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पाइअसहमहण्णवो
रूढ-रेवा रूढ वि [रूढ] उगा हुआ, उत्पन्न (दस ७, रूवसिणी देखो रूवमिणी (षड् )। रेणु पुंस्त्री [रेणु] १ रज, धूलो (कुमा)।२ ३५) । रूवा देखो रूआ (इक)।
पराग (स्वप्न ७६) रूढि स्त्री [रूढि] परम्परा से चली आती रूवि वि [रूपिन् रूपवाला (प्राचाः भगः
रेणुया स्त्री [रेणुका] प्रोषधि-विशेष (पएण प्रसिद्धि, 'पोसहसद्दोरूढीए एत्थ पध्वाणुवायनो | स८३)।
१-पत्र ३६) भणियो' (सुपा ६१५; कप्पू)।
रेभ पुं [रेफ] १ 'र' अक्षर, रकार (कुमा)। रूवि पुंस्त्री [दे] गुच्छ-विशेष, अर्क-वृक्ष, प्राक रूप पुंरूप] पशु, जानवर (मृच्छ २००)।
२ वि. दुष्ट । ३ अघम, नीच ! ४ क्रूर, निर्दय । का पेड़ (पएण १-पत्र ३२; दे ७,६) रूअ = रूप (ठा ६–पत्र ३६१)।
५ कृपण, गरीब (हे १, २३६; षड्) । रूस अक [रुष] गुस्सा करना। रूसइ,
रेरिज्ज प्रक [राराज्य ] अतिशय शोभना। रूपि पुं [रूपिन् ] सौनिक, कसाई (मृच्छ । एसए (उव; कुमाः हे ४, २३६; प्राकृ६८;
वकृ. रेरिज्जमाण (गाया १,२--पत्र ७८ २००)। षड) । कर्म. रूसिज्जइ (हे ४, ४१८)।
१, ११--पत्र १७१)। रूरुइयन [३] उत्सुकता, रणरणक (पाप) हेकृ. रूसिउं, रूसेड (हे ३, १४१: पि
रेल्ल सक [प्लावय] सराबोर करना । वकृ. रूव पुंन [रूप] १ आति, आकार (णाया ५७३) । कृ. रूसिअव्व, रूसेयव्व (गा
रेल्लंत (कुमा) १, १; पात्र) । २ सौन्दर्य, सुन्दरता (कुमाः ४६६; परह २, ५-पत्र १५०; सुर १६,
रेल्लि स्त्री [दे] रेल, स्रोत, प्रवाह (राज)। ठा ४, २, प्रासू ४७, ७१)। ३ वर्ण, शुक्ल ६४)। प्रयो., संकृ. रूसविअ (कुमा)।
रेवइनक्खत्त [रेवतीनक्षत्र प्रार्य नागआदि रंग (औपः ठा १, २, ३)। ४ मूत्ति रूसण न [रोषण] १ रोष, गुस्सा (गा ६७५;
हस्ती के शिष्य एक जैन मुनि (णंदि ५१)।. (विसे १११०)। ५ स्वभाव (ठा ६)। ६ हे ४, ४१८) । २ वि. गुस्साखोर, रोष करने
रेवइय ' [रैवतिक] स्वर-विशेष, रैवत स्वर शब्द, नाम । ७ श्लोक। ८ नाटक आदि वाला (सुख १, १४; संबोध ४८)।
(अणु १२८)।दृश्य काव्य (हे १, १४२)। ६ एक की रूसिअ वि [रुष्ट] रोष-युक्त (सुख १, १३;
रेवइय न [रेवतिक] एक उद्यान का नाम संख्या, एक (कम्म ४, ७७ ७८; ७६ ८०;
रे प्र[रे] इन अर्थों का सूचक ८१)। १०-११ रूपयाला, वर्णवाला (हे
अव्यय-१
रेवइआ स्त्री [रेवतिका] भूत-ग्रह विशेष १, १४२) । १२-देखो रूअ, रूप = रूप । परिहास । २ अधिक्षेप (संक्षि ४७)। ३
