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७६० पाइअसहमहण्णवो
वार-वाम वार पुं [वार] १ समूह, यूथ (सुपा २१४: वारणा स्त्री [वारणा] निवारण, अटकाव और जिन्होंने भगवान् अरिष्ठनेमि के पास सुर १४, २४, सार्ध ४६ कुमा; सम्मत्त | (बृह १)
दीक्षा ली थी (अन्त १४)। २ एक अनुत्तर१७५) । २ अवसर, वेला, दफा (उप ६२% वारत्त पुं [वारत्त] १ एक अन्तकृद् मुनि गामी मुनि, जो राजा श्रेणिक के पुत्र थे (मनु सुपा ३६०: भवि)। ३ सूर्य प्रादि ग्रह से (अंत १८)। २ एक ऋषि (उव)। ३ एक १)। ३ ऐरवत वर्ष में उत्पन्न चौबीसवें अधिकृत दिन, जैसे रविवार, सोमवार प्रादि अमात्य । ४ न. एक नगर (धम्म ६ टी)।। जिनदेव (सम १५३)। ४ एक शाश्वती जिन(गा २६१)। ४ चौथा नरक का एक नरक- वारबाण पु [वारबाण] कञ्चुक, चोली प्रतिमा (पव ५६; महा)। "सेणा श्री स्थान (ठा ६-पत्र ३६५) । ५ बारी, (पास) ।
[षेणा] १ एक शाश्वती जिन-प्रतिमा (ठा परिपाटी (उप ६४८ टी)। ६ कुम्भ, घड़ा वारय देखो वारग (रंभा, णाया १, १६
४, २–पत्र २३०)। २ अघोलोक में रहने(दस ५, १, ४५)। ७ वृक्ष-विशेष। ८ न. पत्र १६६ उप पृ ३४२, उवाअंत) वाली एक दिक्कुमारी देवी (ठा-पत्र फल-विशेष (पएण १७-पत्र ५३१) वारसिआ स्त्री [दे] मल्लिका, पुष्प-विशेष
४३७, इक २३१ टि)। एक महानदी जुवइ स्त्री युवति] वारांगना, वेश्या देहा
(ठा ५, ३-पत्र ३५१, इक)। ४ ऊध्वंलोक (कुमा), जोव्वणी स्त्री ["यौवना] वारसिय देखो बारिसियः 'वारसियमहादाणं'
में रहनेवाली एक दिक्कुमारी देवी (इक वही अर्थ (प्राकृ १४). तरुणी स्त्री (सुपा ७१)
२३२) हर [घर] मेघ (गउड)। ['तरुणी] वही (सण) बहू स्त्री वारा स्त्री [वारा] १ देरी, विलम्ब; 'अम्मो
वारिअ पुं[दे] हजाम, नापित (दे ७,४७) । [वधू] वही प्रथं (कुप्र ४४३) । विलया
किमज कज्जं जं लग्गा एत्तिया वारा' (सुपा वारिअ वि [वारित] १ निवारित, प्रतिषिद्ध स्त्री [°वनिता] वही पूर्वोक्त अर्थ (कुमाः सुपा
४५६)। २ वेला, दफा: तो पुणरवि (पाम से २, २३)। २ वेष्ठित (से २, २३) ७८, २००)। "विलासिणी स्त्री ["विला
निज्झायइ वारापो दुन्नि तिन्नि वा जाव' वारिआ स्त्री [द्वारिका] छोटा दरवाजा, बारी सिनी] वही (कुमाः सुपा २००) सुंदरी
(सट्ठि ६ टो), 'कहं महई वाराणिग्गयस्स' (ती २), स्त्री [सुन्दरी] वही अर्थ (सुपा ७६)।(विवुधानन्द) ।
'वप्पस्स चा(?वा)रियाए परिखित्तो वार न [ द्वार] दरवाजा (प्राकृ २६; कुमा वाराणसी देखो वाणारसी (अन्त; पि ३५४)।
