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पाइअसद्दमहण्णवो
वलवाडी-ववट्टि
वलवाडी स्त्री [दे] वृति, बाड़ (दे ७, ४३)। वल्ल अक [वल्ल ] चलना, हिलना (कुप्र वल्लादय न [दे] आच्छादन, ढकने का वस्त्र वलविअ न [दे| शीघ्र, जल्दी (दे ७, ४८) ८४) वलहि स्त्री [द] कसि, कपास (दे ७, ३२) वल्ल दे] शिशु, बालक (दै ७, ३१)। वल्लाय पुं[दे] १ श्येन पक्षी। २ नकुल, वलहि) स्त्री [वलभि, भी १ गृह-चूडा,
वल्ल पुंदे. वल्ल] अन्न-विशेष, निष्पाव, गुज- न्यौला (दे ७,८४)। वलही। छज्जा, बरामदा । २ महल का | राती में 'वाल' (सुपा १३; ६३१; सम्मत्त
वल्लि स्त्री [वल्लि] लता, बेल (कुमा) अग्रस्थ भाग (प्राप्र)। ३ काठियावाड़ का ११८ सण)।
वल्लिर वि [वल्लित] हिलनेवाला; 'न विरायइ एक प्राचीन नगर, जिसको आजकल 'वळा' कहते हैं (ती १५; सम्मत्त ११६) | वल्लई खी [वल्लवी] गोपी (दे ७, ३६ टी) वल्लिरपल्लवा वि वल्लिव्य फलहीणा' (कप्र
८४) वलाअ देखो पलाय = परा + अय् । वकृ. । वल्लई स्त्री [दे] गो, गैया (दे ७, ३६)
वल्ली स्त्री [वल्ली] लता, बेल (कुमा; पि 'दीसइ वि वलाअंतो' (से ६ ८६) वल्लई । स्त्री [ वल्लकी ] वोणा (पामा दे
३८७)। वलाअ देखो पलाव = प्रलाप (सेह
व ल्लकी) ७,३६ टीः पाया १,१७-पत्र 'वलाअ देखो वल = बल । मरण देखो
२२६)
वल्ली स्त्री [दे] केश, बाल (दे ७, ३२) ।। वलय-मरणः 'संजमजोग-विसन्ना मरंति जे
| वल्लट्ट वि [दे] पुनरुक्त, फिर से कहा हुआ वल्हीअ ' [वाह लीक] १ देश-विशेष (स तं वलायमरणं तु' (पव १५७: ठा २, ४(पड्)
१३; नाट)। २ वि. वाहीक देश में उत्पन्न,
वाहीक देश का (स १३)। वल्लभ देखो वल्लह (गा ९०४) पत्र ६३) वलि स्त्री [वलि] १ पेट का अवयव-विशेष;
वल्लर न [दे. वल्लर] १ वन, गहन (दे ७, वव सक [वप ] बोना; 'जे सत्तखित्तेसु 'उयरवलिमंसेहि' (निर १, १)। २ त्रिवलि,
८६; पान उत्त १६, ८१)। २ क्षेत्र, खेत ववंति वित्त' (सत्त ७२) । वकृ. ववंत नाभि के ऊपर पेट की तीन रेखाएँ (गा ४२५;
(द ७, ८६; पएह १, १-पत्र १४) । ३ (आत्महि ७)। कवकृ. बविजंत (गा भवि) । ३ जरा प्रादि से होती शिथिल
अरण्य-क्षेत्र (पान)। ४ वालुका-युक्त क्षेत्र ३५८)। चमड़ी (णाया १,१-पत्र ६६)
| वव सक [वप ] देना। ववइ (वव १)। (गा ८१२) ।।
वल्लर न [दे] १ अरण्य अटवी। २ निर्जल | कर्म. उप्पइ (कुप्र ४१)। वलिअ वि [दे] भुक्त, भक्षित (दे ७, ३५)
देश। ३ पुं. महिष, भैंसा; ४ समीर, पवन। | ववइस सक [व्यप + दिश् ] १ कहना, वलिअ वि [वलित] १ मुड़ा हुआ (गा ६; ५ वि. युवा, तरुण (दे ७, ८६)। ६ वेष्टन- | प्रतिपादन करना। २ व्यवहार करना । २७० प्रौप) । २ जिसको बल चढ़ाया गया शील । ७ वेष्टित नामक प्रालिंगन-विशेष ववइसंति (धर्मसं ४५२, सूअनि १४१)। हो बह (रस्सि आदि) (उत्त २६, २५) । करने की आदत वाला। स्त्री. री (गा ५३४) अन्ने अकालमरणस्सभावग्रो वलिअ देखो विलिअ = व्यलोक (प्राप्र)। वल्लरी स्त्री [वल्लरी] वल्ली, लता (पामः ।
वहनिवित्तिमो मोहा। वलिआ स्त्री [दे] ज्या, धनुष की डोरी (दै गउड सुपा ५२६)
वंझासुअपिसियासणवल्लरी स्त्री [दे] केश, बाल (दे ७, ३२) ।।
निवित्तितुल्लं ववइसंति ॥ वलिच्छत्त देखो परिच्छन्न (प्रौप) ।
(श्रावक १६२)। वल्लव पुंस्त्री [वल्लव] गोप, अहीर, ग्वाला वलित देखो वल = वल् ।
ववएस पुं[व्यपदेश १ कथन, प्रतिपादन । (पास) । स्त्री. वी (गा ८६)
२ व्यवहार (से ३, २६) । ३ कपट, बहाना. 'वलित देखो पलित्त (उप ७२८ टी)।
वल्लवाय न[दे] क्षेत्र, खेत (दे ६, २६)- छल (महा)। वलिमोडय पुं [लिमोटक] वनस्पति में
वल्लविअ वि [३] लाक्षा से रँगा हुआ (षड्) वगम [व्यपगम] नाश (प्रावम)। ग्रन्थि का चक्राकार वेष्टन (पराग १-पत्र
वल्लह पुं [वल्लभ] १ दयित, पति, भर्ता, बालम | ववगय वि [व्यपगत] १ दूर किया हुआ वलिर वि [वलित] लौटनेवाला (सुपा
(गउड; कप्पू: गा १२३, हे ४, ३८३)। (सुपा ४१)। २ मृत (पएह २, ५–पत्र
२ वि. प्रिय, स्नेह-पात्र; अहं जाया वल्लहा १४८)। ३ नाश-प्राप्त, नष्टः 'ववगविग्धा ५६)
अईव पिउगों' (महा; गा ४२, ६७ कुमा सिग्धं पत्ता हिलइच्छिनं ठाणं' (णमि ११, वली स्त्री [वली] देखो वलि (निर १, १)।
पउम १५, ७३; रयण ७६) राय पुं प्रौपः कप्प)। वलुण देखो वरुण (हे १, २५४)।
[राज] १ गुजरात का एक चौलुक्य-वंशीय ववटुंभ ' [व्यवष्टम्भ] अवलम्बन, सहारा वले प्र. संबोधन-सूचक अव्यय (प्राकृ ५०)।
राजा (कुप्र ४)। २ दक्षिण के कुन्तल देश (से ४, ४६) २-३ देखो बले (षड् ) । का एक राजा (कप्पू)।
ववठ्ठावण देखो ववत्थावण (राज) वल्ल देखो वल = वल । वल्लइ (धात्वा वल्लहा स्त्री [वल्लभा] दयिता, पत्नी (गा ववटिअ वि [व्यवस्थित] व्यवस्था प्राप्त १५२)
(से १२, ५२)।
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