________________
७४०
पाइअसहमहण्णवो
वट्ट-वडभ.
वटु सक [वर्त्तय ] १ बरतना । २ पिंड | वट्टमाण देखो वट्ट = वृत् ।।
वट्टु न [दे] पात्र-विशेष (वृह १)4 कर रूप से बाँधना। ३ परोसना । ४ ढकना, वट्टमाण न [दे] १ अंग, शरीर । २ गन्ध- [कर यक्ष-विशेष (राज) करी त्रो पाच्छादन करना । बदति (पिंड २३६)। द्रव्य का एक तरह का अधिवास (दे ७, | [करी] विद्या-विशेष (राज) ।। कवकृ. वट्रिजमाण (ोप)।
वट् टुल वि [वतुल] १ गोल, वृत्ताकार वट्ट वि [वृत्त १ वर्तुल, गोलाकार (सम वट्टय देखो वट्ट = दे (पउम १०२, १२०)। (पान)। २ पुंन. पलाण्डु-प्याज के समान ६३ प्रौप; उवा) । २ अतीत, गुजरा हुआ। वट्टय विर्तक] १ पक्षि-विशेष, बटेर (सूम एक तरह का कन्द-मूल (हे २, ३०% प्रारू)।। ३ मृत । ४ संजात, उत्पन्न । ५ अधीत । १, २, १. २; उवा) । २ बालकों को खेलने
| वट्ट देखो पटू-पृष्ठ (गउड; गा १५०; हे ६ दृढ़ । ७ पृ. कूर्म, कछुपा (हे २, २९)। का एक तरह का चपड़े का बना हुप्रा गोल
१,८४; १२६) ८ न. वर्तन, वृत्ति, प्रवृत्ति (सूत्र १, ४,
"वट्रि देखो सहि, 'बा-वट्ठी' (सम ७५, पंच २, ३) खुर. खुर पुं [खुर] श्रेष्ठ २३५)
५, १८: पि २६५; ४४६) ।। अश्व (प्रोघ ४३८ राज) खेड, खेड्डु बीन 'वट्टय देखो पट्ट (गउड)।
वड पुं[दे] १ द्वार का एक देश, दरवाजे का [खेल] कला-विशेष (णाया १, १-पत्र वट्टा स्त्री [दे. वमन्] देखो वट्ट = वत्मन
एक भाग । २ क्षेत्र (दे ७, ८२)। ३ मत्स्य ३८; स ६०३; अंत ३१ टि), देखो वत्थ- (दे ७, ३१)।
की एक जाति (पएण १-पत्र ४७)। ४ खेड्ड । देखो वत्त, वित्त = वृत्त । वेयड्ढ वट्टा स्त्री [वार्ता] बात, कथा (कुमा)।
विभाग (निचू २)। देखो वड्डः 'वडसफरपुं[वैताढ्य पर्वत-विशेष (ठा १०)। वट्टाव सक [वर्तय] बरताना, काम में
पवहणाणं (सिरि ३८२) वट्ट पुन [वमन] बाट, मार्ग, रास्ताः 'पडि- __ लगाना । वट्टावेइ (उव) ।
वड [वट] १ वृक्ष-विशेष, बरगद, बड़ का सोएण पवट्टा चत्ता अणुसोप्रगामिणो वट्टा वट्टावण न [वर्तन] बरताना, कार्य लगाना
पेड़ (पएण १-पत्र ३१; गा ६४ कप्पू)। २ (साधं ११८ सुर १०,४; सुपा ३३०), 'वट्ट' (उव)।
न. वस्त्र-विशेष; 'वडजुगपट्टजुगाई' (पाया १, (प्राकृ २:)। वाडण न [पातन मुसा- वट्टावय वि [वर्तक] बरतानेवाला, प्रवर्तक
१ टी-पत्र ४३), 'नयर न [नगर] फिरों को रास्ते में लुटना; 'परदोहवट्टवाडण- (उवः पाया १, १४–पत्र १८६)
नगर-विशेष (पउम १०५, ८८) बंदग्गहखत्तखणणपमुहाई' (कुप्र ११३), सो वट्टावय वि [वतंक] प्रतिजागरक, शुश्रूषाकर्ता
