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ईशानेन्द्र की एक पटरानी (ठा ८-पत्र ४२६; इक) रामणिज्जअ न [रामणीयक] रमणीयता,
सौन्दर्य (विक्र २८)। रामा स्त्री [रामा] १ स्त्री, महिला, नारी (तंदु ५०. कुमा; पामः वजा १०६; उप ३५७ टो)। २ नववें जिनदेव की माता (सम १५१)। ३ ईशानेन्द्र की एक पटरानी (ठा ८-पत्र ४२६, इक) । ४ छन्द-विशेष (पिंग)। रामायण न [रामायण] १ वाल्मीकि-कृत एक संस्कृत काव्यग्रन्थ (पउम २,११६; महा) । २ रामचन्द्र तथा रावण की लड़ाई (पउम १०५, १६)। रामिअ वि [रमित] रमण कराया हुआ (गा ५६, पउम ८०, १६)। रामेसर रामेश्वर दक्षिण भारत का एक हिन्दू-तीर्थ (सम्मत्त ८४)। राय प्रक [राज ] चमकना, शोभना । रायइ (हे ४,१००) । वकृ. राय, रायमाण (कप्प) । राय देखो रा = । राप्रइ (प्राकृ ६६)। राय पु [राग] १ प्रेम, प्रीति (प्रासू १८०)। २ मत्सर, द्वष; 'न पेमराइल्ला' (देवेन्द्र २७८) । ३ रँगना, रंजन । ४ वर्णन । ५ अनुराग । ६ राजा, नरपति । ७ चन्द्र, चाँद । ८ लाल वर्ण । ६ लाल रंगवालो वस्तु। १० वसन्त प्रादि स्वर (हे १,६८)। राय पुं [राजन्] १ राजा, नर-पति, नरेश | (प्राचाः उवाः श्रा २७; सुपा १०३) । २ चन्द्र, चन्द्रमा (श्रा २७, हम्मीर ३; धर्मवि ३) । ३ एक महाग्रह (सुज २०)। ४ इन्द्र । ५ क्षत्रिय । ६ यक्ष । ७ शुचि, पवित्र । ८ श्रेष्ठ, उत्तम (हे ३, ४६; ५०)। ६ इच्छा , अभिलाषा (से १,६)।१० छन्द-विशेष (पिंग) । इअ वि [कीय] राज-संबन्धी (प्राकृ ३५)। उत्त '[पुत्र] राज-पूत, राज कुमार (सुर ३, १६५)। उल देखो राउल (हे १, २६७; कुमाः षड् प्राप्रा अभि १८४)। कीअ देखो ईअ (नाट- शकु १०४) । कुल देखो उल (महा)
पाइअसहमहण्णवो
रामणिज्जअ-रायस केर, कवि [कीय, राज-संबन्धी (हे टी)। सुअ [सूय यज्ञ-विशेष: 'पिइमे२, १४८; कुमा; षड्), गिह न [गृह] हमाइमेहे रायसुए प्रासमेहपसुमेहे (पउम ११, मगध देश की प्राचीन राजधानी, जो आजकल ४२), सेण पु[°सेन] छन्द-विशेष 'राजगीर' नाम से प्रसिद्ध है (ठा १०-पत्र (पिंग)। सेहर [शेखर] १ महादेव, ४७७; उवाः अंत), "गिहि स्त्री [गृही] शिव । २ एक राजा (सुपा ५२६)। ३ एक वही अर्थ (ती ३) । 'चंपय पु[ चम्पक कवि, कर्पूरमंजरी का कर्ता (कप्पू) हंस वृक्ष-विशेष, उत्तम चम्पक-वृक्ष (था १२) पुंस्त्री [ हंस] १ उत्तम हंस पक्षो। २ श्रेष्ठ धम्म पुं[°धर्म] राजा का कर्तव्य (नाट
राजा (सुर १२, ३४; गा ६२४; गउड सुपा उत्तर ४१) धाणी स्त्री [°धानी] राज- १३६, रंभा भवि) स्त्री.सी (सुपा ३३४, नगर, राजा का मुख्य नगर, जहां राजा नाट-रत्ना २३)। हर न [गृह] राजा रहता हो (नाट-चैत १३२) पत्ती स्त्री
