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वास - वाह
२०१)
(महा) (प)
भवन ['भवन] वही अर्थं रेणु पुं [ रेणु] सुगन्धी रज रन [गृह] शयनगृह (सुर ६, २७: सपा ३१२: भवि) 1
वास पुं [व्यास] १ ऋषि - विशेष, पुराणकर्ता एक मुनि (हे ५६ कप्पू) । २ विस्तार (भग २, ८ टी) IV वासन [ वासस् ] वस्त्र, कपड़ा (पा वज्जा १६२० भवि ) |
● वास देखो पास = पाश (गउड) 1 "वास देखो पास = पार्श्व (प्राकृ ३० गउड) । वासंग [ व्यासङ्ग ] प्रासक्ति, तत्परता; 'ताईसा पाप मोरा निराय
११८० उप पृ
वासंगं' (उप १३१ टी १२७) 1
वासंठ) (ब) [वसन्त] छन्दका एक वासंत ) भेद (पिंग १६३; १६३ टि) । - वासंत [वर्षात] वर्षाकालान्त
भाग (उप ४८८ ) 1
यातिज वि [वासन्धिक]
(३) 1
सम्बन्धी
वासन्ति श्री] [वासन्तिका, "न्ती] लतावासंतिआ (विशेष (श्रीप, कप्पा कुमाः परण वासंती ) १-पत्र ३२: रणाया १६पत्र १६०; परह १, ४ - - पत्र ७९ )
वादी श्री []]] कायदे ७२५) वासग वि [वासक ] १ रहनेवाला (उप ७६८ टी) । २ वासना-कर्ता, संस्काराधायक
३२) शब्द करनेवाला ४. इन्द्रियादि जन्तु (चाचा) 1 वासण न [हे] पात्र, बरतन, गुजराती में 'वासरण' : '; 'दि च पयत्तट्टावियं चंदनामंकिये हिरणवास (१२) वासन [वासन] वासित करना (दनि ३, 2) 1~
वाणी [वासना ] संस्कार ( धर्मसं ३२९ ) । 'वासना [दर्शन ] श्रवलोकन, निरीक्षण
(विसे १६७७ उप ४९७) | देखो पासणया । वासय देखो वासग । सज्जा श्री ['सज्जा ] नायिका का एक भेद, वह नायिका जो नायक की प्रतीक्षा में सज-धज कर बैठी हो (कुमा) ।
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पाइअसद्दमण
वासर पुंन [वासर] दिवस, दिन (पान) गड महा) |
वासव पुं [वासव] १ इन्द्र देव पति (पाच) सुवा ३० नेद ५८०)। २ एक राजकुमार (विपा १,१——पत्र १०३))°के [केतु] हरिवश का एक राजा, राजा जनक का पिता (पउम २१, ३२) दत्त पुं ['दत्त ] विजयपुर नगर का एक राजा (विपा २, ४ ) M 'दत्तात्री ['दत्ता ] एक प्राख्यायिका (राज) । धन [धनुष् ] इन्द्र-धनुष ( कुप्र ४५६) नयर न ['नगर] अमरावती, इन्द्र नगरी (सुपा ६०६ ) + *पुरी बी ["पुरी ] यही अर्थ (उप१७) सुत्र [सुत] इन्द्र का पुत्र जयन्त (पान) । वासवदत्ता स्त्री [arसवदत्ता ] राजा नंद प्रद्योत की पुत्री और उदयन -- वीरणावत्सराज की पत्नी (उत्तनि ३) । वासवार
[दे] १ तुरग, घोड़ा (दे ७, ५६) । २ श्वान, कुत्ता; 'विट्टालिज्जइ गंगा कया कि वासवारेहि' (चेइय १३४) । वासवाल पुं [दे] श्वान, कुत्ता (दे ७, ६०) वासस न [वासस् ] वस्त्र, कपड़ा; 'कुभोयरणा कुवामा १२ पत्र ४० ) । वाला देखो वरिसा (कुमा; पानः सुर २, ७८ गा २३१) रत्ति स्त्री. देखो वरिसा-रत्त (हे ४, ३६५ ) + वास पुं [वास ] चतुर्मास में एक स्थान में किया जाता निवास (श्री काल कप्पवासिय वि["वार्षिक ] वर्षाकाल संबन्धी (श्राचा २, २, २, ८) । 'हू [ भू ] भेक, मेढक (दे ७, ५७) वासाणिया स्त्री [दे. वासनिका] वनस्पतिविशेष (सू२३१६)
वासाणी श्री [दे] रथ्या, मुहल्ला (दे ७, ५५ ) वासि वि [ वासिन् ] १ निवास करनेवाला, रहनेवाला (१, सुपा ६१० ६ उवा कुप्र ४६; श्रौष) । २ वासना - कारक, संस्कारस्थापक (विसे १६७७ ) 1 वासि स्त्री [वासि] बसूला, बढई का एक अन - श्रौजार; न हि वासिवड्ढई इहं प्रभेदो (घ४८१) देखो वासी ॥ वि [वार्षिक ] वर्षाकाल- भावी ( सुज १२ - पत्र २१६) IV
वासिक वासिक
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वासिन [ वाशिष्ट ] १ गोत्र - विशेष (ठा ७--पत्र ३६०; कप्पः सुज्ज १०, १६) । २ पुंस्त्री. वाशिष्ठ गोत्र में उत्पन्न (ठा ७) । श्री. डा, डी(१४२) वासिट्टिया स्त्री [वाशिष्ठ ] एक जैन मुनिशाखा (कप्प ) 1
वासितु वि [वर्षिनृ] बरसनेवाला (ठा ४,
४--पत्र २६६) । वासिद वि [ वासित] १ बसाया हुआ, वासिय । निर्वासित ( मोह २१) । २ बा रखा हुआ (यादि) (सुपा १२५३२) । ३ सुगन्धित किया हुप्रा (कप्प पत्र १३३ महा) । ४ भावित संस्कारित (आव) वासी श्री [वासी] बला, बढ़ई का एक
अन (पह पउम २४, ७८ कप्प सुर १, २८) मुह ["मुख ] बसूले के तुल्य मुँहवाला एक तरह का कीट, द्वीन्द्रिय जन्तु की एक जाति (उत्त ३६, १३९)
वासु पुं [वासुकि ] एक महा-नाग, वासुगि) सर्पराज (से २, १३० मा ६६
उडती ७; कुमाः सम्मत ७६ ) । वासुदेव पुं [वासुदेव ] १ श्रीकृष्ण, नारायण ( प राह १, ४ - पत्र ७२) । २ अर्ध चक्रवर्ती राजा त्रिखड भूमि का भी (सम १७ १५२ १२१
वासुपूज्न [34] भारतवर्ष में उत्प बारहवें जिन भगवान् (सम ४३३ कप्प पडि) Iv वासुली स्त्री [दे] कुन्द का फूल (दे ७.५५) I वाह सक [वाय ] वहन कराना, चलाना । यादवाड (भवि महा) । कवकृ. वादिमाण (महा) (महां। कृ. वाह, वाहिस (२,७८ श्राचा २, ४, २,६ ) 1
वाद पुंखी [ज्या] बलिया (१, लुब्धक, १०० पास)। श्री ही १२१ प १८५)।
[ह] १ अव घोड़ा (पाय, सू, २, ३, ५ उप ७२८ टी; कुप्र १४७ हम्मीर १८) २ जहाज, मौका 'बाइ तर' (विये १०२०) भान होता (सू २४५) ४ परिमाणविशेष,
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