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लालंप-लिंपिय पाइअसहमहण्णवो
७२५ लालंप अक [वि + लप्] विलाप करना, लावण्ण। देखो लायण्ण (प्रौपा रंभाः काल: लिंग सक [लिङग] १ जानना । २ गति विकल होकर रोना । लालंपइ (प्राकृ ७३) । लावन्न अभि६२, भवि)।
करना । ३ प्रालिंगन करना । कर्म, लिगिनाइ लालंपिअ न [दे] १ प्रवाल । २ खलोन । लावय देखो लावग (उवा)।.
(संबोध ५१)। ३ आक्रन्दित (दे ७, २७) ।
लाविय (अप) वि [लात लाया हुअा (भवि)लिंग न [लिङ्ग] १ चिह्न, निशानी (प्रासू
लाविया स्त्री [दे] उपलोभन (सूत्र १, २, लालंभ देखो लालंप । लालंभइ (प्राकृ ७३)।
२४ गउड)। २ दार्शनिकों का वेष-धारण, १, १८)। लालण न [लालन] स्नेह-पूर्वक पालन (पउम
साधु का अपने धर्म के अनुसार वेष (कुमाः लाविर वि [लवित] काटनेवाला (गा ३५५) विसे १५८५ टिठा ५, १-पत्र ३०३)। २६, ८८)।
लास सक [लासय ] नाचना। लासंति ___३ अनुमान प्रमाण का साधक हेतु (विसे लालप्प देखो लालंप ।लालप्पइ (प्राकृ ७३)।
१५५०)। ४ पृश्चिह्न, पुरुष का असाधारण (राय १०१) लालप्प सक [लालप्य् ] १ खूब बकना ।
लास न [लास्य १ भरतशास्त्र-प्रसिद्ध गेयपद चिह्न (गउड)। ५ शब्द का धर्म-विशेष, २ बारबार बोलना । ३ गहित बोलना । लालप्पइ (सूत्र १, १०, १६) । वक.
आदि (कुमा)। २ नृत्य, नाच (पान)। ३ पुंलिंग प्रादि (कुमा, राज)। द्धय पुं
स्त्री का नाच । ४ वाद्य, नृत्य और गीत का । [ध्वज] वेषधारी साधु (उप ४८६) लालप्पमाण (उत्त १४, १०, प्राचा) समुदाय (हे २, ६२)
"जीव पुं[जीव वही अर्थ (ठा ५, १)। लालप्पण न [लालपन] गहित जल्पन (परह
लासकलासक] १ रास गानेवाला। लिंगि वि [लिङ्गिन] १ साध्य, हेतु से १, ३-पत्र ४३)। लासग २ जय शब्द बोलनेवाला, भाण्ड
जानी जाती वस्तु (विसे १५५०)। २ किसी लालब्भ। देखो लालंपालालम्भइ, लालम्हइ (गाया १, १ टी-पत्र २; औप; परह २, लालम्ह) (प्राकृ ७३ धात्वा १५०)।
धर्म के वेष को धारण करनेवाला, साधु, ४.-पत्र १३२: कप्प) लालय न [लालक] लाला, लार (दे ५,
संन्यासी (पउम २२,३; सुर २,१३०)। श्री. लासय पुं [लासक, हलासक] १ अनार्य
णी (पुप्फ ४५४) देश-विशेष । २ पुत्री. अनार्य देश-विशेष का लालस वि [दे] १ मृदु, कोमल । २ स्त्रीन.
लिंगिय वि [लैङ्गिक] १ अनुमान प्रमाण रहनेवाला । स्त्री. सिया (प्रौपः णाया १, इच्छा (दे ७, २१)।
(विसे ६५)। २ किसी धर्म के वेष को धारण
१--पत्र ३७ इक; अंत)। देखो ल्हासिय। लालस वि [लालस] लम्पट, लोलुप (पाम:
करनेवाला साधु, संन्यासी (मोह १०१) लासर्यावहय [दे. लासविहग मयूर, मोर (दे ७, २१)।
लिंछ न [दे] १ चुल्ली-स्थान, चुल्हा का लाला स्त्री [लाला] लार, मुंह से गिरता जललाह सक [ श्लाघ् ] प्रशंसा करना। लाहइ
प्राश्रय । २ अग्नि-विशेष (ठा ८ टी--पत्र लव (प्रौपा गा ५५१, कुमाः सुपा २२६)। ११
४१६) । देखो लिच्छ । लालिअ देखो ललिअ 'कुसुमिग्रहरिअंदण- | लाह देखो लाभ (उव; हे ४, ३६०; श्रा १२ । लिंड न [दे] १ हाथी आदि की विष्ठा; कणयदंडपरिरंभलालिअंगीओ' (गउड)। णाया १, ६) ।
गुजराती में लीद (गाया १,१-पत्र ६३; लालिअ वि [लालित] स्नेह-पूर्वक पालित लाहण न [दे] भोज्य भेद, खाद्य वस्तु की उप २६४ टी; ती २)। २ शैवल-रहित (भवि)।
भेंट (दे ७, २१, ६, ७३, सट्ठि ७८ टी; पुराना पानी (पराह २, ५--पन १५१)10 लालिच (अप) पु [नालिच] वृक्ष-विशेष रंभा १३)।।
लिंडिया स्त्री [दे] अज-बकरा प्रादि की (पिंग)
लाहल देखो णाहल (से १. २५६; कुमा)। विष्ठा, लेंडी, गुजराती में 'लिडी' (उप पृ २३७)। " लालिल्ल वि [लालावत् ] लारवाला (सुपा | लाहब देखो लाघव (किरात १७) ।
लिंग देखो ले = ला। ५३१) । लाहवि देखो लाघवि (भवि)
लिंप सक [लिप्] लीपना, लेप करना । लाव सक [ लापय ] बुलवाना, कहलाना। लाहविय देखो लापविअ (राज)।
लिपइ (हे ४,१४६, प्राकृ ७१)। कर्म. लावएज्जा (सूत्र १, ७, २४)। लिअ सक [लिप्] लेपन करना, लीपना।
लिप्पइ (प्राचा)। वकृ. लिंपेमाण (रणाया लाव देखो लावग (उप ५०७)। लिमइ (प्राकृ ७१)
१, ६)। कवकृ. लिप्पंत, लिप्पमाण लावंज न [दे] सुगन्धी तृण-विशेष, उशीर, लिअ वि [लिप्त] १ लीपा हुमा (गा ५२८)।
(ोघभा १९५; रयण २६) खस (दे ७, २१)। २ न. लेप (प्राकृ ७७)।
लिंपण न [लेपन] लेप, लीपना (पिंड २४६; लावक पुं [लावक] १ पक्षि-विशेष (विपा लिआर पुं[लूकार] 'लु' वर्ण (प्राक)। लावग १, ७-पत्र ७५; परह १,१- लिंक [दे] बाल, लड़का (दे ७, २२)।
सुपा ६१६)। पत्र ८)। २ वि. काटनेवाला (विसे ३२०६) लिंकिअ विदे] १ आक्षिप्त । २ लीन (दे
लिंपाविय वि [लेपित] लेप कराया हुआ लावणिअ वि [लावणिक] लवण से संस्कृत । ७,२८)।
(कुप्र १४०)। (विपा १, २-पत्र २७)।
| लिंखय देखो लंख (सुपा ३५६)। लिंपिय वि [लिप्त] लीपा हुआ (कुमा)।
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