसर्ग 'परचक्कच रडचोराइविद्दवा दूरमुवगया सब्वे' (२०) २ विनाश (सावा १, ९-पत्र १५७; धर्मंदि २३) ।
विद्दविअ वि [विद्रवित ] १ विप्लावित ( ४, ६०)। २ दूर किया हुआ, हटाया हुआ (गा ८८) । ३ विनाशित (भवि सण) । विद्दा श्रक [वि + द्रा] खराब होना । विद्दाइ ( से ४,२६ ) 1
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विदाण वि [विद्राण] १ म्लान, निस्तेज फीका 'विद्दारणमुहा ससोगिल्ला' (सुर ६, १२४) कमलो' (यति ४३) दारिमा नजमापारमितम्रो तुझ' ( कुप्र १६५ ) । २ शोकातुर, दिलगीर 'विद्दाणो परियणों' (स ४७३ उप ६०४; उप ३२० टी)।
विद्दाय वि [विस] १ दिन (कुमा)। २ पलायित ३-युक्त प्राप्त हे १०७ षड् ) ।
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विद्दाय श्रक [ विद्वस्य ] खुद को विद्वान मानना । वकृ. विद्दायमाण ( श्राचा) |
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विदारण (प) वि [विदारण] चीरनेवाला, फाड़नेवाला श्री. भावि) 1 नापि देोनिवि ( भवि विदुम [विक्रम] (से २९ गउड जी ३)। २ उत्तम वृक्ष (ते २, २१) [] नलदेव का पूर्वजन्मका रुपम २०, ११३) १२ [वित] अभिनृत, पीड़ित (१२) (शाम १, १
[वि] प-योग्य अभिय
( परह १, २ - पत्र २६ ) - विदेसण न [विद्वेषण ] एक प्रकार का अभिचार-कर्म जिससे परस्पर में शत्रुता होती है ( स ६७८ ) ।
विदेसि वि [ विद्वेषिन् ] द्वेष कर्ता ( कुप्र ३६७) 1 विदेसिअ देखो विदेसिअ (श्रा १२) । विदेसिअ [] द्वेषयुक्त ( विद्धक [व्य ] वींधना, छेद करना । विas (धावा १५३३ नाट - रत्ना ७ ) । कवकृ. विद्धिजंत (८८) । संकृ. विद्धूण (सूम १.४.१.) विद्धवि [वि] हुआ, देव किया हुआ (से १, १३३ भवि षिद्ध देखो बुद्ध वृद्ध (उत्त५२, १० हे १, = १२८; भवि पिस क विद्धंस अक [ वि + ध्वंस् ] विनष्ट होना । विद्धसइ (ठा ३, १-पत्र १२३ ) । वकृ. विद्वंसमाण ( सू २, १५, १८) विद्धंस सक [ वि + ध्वंसय् ] विन्ट करना । भवि. विद्धसेहिति (भग ७, ६पत्र ३०५)
विद्धंस [विष्यंस] १ विनाश (गुर १, पुं १२) । २ वि. विनाशकर्ता 'जहा तिमिरविसे उत्ति दिवा
उ ११
२४)
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