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मेला एक [मिळू ] एकत्रित होना 'पटि एगो मेला
(भग) क मेोभा
२२ टी) मेला देखो मे
मेला पुन [मेल ] १ मिलाप, संगम, मिलन ( सुपा ४६९ ); निच्चं चिय मेलावं सुमग्गनिरयारण प्रइदुलह (सट्टि १४३) । मेला देखो मेल (आत्महि १६) M मेलावड (प) देखो मेलय; 'मणवल्लहमेला
वडउ पुनिहि लब्भइ एहु' (सिरि ७३) । मेला देखो मेलाग (सुपा ३६१ भवि मेला [मंखित] मिलाया हुआ एकट्ठा किया हुआ ( से १० २८)
मेलिअ
[ मिलित] मिला हुआ था १ टी -पत्र ११६; महा; उव); ' एवं सुलीलवंतो असीलवंतेहि मेलिश्री संतो । पावेइ गुणपरिहारणी मेलरणदोसाणु संगे ( प्रासू ३५ ) 1मेली स्त्री [दे] संहति, जन-समूह का एकत्रित होना, मेला (दे ६, १३८ )
मेलीण देखो मिलीण (पउम २, ६) 'श्रएणोएकतरनियमेतदिरा गा ६६६; ७०२) ।
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मे देखो मि मेल्ल (४१) मेल्लेमि (११) | मेहंत (महा) संह. dru, fag () (v, K पि १०६). मेडियम् (५५)मेल्लन [मोचन ] छोड़ना, परित्याग (प्रासू १०२) ।
मेहंकरा देखो मेघंकरा (इक) ।
मेहरवीर न [हे] जल, पानी दे ६, १३१)
मेहाय [मोचित] छुड़वाया छुपा (सुर मेहण न [मेहन] १ भरन, टपकना २ ८६८ महा) मेदेखीए (३६) मेवाड ) देखो मेअवाडय ( ती १५; मोह मेवाढ ८) । मेस [ मेष ] १ मेंडा, भेड़, गाड़र (सुर, ५३) २ राशि- विशेष (विचार १०६ सुर ३, ५३) ।
प्रस, पूष, महुमेह (धाचा १.६. १, २ ) । ३ पुरुष लिंग (राज) 1 मेहणि वि [मेहनिन् ] झरनेवाला ( श्राचा) 1मेहर पुं [हे] ग्राम-प्रवर गाँव का मुखिया
६, १२ र १५, ११० ) । मेहरि पुंस्त्री [दे] काष्ठ-कीट, घुन (जी १५) । मेहरिया श्री [दे] गानेवाली श्री (सुषा मेहरी मेहरी १३९४) । मेहलय . [मेखलक] देश-विशेष (पम पुंब. १८६६)
पुं । मे [मे] १. अपर (धीर) २ कालागुरु, सुगंधी द्रव्य-विशेष (से, ४९) ३ भगवान् सुमतिनाथ का पिता (सम १५०) ४ एक जैन महर्षि अंत १०)
।
पाइअसद्दमणयो
जाणिक का एक पुत्र (खाया १, १ - पत्र ३७ ) । ६ एक देव-विमान ( देवेन्द्र १३२) छन्द-विशेष (पिन) एक (सुपा ६१७) १ एक जैनमुनि (कप्प) । १० देव-विशेष (राज) । ११ मुस्तक, श्रोषधि-विशेष, मोथा । १२ एक राक्षस । १३ राग-विशेष (प्रात्र; हे १, १८७ ) । १४ एक विद्याधर नगर ( क ) कुमार पु [" कुमार ] राजा श्रेणिक का एक पुत्र ( गाया १, १, उव)। उभाण' [ ध्यान ] राक्षसवंश का एक राजा, एक लंकापति (पउम ५, २६६) । णाअ पुं ["नाद] रावण का एक पुत्र ( से १३, ६) । पुर न [र] तापर्यंत के दक्षिण श्रेणी का एक नगर (उम ६, २) मुह पुं [मुख] १ देवविशेष (राज) २ एक अन्त द्वीप-विशेष का निवासी मनुष्य (ठा ४, २पत्र २२६ इक ) + रव न [व] विन्ध्यस्थली का एक जैन तीर्थं (पउम ७७, ६१) । वाण [ वाहन] १ राक्षस वंश का यादि पुरुष, जो लंकाका राजा था (पउम ५, २५१ ) । २ रावण का एक पुत्र (पउम ८,६४) । सीह [सिंह] विद्याधर वंश का एक राजा (उम २४३)। देखो मेघ
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मेद [ मेह] १ सेचन (सूध १, ४,२, १२)। २ रोग-विशेष, प्रमेह (श्रा २० सुख १. १५) ।
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मेलाय - मो
मेहला श्री [मेखला ] काम्बी, करनी ( पात्र परह १, ४ श्रौपः गा ४६३) । मेहलिजिया श्री [मेखलिया] एक जैन मुनि शाखा (प) |
मेहा स्त्री [मेवा] एक इंद्राणी, चमरेन्द्र की एक अग्र महिषी (ठा ५, १ -पत्र ३०२ इक)
मेहा स्त्री [मेधा ] बुद्धि, मनीषा, प्रज्ञा ( सम १२५ से १, १६ हास्य १२५ ) अरवि [क] १ बुद्धि-वर्धक । २ पुं. छन्द-विशेष (fre)
मेहा स्त्री [मेधा] श्रवग्रह- ज्ञान (दि १७४) मेहावई देखो मेघ-वई (इक) । मेहाव न [मेघावर्ण] एक विद्यार नगर ( इक ) । - महावि वि [मेधाविन]] युद्धिमान् प्रात (ठा ५, ३ गाया १, १; श्राचा कप्प श्रौपः उप १४२ टी; कुप्र १४०; धर्मवि ६८) । स्त्री. णी (नाट - शकु ११६) मेहि देखो मेढि (से ६, ४२) । मेहिवि [मेहिन] प्रणवण करनेवाला, 'महुमेहिणं' (प्राचा) 1 मेहिय न [मेधिक ] एक जैन मुनि कुल
(कम) 1
मेहिल पुं [मेधिल ] भगवान् पार्श्वनाथ के वंश का एक जैन मुनि (भग)
मेहुण न [मैथुन] रति-क्रिया, संभोग } मेहणय (सम १० रा १ ४ उवा श्रौप प्रासू १७६; महा) ।
मेहूणय 1 [दे] फूफा का लड़का दे
१४८) -
मेहुणिअ [दे] मामा का लड़का (४)मेहुनि श्री [दे] १ बाली, भाव की बहिन (६, १४०)। २ मामा की लड़की (दे ६, १४८; बृह ४) मेहुन्न देशो मेहुण "हिसालियोरिल्के मे परियनिसिभ' (घोष ७८७) - मैरेअ न [मैरेय ] मद्य-विशेष (माल १७७) । मोघ. इन भ्रम का सूचक ग्रव्यय--१ अवधारण, निश्चय ( सूनि ८६ श्रावक १२५) २ पाद-ति (पउम १०२, ०१ घर्मंसं ६४५; श्रावक ९०) 1
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