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७२८ पाइअसहमहण्णवो
लूड-लेसा लूड वि [लण्ट] लूटनेवाला। स्त्री. °डी; लूसिअ वि [लषित] १ लुण्टित, लुटा गया लेदुक्क पु[दे] रोड़ा, लोट (दें ७, २४; 'सो नस्थि एत्थ गामे जो
(श्रा १२)। २ उपद्रुत, पीड़ित (सम्मत्त पा)। एयं महमहंतलायएणं । १७५)। ३ विनाशित (संबोध १०)। ४ । लेण न [लयन] १ गिरि-वर्ती पाषाण-गृह तरुणाण हिययलूडि हिसित (प्राचा)।
(णाया १, २--पत्र ७६) । २ बिल, जन्तुपरिसक्कति निवारेइ ॥' लह सक [ मृज , रूक्षय ] पोंछना। लूहेइ, गृह (कप्प) विहि पुंस्त्री ["विधि] कला
(हेका २६० काप्र ६१७) लूहेंति (राय; णाया १, १-पत्र ५३)। विशेष (प्रौप) । देखो लयण %D लयन ।। लूण न [लुण्टन] लूट, चोरी (स ४४१), संकृ. लहित्ता (पि २५७)।
लेप्प न [लेप्य] भित्ति, भीत (धर्मसं २६; लूडिअ वि [लुण्टित] लूटा हुआ (स ५३६: लूह पुं[रूक्ष] मुनि, साधु, श्रमण (दसनि कुप्र ३००)। पउम ३०, ६२, सुपा ३०७)- २, ६)
लेप्पकार पु. [लप्यकार] शिल्पी-विशेष, | लह वि रुक्ष १ लूखा, रूखा, स्नेह-रहित राज, राजगीर (अरण १४६) । लूण देखो लूअ = लून (दे ७, २३; सुपा |
आचाः पिड : २६, उब)। २ पृ. संयम, विरति, ५२२; कुमा)।
लेप्पा स्त्री [लेप्या] लेपन-क्रिया (उत्त १६,
चारित्र (सुअ, १, ३, १, ३)। ३ न. तपलूण न [लवण] १ लून, नून, नोन, नमक
विशेष: निर्विकृतिक तप (संबोध ५८)। देखो लेल देखो लेड (प्राचा; सूप २, २, १८ (जो ४)। २ पुं. वनस्पति-विशेष (श्रा २०
पिंड ३४६) धर्म २)। देखो लवण ।
लूहिय वि [रूक्षित] पोंछा हुआ (णाया १, ले लेप १ लेपन (सम 38 परम २. लूण न [लवण] लावण्य, सुन्दरता, शरीर- १--पत्र १६; कप्प; प्रौप)।
२८) । २ नाभि-प्रमाण जल (प्रोधभा ३४)। कान्ति (सुपा २६३)। ले सक [ला] लेना, ग्रहण करना । लेइ (हे
३ पुं. भगवान् महावीर के समय का नालंदालूर सक [छिद्] काटना। लूरइ (हे ४, ४. २३८ कुमा) । वकृ. लिंत (सुपा २५२;
निवासी एक गृहस्थ (सूत्र २, ७, २)1°कड, १२४)।
पिंग)। संकृ. लेवि (अप) (हे ४. ४४०)। विकता लेप-मिश्रित (प्रोध ५६५; लूरिअ वि [छिन्न] फाटा हुपा (कुमा ६, हेकृ. लेविणु (अप) (हे ४,४४१)
पत्र ४ टी--पत्र ४६ पडि) लेक्ख न लेख्य] १ व्यवहार, व्यापार (सुपा लेवण न लेपन लेप-करण (पव १३३)। लस सक [लुपय] १ वध करना, मार
४२४) । २ लेखा, हिसाब (कुप्र २३८)। लेवाड विलेपकताले कारक (बव १)। डालना। २ पोड़ना, कदर्थन करना, हैरान लेक्खा देखो लिहा (गउड)।
लेस पुं [लेश] १ अल्प, स्तोक, लव, थोड़ा करना । ३ दूषित करना। ४ चोरी करना । लेख देखो लेह = लेख (सम ३५)।
(पान दे ७, २८) । २ संक्षेप (दं १) ५ विनाश करना। ६ अनादर करना । ७ लेखापित देखो लिखापित (पि ७)।
लेस वि दे] १ लिखित । २ आश्वस्त । ३ तोड़ना। ८ छोटे को बड़ा और बड़े को लेच्छइ पुलेन्छकि] १ क्षत्रिय-विशेष ।
निःशब्द, शब्द-रहित । ४ पुं. निद्रा (दे ७, छोटा करना। लूसंति, लूसयति, लूसएज्जा २ एक प्रसिद्ध राज-दंश (सूत्र १, १३, १०
२८)। (सूत्र १, ३, १, १४, १,७, २१; १, १४,
भग; कप्प; प्रौपा अंत)
'लेस पुंश्लेष] संश्लेष, संबन्ध, मिलान १६ १.१४, २५)। भुका. लूपिस (पाचा)। लच्छह पुलिप्सुक, लन्छकि १ परिणक, संकृ. लुसिउं (श्रा १२) ।
वैश्य । २ एक वरिणग-जाति (सूम २, १, लेसण नश्लेिषण] ऊपर देखो (विसे लूसअ। वि [लूषक] १ हिसक, हिसा करने
३.०७)। लूसग ।वाला। २ विनाशक (सूम २, १, लेच्छारिय वि [दे] खरण्टित, लिप्त (पिंड
लेसणया। स्त्री [श्लेषणा] ऊपर देखो (औपः ५० १, २, ३ ६) । ३ प्रकृति-क्रूर, निर्दय। २१०) ।'
लेसणाठा ४, ४-पत्र २८०; राज)। ४ भक्षक (सूअ १, ३, १, ८)। ५ दूषित लेज्म देखो लिह = लिह ।।
लेसणी स्त्री [श्लेषणी] विद्या-विशेष (सूप करनेवाला (सून १,१४, २६)। ६ विरा- लेटठनालेण्ट रोडा. ईट पत्थर ग्रादि २, २, २७ रणाया १,१६-पत्र २१३)। धक, प्राज्ञा नहीं माननेवाला (सूत्र १, २, २, का टुकड़ा (विसे २४६६; प्रोपः उब, कप्प; लेसा स्त्री [लेश्या] १ तेज, दीप्ति । २ मंडल, ६, प्राचा)। ७ हेतु-विशेष (ठा ४, ३–पत्र महा)
बिम्ब; 'चंदस्स लेसं पावरेत्ताणं चिट्ठई' (सम २५४)।
लेडु । पुन [दे. लेष्टु] ऊपर देखो (पान २६)। ३ किरण (सुज १६)। ४ देहलूसण वि [लूषण] ऊपर देखो (भाचा; लेडुअ । ७, २४)।
सौन्दर्य (राज)। ५ आत्मा का परिणामप्रौप) ।
लेडक्क पु[दे] १ रोड़ा, लोष्ट । २ वि. विशेष, कृष्णादि द्रव्यों के सानिध्य से उत्पन्न लूसय वि [लषक] १ परिताप-कर्ता (प्राचा लम्पट (दे ७, २६)।"
होनेवाला आत्मा का शुभ या अशुभ परिणाम । २, १, ६, ४) । २ चोर, तस्कर (वव ४)। लेढिअ न [दे] स्मरण, स्मृति (दै ७, २५) ।। ६ प्रात्मा के शुभ या अशुभ परिणाम की उत्पत्ति
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