का महल (पउम ८२, ८६; हे २, १४४)। [°पत्नी] रानी (सुर १३, ५; सुपा ३७५)। 'हाणी देखो धाणीः (सम ८०, पउम २०, "पसेणीय वि [प्रश्नीय] एक जैन आगम- ८)। हिराय, हिराय पुं[अधिराज] ग्रन्थ (राय)। पह [पथ] राज-मार्ग राजाओं का राजा, चक्रवर्ती राजा (काल; (महा; नाट-चैत १३०) । "पिंड पु सुपा १०५)। हिव पुं [धिप] वही अर्थ ["पिण्ड] राजा के घर की भिक्षा-आहार | (सुपा १०५) (सम ३६)। पुत्त देखो उत्त (गउड) राय देखो राव = राव (से ६, ७२) । 'पुर न [°पुर नगर-विशेष (पउम १,८)।-राय पु[दे] चटक, गौरैया पक्षी (दे ७, ४)। पुरिस पुं [पुरुष] राजा का आदमी, राय पुरात्र रात्रि, रात (प्राचा)। राज-कर्मचारी (पउम २८, ४)। मग्ग पुं
राय देखो राय = राज् । [ मार्ग] राजपथ, सड़क (औपः महा) 'मास पुं[°माष] धान्य-विशेष, बरबटी
रायछुअन [दे] १ वेतस या बेंत का (श्रा १८, संबोध ४३)। राय पुं[ राज]
रायंबु ) पेड़ (पान दे ७, १४)। २ पु. राजानों का राजा, राजेश्वर (सुपा १०७)।
शरभ (द ७, १४)। सिसि देखो गामि IITY_ रायंस पुं[राजांस ] राज-यक्ष्मा, क्षय का १११, उप ७२८ टी; कुमाः सण) । रुक्ख
व्याधि (प्राचा)। पुं [वृक्ष] वृक्ष-विशेष (प्रौप)। लच्छी स्त्री रायंसि वि [राजांसिन् ] राजयक्ष्मावाला, 'लक्ष्मीा राज-वैभव (अभि १३१: महा क्षय कारागा (भाषा) 'ललिय पुं[ललित] पाठवें बलदेव के पूर्व रायगइ स्त्री [दे] जलौका, जोंक (दे ७, ५)। जन्म का नाम (सम १५३) । वट्टय न रायग्गल पुं [राजार्गल] ज्योतिष्क ग्रह[वार्तक] राज-संबंधी वार्ता-समूह (हे २, विशेष (ठा २, ३-पत्र ७८)। ३०)। वल्ली स्त्री [°वल्ली ] लता-विशेष | रायणिअ देखो राइणि रात्निक (उव, (पएण १-पत्र ३६)+ वाडिआ, वाडी पोषभा २२३)। स्त्री [पाटिका, पाटी] चतुरंग सैन्य-श्रम-रायणी स्त्री [राजादनी] खिन्नी, खिरनी का करण, राजा की चतुर्विध सेना के साथ पेड़ (पउम ५३, ७६)।. सवारी (कुमाः कुप्र ११६; १२०; सुपा रायण्ण देखो राइण्ण (ठा ३,१-पत्र ११४ २२२)। सद्ल पुं[शार्दूल] चक्रवर्ती उप ३५६ टी)। राजा, श्रेष्ठ राजा (सम १५२), सिट्टि पुरायनीइ स्त्री [राजनीति राजा की शासन [श्रेष्ठिन् ] नगर-सेठ (भवि)। 'सिरी स्त्री करने की रोति (राय ११७)। [श्री] राज-लक्ष्मी (से १, १३)। सुअरायमइया स्त्री [राजीमतिका] देखो राई
[सुत] राजकुमार (कप्पू, उप ७२८ टी)- मई (कुप्र १) सुअ पु[°शुक] उत्तम तोता (उप ७२८ | रायस देखो राजस (स ३; से ३, १५)।
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