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पाइअसहमहण्णवो
मुहु-मे तस्स मुहिवाइ सेवगा जाया' (सिरि ४५७); मूण न [मौन] चुप्पी (स ४७७; पएह २, मूलग । न [मूलक] १ कन्द-विशेष, मूली, 'जिणसासणंपि कहमवि लद्ध हारेसि मुहियाए' । ४-पत्र १३१)
मलय मरई (परण १जी १३)। २ (सुपा १२४); 'मुह (? हि) याइ गिरह लक्खं | म्यग पुंदे. मयक] मेवाड़ देश में प्रसिद्ध
शाक-विशेष (पव १५४: कुमा) (कुप्र २३७) एक प्रकार का तृण (पराह २, ३-पत्र
मुलगत्तिआ स्त्री [मूलगतिका] मूले-मूली मुहु । [मुहुस् ] बार बार (प्रासू २६; १२३)।
की पतली फाँक (दस ५, २, २३)। मुहूं । हे ४, ४४४; पि १८१)
मूलवेलि स्त्री [दे. मूलवेलि] घर के छप्पर मूर सक [ भञ् ] भाँगना, तोड़ना। मूरइ मुहुत्त । न [मुहूर्त दो घड़ी का काल,
का आधार-भूत-स्तम्भ-विशेष (पाचा २, २, (हे ४, १०६) । भूका. मूरीम (कुमा) - मुहुत्ताग अड़तालीस मिनिट का समय (ठा
३, १ टी पव १३३)।२. ४; हे २, ३०; प्रौप; भग; कप्प; प्रासू मूरग वि [भञ्जक] भाँगनेवाला, चूरनेवाला
मूलिगा स्त्री [मलिका] प्रोषधि विशेष (उप १०५ इक; स्वप्न ६५ प्राचा; मोघ ५२१)।
(पएह १, ४–पत्र ७२) । मुहुमुह देखो महुमुह (पात्र)
मूल न [मूल] १ जड़ (ठा ; गउड; कुमा; मूलिय न [मौलिक] मूलधन, पुंजी (उत्त ७, मुहुल देखो मुहल = मुखर (पास)।" गा २३२)। २ निबन्धन, कारण (पएह १, | १९, २१)। मुहुल्ल देखो मुह = मुख (हे २, १६४; षड् ; 3-पत्र ४२) । ३ आदि, प्रारम्भ (पएह मूलिल्ल वि [मूल, मौलिक] प्रधान, मुख्यः भवि)
२, ४) । ४ प्राद्य कारण (प्राचानि १, २, 'मलिल्लवाहणे (सिरि ४२३)। मूअ देखो मुक्क = मूक (हे २, ६६; पाचा; १--गाथा १७३; १७४)। ५ समीप, पास, | मूलिल्ल वि [ मूलवत् ] मूलधनवाला, पुंजीगउड; विपा १,१)।
निकट (ोघ ३८४; सुर १०, ६)।६ नक्षत्र- वाला; 'अत्थि य देवदत्ताए गाढाणुरत्तो मूअ देखो मुअ = मृत; 'लजाइ कह ण मूत्रो विशेष (सुर १०, २२३)। ७ व्रतों का पुनः मूलिल्लो मित्तसेणो अयलनामा सत्यवाहपुत्तो' सेवंतो गामवाहलिय' (वजा ५४)।
स्थापन (औप; पंचा १६, २१)। ८ पिप्पली- (महा) । मअल / वि [दे. मक] मूक, वाक्-शक्ति मूल (प्राचानि १, २, १)। ६ वशीकरण | मूली स्त्री [मूली] ओषधि-विशेष, वशीकरण मूअल्ल से हीन (दे ६; १३७ सुर ११, मादि के लिए किया जाता प्रोषधि-प्रयोग, आदि के कार्य में लगती अोषधि (महा) १५४)।
'अमंतमूलं वसीकरण' (प्रासू १४)। १० मूस देखो मुस= मुष । मूसइ (संक्षि ३६)। मूअल्लइअ) वि [दे. मूकायित] मूक बना प्राद्य, प्रथम, पहला । ११ मुख्य (संबोध ३; मूसग । पुं[मूषक, मूषिक] मूसा, चूहा मअल्लिअ । हुमा (से ५, ४१, गउड;
