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पाइअसद्दमहण्णवो
विजयंता-विजय २२६; इक)। १६ क्षेत्र विशेष, महाविदेह विजया स्त्री [विजया] भगवान् शान्तिनाथ विजुत्त वि [वियुक्त] विरहित (धर्मसं वर्ष का प्रान्त-तुल्य प्रदेश (ठा ८-पत्र ४३५ को दीक्षा-शिविका (विचार १२६)। १७४)। इक जं)। २० उत्कर्षः 'जएणं विजएर्ण विजया स्त्री [विजया] १ भगवान अजित
विजयभगवान अजित- विजुरि (अप) स्त्री [विद्युत् ] बिजली वद्धावेइ (गाया १,१-पत्र ३०; प्रौप;
आप नाथजी की माता का नाम (सम १५१)। (पिग) राय)। २१ पराभव करके ग्रहण करना
२ पाँचवें बलदेव की माता (सम १५२)। विजहविविज्यष्ठ मध्यम; 'जट्ठ विजट्ठा (कुमा)। २२ विक्रम की प्रथम शताब्दी के
३ अंगारक मादि ग्रहों की एक पटरानी (ठा
की एक पटरानी करिगट्ठा य' (चेइय १५३)। एक जैन आचार्य (पउम ११८, ११७)।
४,१-पत्र २०४) । ४ विद्या-विदेश (पउम विजेतव्य देखो विजय = वि + जि । २३ अभ्युदय (राय)। २४ समृद्धि (राज)।
७, १४१) । ५ पूर्व-रुचक पर रहनेवाली एक विजोज सक [वि + योजय 1 वियोग २५ धात की खण्ड का पूर्व द्वार (इक)।।
दिक्कुमारी देवी (ठा ८-पत्र ४३६)। ६ करना, अलग करना। संकृ. विजोजिय २६ कालोद समुद्र, पुष्कर-वरद्वीप तथा पांचवें चक्रवर्ती राजा की पटरानी-श्री-रत्न (पंच ५.१२६)पुष्करोद समुद्र का पूर्व द्वार ( राज)। (सम १५२)। ७ विजय नामक देव को विजोजण न वियोजना वियोग, विरह २७ रुचक पर्वत का एक कूट (ठा ८-पत्र राजधानी (सम २१)। ८ वप्रा नामक विजय (मोह १८)४३६; इक)। २८ एक राजकुमार (धम्म की राजधानी (ठा २, ३-पत्र ८०; इक)। विजोजिअ वि [वियोजित] जुदा किया ११)। २६ छन्द-विशेष (पिंग)। ३० वि. ६ पक्ष की सातवीं रात (सुज्ज १०, १४)। हुमा (कुप्र २८०) जीतनेवाला; 'वरतुरए विहगाहिवविजयवेगधरे'
१० एक थेष्ठिनी (सुपा ६२६)। ११ भगवान् विजोयावइत्त वि [वियोजयितु] वियोजक, (सम्मत्त २१६) + 'चरपुर न [°चरपुर] विमलनाथजो की शासन-देवी (पद २७ संति
अलग करनेवाला (ठा ४, ३-पत्र २३८% एक विद्याधर-नगर (इक). "जत्ता स्त्री १०)। १२ भगवान् सुमतिनाथजी को दीक्षा
२३६) [ यात्रा] विजय के लिए किया जाता प्रयाण
शिबिका (सम १५१)। १३ एक पुष्करिणी (धर्मवि ५६) °ढक्का स्त्री [ ढक्का] विजय
विजोहा स्त्री [विजोहा] छन्द-विशेष (पिंग)। (इक)। सूचक भेरी (सुपा २६८)। देव पुं["देव] विजल वि [विजल] १ जल-रहित (गउड)।
विज्ज अक [विद्] होना । विज्जइ विज्जए अठारहवीं शताब्दी का एक जैन आचार्य २ न. जल-रहित पंक (दस ५, १, ४)।
(षड्; कसा भग; महा), विज्जई (सूम १, (प्रज्झ १), 'पुर न [पुर] नगर-विशेष देखो विज्जल।
११, ६) । वकृ. विजंत; विज्जमाण (सुर (इक २२३, २२४० ३२६) V"पुरा, पुरी
२, १७६; पंचा ६, ४७) । स्त्री [पुरी] पक्ष्मकावती नामक विजय
विजह सक [वि+हा परित्याग करना। विजहइ (पि ५७७) । संकृ. विजहित्तु (उत्त
विज सक [वीजय ] पंखा चलाना, हवा क्षेत्र की राजधानी (ठा २, ३-पत्र ८०;
करना। कर्म. विज्जिज्जइ (भवि)। कवकृ. इक) माण पुं[ मान] एक जैन प्राचार्य
८,२) (द्र ७०) । °वंत वि [वत् ] विजयी, विजहणा स्त्री [विहान] परित्याग (ठा ३,
विजिज्जत (पउम ६१, ३७; वज्जा ३६) ।।
विज पुं [वैद्य] चिकित्सक, हकीम (सुर विजेता (ति १४)+ वित्त न [वर्त] चैत्य
१२, २४ नाट - विक्र ६५)। विशेष (कल्पटिप्पनक) वद्धमाण पॅन विजाइय वि [विजातीय] भिन्न जाति का,
विज पुं. ब. [दे] देश-विशेष (पउम ६८, [वर्धमान] ग्राम-विशेष (विपा १,१) दूसरी तरह का (उप १२८ टी)। वेजयंती स्त्री [वैजगन्दी] विजय-सूचक विजाण देखो विआण = वि + ज्ञा। संकृ.
| विज्ज पुं[विदूस् , विज्ञ] पण्डित, जानकार पताका (प्रौप)v°सायर पुं[सागर] एक विजाणित्ता, विजाणिय (कप्प)।
(हे २,१५ कुमाः प्राकृ १८ सूत्र १,६, सूर्यवंशी राजा (पउम ५, ६२) "सिंह, विजाणग) वि [विज्ञायक] जाननेवाला, सीह पुं [सिंह] १ सुप्रसिद्ध प्राचीन जैना- विजाणय विज्ञ (प्राचा; सूप्रनि १४५) ।
विज देखो वीरिअ (पउम ३७, ७०)। चार्य (सुपा ६५८)। २ एक विद्याधर राज- विजाणुअ वि[विज्ञ, विज्ञायक] ऊपर देखो कुमार (पउम ६, १५७)+ "सूरि पुं[सूरि]
विज' देखो विजा । उझर (अप) देखो (प्राकृ१८) चन्द्रगुप्त के समय का एक जैन आचार्य (धर्मवि |
विज्जा-हर (पि २१६) स्थि वि [थिन] विजादीअ (शौ) देखो विजाइय (नाट-चैत ४४) सेण पुं[सेन] एक प्रसिद्ध जैन
। छात्र, अभ्यासी (सम्मत्त १४३)।
८८) । प्राचार्य जो पाम्रदेव सूरि के शिष्य थे (पव
विज देखो विज्जु (कुप्र ३६६)। २७६-गाथा १५६६)।विजाय न दे] लक्ष्य, निशानाः 'लखं
| "विजंतअ देखो पिजंत (से २, २४ पि विजयंता । स्त्री [वैजयन्ती] १ पक्ष की
विजायं' (पास) विजयंत पाठवों रात (गुजज १०, १४)। विजिअ वि [विजित] पराभूत, हारा हुआ | विजय न [बंद्यक दिगिएसा (उर ८, १०, २ एक रानी का नाम (उस ७२८ टी)।
भवि)।
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