वह न
["पद्र] १ गुजरात का एक नगर, जो आज वट्टपाडणेहि बंदग्गहणेहि खत्तखणणेदि' | (वव १)
कल 'बडौदा' नाम से प्रसिद्ध है (उप ५१६)। (धर्मवि १२३)। पट्टि ली पति] १ बत्ती, दीपक में जलनेवाली
२ एक गोकुल (उप ५६७ टी) सावित्ती वट्ट पुन [३] १ प्याला, गुजराती में 'वाटको'; बाती। २ सलाई, आँख में सुरमा लगाने की
स्त्री [°सावित्री]एक देवी (कप्पू)। 'पढमधुटम्मि खलिया जीहा, हत्थाउ निवडियं
सली या सलाई। ३ शरीर पर किया जाता एक वट्ट' (सुपा ४६६) । २ पृ. हानि, नुकसान,
तरह का लेप। ४ लेख, लिखना । ५ कलम, वड देखो पड - पत्। वकृ. 'उपहिम्मि उण गुजराती में 'वट्टो', 'अन्नह उवक्खएगवि
पोछी (हे २, ३०) । देखो वत्ति, वित्ति। वडंता' (से ७, ७) मूला वट्टो इह होहिं (सुपा ४४५)। ३ लोहक, वट्रिअ वि विर्तित] १ परिवत्तित (दे ५, वड देखो पड = पट; 'पवरणाहयवडचंचलामो शिला-पुत्रक, लोढ़ा; 'वट्टावरएणं' (भग १६, २७) । २ बलित (पर २१६ टी) । ३ वर्तुल, लच्छीरो तह य मणुयाणं' (सुर ४, ७६; से ३-पत्र ७६६)। ४ खाद्य-विशेष, गाढ़ी गोल (पएह १, ४-पत्र ७८; तंदु २०)। १०, १६; सुर १, ६१, ३, ६७, गा कढ़ी (पएह २, ५-पत्र १४८) ४ प्रवर्तित (भवि)
३२६) वटपं विते] देश-विशेष (सत्त ६७ टी) वाट्टआ स्त्री [वतिका] देखो पट्टि (अभि वडग न [वटका खाद्य-विशेष, बड़ा (पिंड चट्ट [प] प्रवाह (कुमा) । देखो पट (से। २१७ नाट-रत्ना २१ स २३६)
६३७)। ५, १४; भवि; गउड).
वट्टिम वि [२] अतिरिक्त (दे ७, ३४) वडग देखो वड = वट (अंत)। वटुंत देखो वट्ट = वृत।
वट्टिय वि [दे] चूर्ण किया हुआ, पिसा हुमाः 'वडण देखो पडग (गा ५६७, गउड; महा)।। वट्टक । देखो वट्टय = वर्तक (पएह १,
गुजराती में 'वाटेलु', 'पक्खित्तं साहिणवट्टियं वडप्प न [दे] १ लता-गहन । २ निरन्तर वट्टग । १-पत्र ; विपा १, ७-पत्र, लोणं' (स २६४) ।।
वृष्टि (दे ७, ८४) ।। ७५; सूम २, २, १०२६४३)। वट्टिव न दे] पर-कार्य (दे ७, ४०)। वडम वि [वडभ] १ वामन, ह्रस्व (ोधमा वट्टण देखो वत्तण (रंभा)।
वट्टी स्त्री [व] देखो वट्टि (हे २, ३०) ८२)। २ जिसका पृष्ठ-भाग बाहर निकल वट्टणा देखो वत्तणा (राज)।
वट्टी स्त्री [पट्टी] पट्टाः 'ताव य कडिवट्टीमो माया हो वह (आचा)। ३ नाभि के ऊपर कट्टमग न [वर्त्मक] मार्ग, रास्ता (माचाः | पडिया रयणावली झत्ति' (सुपा ३४४० का भाग जिसका टेढ़ा हो वह (पएह १, मोप) १५४)।
१-पत्र २३)। ४ पीछे का या मागे का
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org