प्रावमः सुपा ३६४)। १२ मूलधन, पुंजी | मूसय ) (उवा सुर १,१८ हे १,८८ पि ५६५)।
(उत्त ७, १४, १५)। १३ चरण, पैर । १४ । षड्; कुमा)। मइंगलिया। देखो मुइंगलिया (उप १३४
सूरण, कन्द-विशेष, ओल । १५ टीका प्रादि मूसरि वि [दे] भग्न, भांगा हुआ (दें ६, मूइंगा टी प्रोघ ५५८)।
से व्याख्येय ग्रन्थ (संक्षि २१) । १६ प्रायश्चित- १३७)। मूइल्लअवि मृत] मरा हुआ
विशेष (विसे १२४६) । १७ ऍन. कन्द- मूसल वि [दे] उपचित (दे ६, १३७)।
विशेष, मूली (अनु ६; श्रा २०)। छेज | मूसल देखो मुसल = मुसल (हे १, ११३; ‘एरिह वारेइ जणो तइया
वि ["छेद्य मूल नामक प्रायश्चित्त से नाश- कुमा)। मूडल्लो , कहिं व गरो।
योग्य (विसे १२४६). दत्ता स्त्री [°दत्ता] | मूसा देखो मुसा (हे १, १३६) ।। जाहे विसं व जामं
कृष्ण-पुत्र शाम्ब की एक पत्नी (अंत १५)। मूसा स्त्री [मूषा] मूस, धातु गालने—गलाने का सवंगपहोलिरं पेम्म'
°देव पुं[देव] व्यक्ति-वाचक नाम; (महा; - पात्र (कप्प; आरा १००; सुर १३, १८०) ।
(गा ६६६ अ) सुपा ५२६) । "देवी स्त्री [°देवी] लिपि- मूसा स्त्री [दे] लघु द्वार, छोटा दरवाजा (दे मूड [दे] अन्न का एक दीर्घ परिमारण; विशेष (विसे ४६४ टी) । नायग j | ६, १३७)।मढ, 'इगमूडलक्खसमहियमवि धनं अत्थि
[नायक मन्दिर की अनेक प्रतिमाओं में मूलाअ न [दे] ऊपर देखो (दे ६, १३७)। तायगिहे' (सुपा ४२७); 'तो तेहि ताडिनो
मुख्य प्रतिमा (संबोध ३) । पाडि वि मूसिय देखो मूसय (प्राचा) । रि पु सो गाढं करणमूढउन्ध लउडेहि' (धर्मवि
[°उत्पादिन] मूल को उखाड़नेवाला (संक्षि | [रि] मार्जार, बिल्ला (प्राचा)। १४०)।
२१) । °बिंब न [बिन्ब] मुख्य प्रतिमा | मे म [मे] १ मेरा । २ मुझसे (स्वप्न १५; मूढ वि [मूढ] मूर्ख, मुग्ध (प्राप्र; कसः पउम (संबोध ३) राय [राज] गुजरात | ठा १) १, २८ महा; प्रासू २६) नइय न का चौलुक्य-वंशीय एक प्रसिद्ध राजा (कुप्र | मेअ पु [मेद] १ अनायं देश-विशेष (इक)। [नयिक] श्रुत-विशेष, शास्त्र-विशेष ४)। बंत वि [वत् ] मूलवाला (पीप; २ एक अनार्य मनुष्य-जाति (पण्ह १, १(प्रावम) वसूइया स्त्री ["विसूचिका णाया १, १)। सिरि स्त्री [°श्री] शाम्ब- पत्र १४)। ३ पुस्त्री. चाण्डाल (सम्मत्त रोग-विशेष (सुपा १३)कुमार की एक पत्नी (अंत १५)।
१७२) । स्त्री. मेई (सम्मत्त १७२)।
मूयल्लिअ"
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