खाइयामज्झे। गा ८८०) । वई स्त्री ["वती] द्वारका वाराविय वि [चारित] जिसका निवारण
'जो जलपूरियविट्ठाकूवानो नगरी (कुप्र ६३), वाल पुं [पाल] कराया गया हो वह (कुप्र १४०)।
चा(? वा)रियाइ निकासो। दरवान, प्रतीहार (कुमा)
सो उवचियगन्भारो जोणोए निग्गमो इत्थ।' वाराह पुं [वाराह] १ पाँचवें बलदेव का वारंत देखो वार - वारय ।। पूर्वभवीय नाम (सम १५३)। २ वि. शूकर
(धर्मवि १४६) वारंवार न [वारंवार] फिर फिर (से ६, | के सदृश (उवा)
वारिज पुन [दे] विवाह, शादी (दे ७, ५५; ३२; गा २६४)।
वाराही स्त्री [वाराही] १ विद्या-विशेष (पउम पाम; उप पृ८०) वारग पुं [वारक] १ बारी, क्रम (उप ६४८
७, १४१)। २ वराहमिहिर का बनाया हुआ | वारिसा देखो वरिसा (विक्र १०१)। टी) । २ छोटा घड़ा, लघु कलश (पिंड एक ज्योतिष-ग्रन्थ, वराह-संहिता (सम्मत्त वारिसिय वि [वापिक] १ वर्ष-संबन्धी २७८) । ३ वि. निवारक, निषेधक (कुप्र १२१)।
(राज)। २ वर्षा-संबन्धीः 'चिट्ठइ चउरो मासा २६; धर्मवि १३२) ।
वारि न [वारि] १ पानी, जल (पाम; कुमा; वारिसिया विबुहपरिमहिनी' (पउम ८२, वारडिय न [दे] रक्त वस्त्र, लाल कपड़ा
सण)। २ स्त्री. हाथी को फंसाने का स्थान (गच्छ २, ४६) 'वारी करिधरणट्ठाणं' (पान; स १७७;
वारी स्त्री [द्वारिका] बारी, छोटा दरवाजा वारड्ड वि [६] अभिपीडित (षड् ) ६७८)। महंग पुं[भद्रक भिक्षुक की
(ती २) वारण न [वारण] १ निषेध, रोक, अटकाव, एक जाति, शैवलाशी भिक्षुक (सूअनि १०) निवारण (कुमाः ओघ ४४८)। २ छत्र, "मय वि [°मय] पानी का बना हुआ ।
वारी स्त्री [वारी] देखो 'वारि' का दूसरा अर्थ छाता; 'वारणयचामेरेहिं नज्जति फुडं महा- स्त्री.ई (हे १, ४: पि ७०) भुअj
'बद्धो वारी बंधे फासेण गमो निहणं' (सुर ८, सुहडा (सिरि १०२३) । ३ वि. रोकनेवाला, [मुच ] मेघ, जलधर (षड् ) यj
१३६ मोघ ४४६ टी) निवारक (कुप्र ३१२)। ४ पृ. हाथी (पा. [६] पानी देनेवाला भृत्य (स ७४१)।- वारी न [वारि] जल, पानी (हे १,४, पि कुमाः कुप्र ३१२)। ५ छन्द का एक भेद 'रासि धू[ राशि] समुद्र, सागर (सम्मत्त ७०) (पिंग)|
१६ ) । वाह [°वाह] मेघ, अभ्र (उप वारुअ न [दे] १ शीघ्र, जल्दी। २ वि. वारण देखो वागरण (हे १, २६८, कुमाः २६४ टो)५ °सेण पुं [°षेण] १ एक शीघ्रता-युक्त; ‘ण वारुपा अम्हे' (दे ७,
अन्तकृद् महर्षि, जो राजा वसुदेव के पुत्र थे ४८)
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