(सुख २, १६) संभाषण (हे २, २०१; कुमा)। ४ आक्षेप 'कता देखो रूअ-कंता (ठा ६-पत्र ३६१;
रेवई स्त्री [रेवती] १ बलदेव की स्त्री (कुमा)। इक)। जक्ख पुं[यक्ष ] धर्मपाठक __ (संक्षि ३८)। ५ तिरस्कार (पब ३८)।
। २ एक श्राविका का नाम (ठा ६-पत्र (व्यव. भा० गा० ६१४)। धार वि रेअ [रेतस् ] वीर्य, शुक्र (राज)।
४५५; सम १५४)। ३ एक नक्षत्र (सम [धार रूप-धारी; 'जलयरमज्झगएणं अणे- | रेअव सक [मुच्] छोड़ना, त्यागना । रेप- ५७)। .. गमच्छाइवधारेणं' (खा)। पभा देखो वह (हे ४, ६१) ।
रेवई स्त्री [दे. रेवती] मातृका, देवी (दे ७, रूअ-प्पभा (इक). मंत देखो वंत (पउम रेअविअ वि [मुक्त] छोड़ा हुआ, त्यक्त १२, ५७; ६१, २६)। वई स्त्री [°वती] | (कुमाः दे ७, ११)।
रेवंत पुं [रेवन्त] सूर्य का एक पुत्र, देव१ भूतानन्द नामक इन्द्र की एक अग्र-महिषी रेअविअ वि दे. रेचित] क्षणीकृत, शून्य विशेषः 'रेवंततणभवा इव अस्सकिसोरा (ठा ६–पत्र ३६१) । २ सुरूप नामक किया हुआ, खाली किया हुआ (दे ७, ११, सुलक्खणिणो' (धर्मवि १४२, सुपा ५६)। भूतेन्द्र की एक अग्र-महिषी (ठा ४, १-पत्र पाम से ११, २)।
रेवजिअ वि [दे] उपालब्ध (दे ७, १०)। २०४) । ३ एक दिक्कुमारी महत्तरिका (ठा रेआ स्त्री [8] १ धन। २ सुवर्ण, सोना ६)वंत, स्सि वि ["वत् ] रूपवाला, (षड् )।
रेवण पुं [रेवण] व्यक्ति-वाचक नाम, एक रेइअ वि [रेचित] रिक्त किया हुआ (से
साधारण काव्य-ग्रंथ का कर्ता (धर्मवि सुरूप (श्रा १०, उवा, उप पृ३३२, सुपा
१४२) । ७, ३१)। ४७४: उव)। रेकिअ वि [दे] १ आक्षिप्त । २ लोन । ३ ।
रेवय न [दे] प्रणाम, नमस्कार (दे ७, ६). रूवग पुंन [रूपक] १ रुपया (उप पृ २८०;
वीडित, लजित (दे ७, १४)
रेवय पु[रैवत ] गिरनार पर्वत (णाया धम्म ८ टी; कुप्र ४१४) २ साहित्य-प्रसिद्ध एक अलंकार (सुर १, २९; विसे REE टी)।
रेकार पु [रेकार] 'रे' शब्द, 'रे' की आवाज | १,५-पत्र ६६ अंत: कुप्र १८) (पव ३८)।
रेवय पु[रैवत] स्वर-विशेष (अणु १२७)।देखो रूअग = रूपक । रेटि देखो रिट्ठि (संक्षि ३)।
रेवलिआ स्त्री [दे] वालुकावत, धूल का रूवमिणी स्त्री [दे] रूावती स्त्री (दे ७, ९)।
| रेणा स्त्री [रेणा] महर्षि स्थूलभद्र की एक प्रावतं (दे ७, १०)। रूवय देखो रूवग (कुप्र १२३, ४१३; भास भगिनी, एक जैन साध्वी (कप्प; पडि)। रेवा स्त्री [रेवा] नदी-विशेष, नर्मदा (गा ३४)।
| रेणि पुंस्त्री [दे] पङ्क, कदम (दे ७, ६) ५७८; पाम कुमाः प्रासू ६७) ।
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